हरियाणा: ग्राम पंचायतों को शराबबंदी का अधिकार, 13 गांवों में लागू होगा पूर्ण प्रतिबंध
चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने ग्राम पंचायतों को अपने गांवों में शराब की बिक्री पर रोक लगाने का महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान किया है। इस पहल के तहत, पंचायतें ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर निर्धारित प्रक्रिया के तहत समय पर सरकार को सूचना देकर अपने क्षेत्र में शराबबंदी लागू करवा सकती हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया में आबकारी विभाग के नियम पंचायतों के कुछ प्रस्तावों पर भारी पड़ रहे हैं, जिससे कुछ गांवों को निराशा भी हाथ लगी है।
आबकारी विभाग के नियमों से प्रभावित प्रस्ताव
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जिले की कुल 29 ग्राम पंचायतों ने अपने-अपने गांवों में शराब के ठेके बंद कराने हेतु ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजे थे। इन प्रस्तावों पर विचार करने के बाद, पंचकूला मुख्यालय ने केवल 13 गांवों के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की है, जबकि 14 गांवों के प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया। यह दर्शाता है कि शराबबंदी के लिए पंचायतों को मिले अधिकार के बावजूद, आबकारी विभाग के अपने नियम और मानदंड हैं जो अंतिम निर्णय को प्रभावित करते हैं।
प्रस्ताव भेजने की प्रक्रिया और शर्तें
यदि कोई ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र में शराबबंदी लागू करवाना चाहती है, तो उसे एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि पंचायत को 31 दिसंबर तक लिखित रूप में सरकार को सूचित करना होता है कि उसके क्षेत्र में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लागू किया जाए। यदि यह सूचना समय पर और सही प्रक्रिया के तहत दी जाती है, तो उस गांव में शराब की दुकान के लिए टेंडर जारी नहीं किया जाता है।
पंचायतों को यह प्रस्ताव ग्राम सभा में पारित करना होता है, जो गांव के सभी पंजीकृत मतदाताओं की एक बैठक होती है। ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद, इसे खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (BDPO) के माध्यम से आबकारी विभाग को भेजना होता है। इसके बाद, पंचकूला स्थित मुख्यालय सरपंच को बुलाकर उनकी राय जानता है और फिर यह अंतिम निर्णय लिया जाता है कि संबंधित गांव में शराब की दुकान खोली जाए या नहीं। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि निर्णय लेने में स्थानीय प्रतिनिधित्व और सरकारी नियमों दोनों का ध्यान रखा जाए।
इन गांवों में लागू होगी पूर्ण शराबबंदी
वर्ष 2025-26 के लिए जिले के निम्नलिखित 13 गांवों में शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। इन गांवों के प्रस्तावों को आबकारी विभाग ने स्वीकृति दे दी है:
- बाबडोली
- भाड़ावास
- करनावास
- पावटी
- नंगलिया रणमौख
- नैनसुखपुरा
- मुरलीपुर
- गुर्जर माजरी
- भटसाना
- बेरली खुर्द
- जखाला
- प्राणपुरा
- (यहां 13वां गांव का नाम स्रोत में नहीं दिया गया है, लेकिन कुल 13 गांवों को स्वीकृति मिली है।)
इन गांवों में न तो शराब की कोई नई दुकान खोली जाएगी और न ही मौजूदा दुकानों को संचालित करने की अनुमति होगी, जिससे इन क्षेत्रों में पूर्ण शराबबंदी लागू हो जाएगी।
इन गांवों के प्रस्ताव हुए खारिज
वहीं, जिन ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव आबकारी विभाग द्वारा खारिज कर दिए गए, उनमें ये गांव शामिल हैं:
- मालाहेड़ा
- बिहारीपुर
- असदपुर
- मांढैया खुर्द
- ततारपुर इस्तमुरार
- कतोटपुर बुजुर्ग
- नेहरूगढ़
- किशनपुर
- कृष्णनगर
- जाहिदपुर
- भूरथला
- माजरी दुदा
- आराम नगर कनूका
इन गांवों में शराब की बिक्री जारी रहेगी, जिससे स्थानीय निवासियों को निराशा हो सकती है जिन्होंने शराबबंदी के लिए प्रस्ताव पारित किए थे। प्रस्तावों को खारिज करने के पीछे के विशिष्ट कारणों का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन यह आमतौर पर प्रक्रियात्मक कमियों, राजस्व पर संभावित प्रभाव, या अन्य नियामक विचारों से संबंधित हो सकता है।
पंचायतों को है कानूनी अधिकार
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 31 में संशोधन कर ग्राम सभाओं को यह कानूनी अधिकार दिया गया है कि वे अपने क्षेत्र में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित कर सकें। यह संशोधन स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाने और ग्रामीण समुदायों को अपने सामाजिक वातावरण को नियंत्रित करने में अधिक शक्ति प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही, अधिनियम में अवैध शराब बेचने वालों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाने का भी प्रावधान है, जिससे शराबबंदी लागू होने वाले गांवों में कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी।
हरियाणा सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को शराबबंदी का अधिकार देना एक प्रगतिशील कदम है, जो ग्रामीण समुदायों की आकांक्षाओं को दर्शाता है। हालांकि, आबकारी विभाग द्वारा कुछ प्रस्तावों को खारिज करना इस प्रक्रिया की जटिलता को भी उजागर करता है। जिन 13 गांवों में पूर्ण शराबबंदी लागू होगी, वहां सामाजिक और आर्थिक रूप से सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में शराब के सेवन से जुड़ी समस्याओं को कम करने और एक स्वस्थ सामाजिक वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।