राहुल गांधी का शैक्षणिक सफर: दून स्कूल से कैंब्रिज यूनिवर्सिटी तक
नई दिल्ली, 19 जून – कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम भारतीय राजनीति में दशकों से बना हुआ है। हालांकि, राजनीति में आने से पहले उनका निजी जीवन, खासकर उनका शैक्षणिक सफर, लोगों के लिए हमेशा रहस्य का विषय रहा है। सोशल मीडिया पर उनकी डिग्रियों और पढ़ाई को लेकर कई तरह की अफवाहें और दावे होते रहे हैं। लेकिन असलियत क्या है? राहुल गांधी ने कहां-कहां पढ़ाई की और किन प्रतिष्ठित संस्थानों से डिग्री हासिल की? आइए इस विषय पर आसान और साफ भाषा में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं।
दिल्ली और दून स्कूल से हुई शुरुआती पढ़ाई
राहुल गांधी की शुरुआती शिक्षा दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट कोलंबस स्कूल से हुई थी। यह दिल्ली के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक है। इसके बाद उन्होंने 1981 से 1983 तक देहरादून के प्रसिद्ध द दून स्कूल (The Doon School) में पढ़ाई की। यह भारत के सबसे प्रतिष्ठित आवासीय विद्यालयों में से एक है, जहां कई प्रमुख हस्तियों ने शिक्षा प्राप्त की है।
हालांकि, 1984 में उनकी दादी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दुखद हत्या के बाद, राहुल और उनकी बहन प्रियंका गांधी को सुरक्षा कारणों से स्कूल से निकाल लिया गया था। इसके बाद उनकी पढ़ाई घर पर ही निजी शिक्षकों द्वारा करवाई गई, जो उस समय की असाधारण सुरक्षा चुनौतियों के कारण एक आवश्यक कदम था।
सेंट स्टीफंस कॉलेज से शुरू हुआ ग्रेजुएशन
1989 में राहुल गांधी ने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज में एडमिशन लिया। यह दिल्ली विश्वविद्यालय का एक प्रमुख कॉलेज है, जो अपनी अकादमिक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है। हालांकि, उन्होंने यहां केवल पहला साल ही पढ़ाई की। इसके बाद भी सुरक्षा कारणों से उन्हें अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) जाना पड़ा, जहां उन्होंने आगे की पढ़ाई जारी रखी।
इस दौरान उनकी एडमिशन प्रक्रिया पर भी काफी चर्चा हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राहुल को भारत में एक निशानेबाज के रूप में उनकी उपलब्धियों के आधार पर सेंट स्टीफंस कॉलेज में जगह मिली थी, जो कि भारत में खेल कोटे के तहत एक सामान्य प्रक्रिया है। यह दर्शाता है कि शिक्षा के साथ-साथ वे खेलों में भी सक्रिय थे।
हार्वर्ड में अधूरी पढ़ाई, फिर रोलिन्स कॉलेज से ग्रेजुएशन
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी की पढ़ाई अधूरी रह गई, क्योंकि 1991 में उनके पिता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की दर्दनाक हत्या हो गई थी। इस घटना के बाद, उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं और बढ़ गईं। उन्हें अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित रोलिन्स कॉलेज (Rollins College) में एडमिशन दिलाया गया, जहां उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
रोलिन्स कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी पहचान गुप्त रखी गई थी। केवल विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों को ही उनकी असली पहचान के बारे में जानकारी थी, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। रॉलिन्स कॉलेज की आधिकारिक वेबसाइट पर भी राहुल गांधी को अपने 'सिलेक्ट एलुमनाई एसोसिएट्स' (Select Alumni Associates) में शामिल किया गया है, जिससे उनकी यहां से डिग्री प्राप्त करने की पुष्टि होती है। यह उनकी अकादमिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से की एमफिल की डिग्री
स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद राहुल गांधी ने अपनी उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन का रुख किया। 1995 में उन्होंने ब्रिटेन के प्रसिद्ध कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) के प्रतिष्ठित ट्रिनिटी कॉलेज (Trinity College) में एडमिशन लिया। वहां से उन्होंने ‘डेवलपमेंट स्टडीज’ (Development Studies) में एमफिल (MPhil) की डिग्री प्राप्त की।
साल 2009 में उनकी डिग्री को लेकर कुछ विवाद उठे थे, जिसमें उनकी शैक्षिक योग्यताओं पर सवाल उठाए गए थे। हालांकि, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने स्वयं इस विवाद पर विराम लगाते हुए आधिकारिक तौर पर पुष्टि की कि राहुल गांधी ने उनके संस्थान से एमफिल की पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी की है। यह पुष्टि उन सभी अटकलों को समाप्त करती है जो उनकी डिग्री को लेकर थीं।
राजनीति में आने से पहले का करियर
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, राजनीति में सक्रिय रूप से आने से पहले राहुल गांधी ने अपने करियर की शुरुआत लंदन में की। उन्होंने लंदन की एक मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म ‘मॉनिटर ग्रुप’ (Monitor Group) में काम किया। यह अनुभव उन्हें व्यावसायिक दुनिया की गहरी समझ प्रदान करने वाला था।
बाद में वे भारत लौट आए और मुंबई में अपनी एक टेक्नोलॉजी कंसल्टेंसी फर्म ‘बैकऑप्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड’ (BackOps Services Pvt. Ltd.) की स्थापना की। उन्होंने विदेश में BackOps UK नाम की एक कंपनी भी बनाई, जिसे लेकर बाद में उनकी नागरिकता को लेकर विवाद भी उठा था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिससे यह विवाद भी समाप्त हो गया था। यह दर्शाता है कि राजनीति में आने से पहले उनका एक पेशेवर करियर भी था।
क्यों उठते हैं डिग्री पर सवाल?
राहुल गांधी की शिक्षा और डिग्रियों को लेकर सवाल उठने का एक मुख्य कारण यह भी रहा है कि उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान, खासकर सुरक्षा कारणों से, अपनी पहचान ‘राहुल विन्सी’ (Rahul Vinci) के नाम से रखी थी। यह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक कदम था, लेकिन बाद में इसने कुछ लोगों के बीच भ्रम पैदा किया।
इसके अलावा, कांग्रेस विरोधी राजनीतिक दलों द्वारा कई बार उनकी डिग्रियों के फर्जी होने के आरोप भी लगाए गए हैं। हालांकि, हर बार संबंधित शैक्षणिक संस्थानों, जैसे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और रॉलिन्स कॉलेज, द्वारा बार-बार इन दावों को नकारा गया है और उनकी डिग्रियों की प्रामाणिकता की पुष्टि की गई है। इसके बावजूद, यह विषय समय-समय पर राजनीतिक बहसों का हिस्सा बनता रहा है।