विश्व हेपेटाइटिस दिवस: भारत वैश्विक चुनौती से निपटने में मजबूती से आगे बढ़ रहा है
नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर कहा कि भारत इस वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती से निपटने के लिए मजबूती से आगे बढ़ रहा है। हर साल 28 जुलाई को मनाए जाने वाले इस दिन का उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसके रोकथाम व प्रबंधन के प्रयासों को मजबूत करना है। हेपेटाइटिस यकृत (लिवर) की सूजन है, जो गंभीर लिवर रोग और कैंसर का कारण बन सकता है।
जेपी नड्डा का संदेश: जागरूकता और राष्ट्रीय कार्यक्रम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, “विश्व हेपेटाइटिस दिवस लोगों में हेपेटाइटिस और इसके रोकथाम के उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का मंच है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के जरिए इस स्वास्थ्य चुनौती से लड़ रहा है और लोगों की जान बचा रहा है।”
उन्होंने इस साल की थीम ‘हेपेटाइटिस: लेट्स ब्रेक इट डाउन’ पर कहा कि यह थीम हेपेटाइटिस उन्मूलन में बाधा बनने वाली सामाजिक रुकावटों को खत्म करने की जरूरत को दिखाती है। यह दर्शाता है कि केवल चिकित्सा समाधान ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और कलंक को दूर करना भी इस बीमारी से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत में हेपेटाइटिस की स्थिति: आंकड़े और चुनौतियां
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हेपेटाइटिस बी और सी के मामलों में भारत, चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। यह स्थिति भारत के लिए एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती पेश करती है। साल 2022 में भारत में 2.98 करोड़ हेपेटाइटिस बी और 55 लाख हेपेटाइटिस सी के मामले दर्ज किए गए, जो वैश्विक हेपेटाइटिस मामलों का 11.6 प्रतिशत है। ये आंकड़े इस बीमारी के व्यापक प्रसार और तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता को उजागर करते हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने भी इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा, “हमें हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों को इसकी रोकथाम की जानकारी देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नए तरीके से दिखाना होगा। भारत राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के जरिए समय पर जांच, उपचार और सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है।”
हेपेटाइटिस के प्रकार और उन्मूलन का लक्ष्य
हेपेटाइटिस पांच मुख्य वायरस (ए, बी, सी, डी, और ई) के कारण होता है, जो लिवर रोग का कारण बनते हैं। ये वायरस प्रसार, गंभीरता, भौगोलिक वितरण और रोकथाम के तरीकों में अलग-अलग हैं।
विश्व हेपेटाइटिस दिवस वित्तीय, सामाजिक और सिस्टैमिक बैरियर्स जैसे सामाजिक कलंक को दूर करने की जरूरत पर बल देता है। समय पर जांच और इलाज बढ़ाने से हेपेटाइटिस बी और सी के मामलों को नियंत्रित किया जा सकता है। हेपेटाइटिस को साल 2030 तक खत्म करने के वैश्विक लक्ष्य के लिए जांच और उपचार की कम पहुंच को सुधारना जरूरी है।
विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर केंद्रीय मंत्रियों के बयान भारत की इस वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती से निपटने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के माध्यम से जांच, उपचार और जागरूकता पर जोर देना सही दिशा में एक कदम है। हालांकि, हेपेटाइटिस के बड़े मामलों और सामाजिक बाधाओं को देखते हुए, 2030 के वैश्विक उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होगी। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति को समय पर जांच और उपचार तक पहुंच मिले, ताकि इस बीमारी के बोझ को कम किया जा सके और लोगों के जीवन को बचाया जा सके।