अमरनाथ यात्रा: दूसरा जत्था जम्मू से घाटी के लिए रवाना, सुरक्षा और सुविधाओं से तीर्थयात्री उत्साहित
जम्मू, 3 जुलाई। 36 दिनों तक चलने वाली वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का एक और जत्था गुरुवार को जम्मू से कश्मीर घाटी के लिए रवाना हुआ। बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और सरकार द्वारा मुहैया कराई जा रही सुविधाओं से तीर्थयात्री बेहद संतुष्ट नजर आ रहे हैं, जो इस पवित्र यात्रा को और भी सुगम और सुरक्षित बना रहा है।
दूसरा जत्था रवाना: उत्साह और सुरक्षा का संगम
गुरुवार सुबह, 5246 तीर्थयात्रियों का दूसरा जत्था जम्मू के कैनाल रोड स्थित भगवती नगर आधार शिविर से घाटी के लिए रवाना हुआ। अधिकारियों ने बताया कि इस जत्थे में से 1993 यात्री बालटाल बेस कैंप की ओर जा रहे हैं, जबकि 3253 तीर्थयात्री पहलगाम बेस कैंप के रास्ते पवित्र गुफा के दर्शन करेंगे। तीर्थयात्री 'बम बम भोले' और 'हर हर महादेव' के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़े, जिससे पूरे वातावरण में भक्तिमय ऊर्जा का संचार हो गया।
इस यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन ने व्यापक प्रबंध किए हैं। तीर्थयात्रियों को कड़ी सुरक्षा के बीच रवाना किया गया, जिसमें भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। श्रद्धालुओं ने सरकार की ओर से मुहैया कराई गई सुविधाओं और सुरक्षा व्यवस्थाओं की खुले दिल से तारीफ की। उन्होंने भारतीय सेना पर पूरा भरोसा जताया, जो यात्रा मार्ग पर हर कदम पर सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।
तीर्थयात्रियों की प्रतिक्रिया: सुविधाओं और सुरक्षा की सराहना
यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं ने सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं पर संतोष व्यक्त किया। न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कई तीर्थयात्रियों ने अपने अनुभव साझा किए:
- सुरक्षा का भरोसा: श्रद्धालुओं ने कहा कि सेना के जवानों ने उन्हें बहुत अच्छे से भगवती नगर तक पहुंचाया। यह दर्शाता है कि सुरक्षा बल तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
- उत्कृष्ट सुविधाएं: तीर्थयात्रियों ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई सुविधाओं को "बहुत अच्छा" बताया। इसमें आवास, भोजन, चिकित्सा सहायता और अन्य आवश्यक सेवाएं शामिल हैं।
- पहली बार जाने वाले भी खुश: दूसरे जत्थे में कुछ ऐसे भी तीर्थयात्री शामिल थे जो पहली बार अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं। उन्होंने भी सुरक्षा के साथ-साथ यहां की सुविधाओं की जमकर तारीफ की, जिससे नए यात्रियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
- निरंतर यात्रा करने वाले का अनुभव: एक श्रद्धालु ने बताया कि वह 2019 से लगातार अमरनाथ यात्रा के लिए आ रहा है। उन्होंने कहा, "इस बार बहुत अच्छा लग रहा है। सरकार ने अच्छी व्यवस्था की है।" एक महिला श्रद्धालु ने भी सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां की व्यवस्थाओं को देखकर बहुत खुशी हुई।
पहले और अब की यात्रा में जमीन-आसमान का फर्क
कुछ अनुभवी श्रद्धालुओं ने अतीत और वर्तमान की अमरनाथ यात्रा के बीच के अंतर को उजागर किया। एक श्रद्धालु ने कहा, "जब संवेदनशील समय था, जब आतंकवादी हमले होते थे, उस समय भी भक्त इस यात्रा के लिए आते थे। अब बिल्कुल निर्भय होकर यहां श्रद्धालु आ रहे हैं।" यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में आए सुधार को दर्शाती है, जिससे तीर्थयात्री बिना किसी डर के अपनी यात्रा पूरी कर पा रहे हैं।
एक अन्य श्रद्धालु ने इस बदलाव को और स्पष्ट करते हुए कहा, "पहले और अब की यात्रा में जमीन-आसमान का फर्क है। यहां दो-तीन गुना अधिक सुरक्षाकर्मियों की तैनाती है। पहले के मुकाबले चार गुना सुख-सुविधाएं यहां देखने को मिल रही हैं।" सुरक्षाकर्मियों की बढ़ी हुई संख्या और बेहतर सुविधाएं यात्रियों के लिए एक सुरक्षित और आरामदायक अनुभव सुनिश्चित कर रही हैं।
यात्रा की अवधि और सुरक्षा सलाह
अमरनाथ यात्रा कुल 36 दिनों तक चलेगी। इस बार इसका समापन 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के पावन दिन होगा। यात्रा के दौरान, श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वे केवल सुरक्षा काफिले के साथ ही जम्मू से घाटी की ओर यात्रा करें और अकेले न निकलें। यह सलाह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों से सभी सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है।
निष्कर्ष
अमरनाथ यात्रा के लिए दूसरे जत्थे का रवाना होना, श्रद्धालुओं के अटूट विश्वास और सरकार की प्रभावी व्यवस्थाओं का प्रतीक है। सुरक्षा में सुधार और सुविधाओं की उपलब्धता ने इस पवित्र यात्रा को पहले से कहीं अधिक सुगम और सुरक्षित बना दिया है। 'बम बम भोले' के जयकारों के साथ आगे बढ़ते तीर्थयात्री न केवल अपनी आस्था को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि यह भी संदेश दे रहे हैं कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयासों से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। यह यात्रा देश की एकता और धार्मिक सद्भाव का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बनी हुई है।