भारत का मोबाइल निर्यात ₹3 बिलियन डॉलर के पार, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में 47% की वृद्धि
नई दिल्ली, – केंद्रीय रेलवे और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को बताया कि इस वित्त वर्ष में भारत से मोबाइल निर्यात में शानदार शुरुआत हुई है। मई माह में देश से मोबाइल निर्यात 3.09 बिलियन डॉलर (लगभग ₹25,750 करोड़) से अधिक रहा है, जो भारत के बढ़ते विनिर्माण और निर्यात क्षमताओं को दर्शाता है।
इस वित्त वर्ष में अप्रैल-मई की अवधि में देश से कुल 5.5 बिलियन डॉलर (लगभग ₹45,850 करोड़) मूल्य के मोबाइल निर्यात हुए हैं। यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) पहल जैसी सरकारी योजनाओं ने हाल के वर्षों में घरेलू विनिर्माण को जबरदस्त बढ़ावा दिया है, जिसमें एप्पल और सैमसंग जैसी वैश्विक तकनीकी दिग्गज कंपनियां देश में अपनी सप्लाई चेन को बढ़ाने पर दोगुना जोर दे रही हैं।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव के अनुसार, मई में भारत से मोबाइल फोन का निर्यात पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 74 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है, जो एक प्रभावशाली वृद्धि दर है।
केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट किया, "वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत मजबूत रही: अकेले मई में 3 बिलियन डॉलर का स्मार्टफोन निर्यात हुआ, जो कि सालाना आधार पर 74 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि थी।" उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात के व्यापक आंकड़ों पर भी प्रकाश डाला, बताया कि "अप्रैल-मई में 5.5 बिलियन डॉलर का निर्यात और अप्रैल-मई में 8.2 बिलियन डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात दर्ज किया गया, जो कि सालाना आधार पर 47 प्रतिशत वृद्धि थी।"
'मेक इन इंडिया' की सफलता और वैश्विक दिग्गजों का भरोसा
यह शानदार वृद्धि इसलिए हासिल हुई है क्योंकि भारत की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त देश को एप्पल जैसे तकनीकी दिग्गजों के लिए एक स्वाभाविक विकल्प बनाती है। भारत अब वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है। इसके अलावा, अमेरिका स्थित कंपनी एप्पल ने सरकार को अपने उत्पादों के निर्माण और 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया है, जिससे भारत में निवेश और विनिर्माण को और बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव के अनुसार, परिवर्तनकारी पीएलआई योजना की बदौलत भारत से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात एक वित्त वर्ष के भीतर पांचवें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। यह योजना घरेलू और विदेशी कंपनियों को भारत में विनिर्माण के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे उत्पादन में वृद्धि और निर्यात को बढ़ावा मिलता है।
वित्त वर्ष 2025 में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 3.27 लाख करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जबकि मोबाइल निर्यात 2 लाख करोड़ रुपए रहा। यह देश के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की बढ़ती शक्ति और वैश्विक बाजार में उसकी बढ़ती हिस्सेदारी को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने हाल ही में बताया, "एक वित्त वर्ष में ही इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पांचवें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। लगातार तीन वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक्स भारत के शीर्ष 10 निर्यातों में सबसे तेजी से बढ़ने वाला निर्यात है।" यह आंकड़े भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग में आए क्रांति को दर्शाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम में खासकर महिलाओं के लिए लाखों नए रोजगार सृजित हुए हैं, जो आर्थिक सशक्तिकरण और समावेशी विकास को बढ़ावा देता है। इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग ने पिछले 10 वर्षों में पांच गुना वृद्धि दर्ज की है, जो 11 लाख करोड़ रुपए को पार कर गई है, जबकि पूरे इकोसिस्टम ने 25 लाख रोजगार सृजित किए हैं।
पिछले एक दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात छह गुना बढ़कर 3.25 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया है। देश ने एप्पल जैसी बड़ी कंपनियों को "मेक इन इंडिया" का महत्व दिखाया है। हाल के वर्षों में देश एप्पल की ग्लोबल सप्लाई चेन के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया है, जो भारत को वैश्विक विनिर्माण मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिला रहा है।