भारतीय नौसेना का बेड़ा मजबूत: अर्नाला युद्धपोत सहित 9-10 नए युद्धपोत होंगे शामिल
नई दिल्ली, – भारतीय नौसेना अपनी समुद्री शक्ति को लगातार बढ़ा रही है। एक महत्वपूर्ण विस्तार के तहत, नौसेना जून और दिसंबर 2025 के बीच नौ से दस नए युद्धपोतों को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस क्रम में, एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो-वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) 'अर्नाला' को 18 जून को विशाखापत्तनम में नौसेना डॉकयार्ड में कमीशन किया जाएगा। नौसेना के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि 'अर्नाला' के कमीशन होने से समुद्र में भारतीय नौसेना की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। अधिकारियों ने यह भी बताया कि 'अर्नाला' के बाद जल्द ही दो और ASW-SWC को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा, जो देश की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करेगा।
'अर्नाला': स्वदेशी शक्ति का प्रतीक
18 जून को भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला ASW-SWC 'अर्नाला' महाराष्ट्र के पालघर जिले में स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले के नाम पर रखा गया है। यह नामकरण भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास और विरासत को श्रद्धांजलि है। इस युद्धपोत का निर्माण पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता और लार्सन एंड टुब्रो शिपबिल्डर्स (L&T) द्वारा किया गया है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत रक्षा उत्पादन में स्वदेशी क्षमताओं को दर्शाता है।
'अर्नाला' पूरी तरह से स्वदेशी युद्धपोत है, जिसे भारत में ही डिजाइन और निर्मित किया गया है। यह बहुउद्देश्यीय वॉरशिप कई महत्वपूर्ण मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है, जिनमें एंटी-सबमरीन मिशन (पनडुब्बी रोधी अभियान), भूमिगत निगरानी (अंडरवाटर सर्विलांस), खोज एवं बचाव (सर्च एंड रेस्क्यू) मिशन और कम तीव्रता वाले समुद्री कार्य शामिल हैं। नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि 77.6 मीटर लंबा और 14900 ग्रॉस टन वजनी 'अर्नाला' डीजल इंजन वाटरजेट कॉम्बिनेशन से चलने वाला भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा युद्धपोत है, जो इसे तीव्र गति और बेहतर गतिशीलता प्रदान करता है।
तलवार श्रेणी का दूसरा स्टील्थ फ्रिगेट भी होगा शामिल
भारतीय नौसेना अपने बेड़े में एक और महत्वपूर्ण युद्धपोत, तलवार श्रेणी का दूसरा स्टील्थ फ्रिगेट INS 'तमाल' भी शामिल करने जा रही है। भारत-रूस के बीच 2016 में हुए समझौते के तहत हासिल किए गए चार फ्रिगेट में से यह एक है, जिसे इस महीने के अंत तक कमीशन किया जाएगा। इस 2.5 बिलियन डॉलर के सौदे के तहत, दो फ्रिगेट का निर्माण रूस में किया गया था, जबकि दो अन्य का निर्माण रूसी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में किया गया है, जो भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देता है। इसी श्रृंखला का INS 'तुशील' दिसंबर 2024 में रूस के यंतर शिपयार्ड में कमीशन किया गया था और फरवरी 2025 में भारत पहुंचा था।
युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर भारत
भारतीय नौसेना अपने युद्धपोत निर्माण में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। इस दिशा में कई परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जो देश की स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत कर रही हैं। हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में एक डाइविंग सपोर्ट शिप निर्माणाधीन है, और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) तथा GRSE द्वारा संयुक्त उद्यम के तहत बनाए जा रहे 17A नीलगिरि क्लास फ्रिगेट को भी जल्द ही शामिल किया जाएगा। नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि साल 2025 के अंत तक एक अन्य नीलगिरी क्लास फ्रिगेट भी चालू किया जा सकता है। इसके अलावा, GRSE का एक सर्वेक्षण पोत भी जल्द ही नौसेनिक बेड़े में शामिल किया जाएगा, जो समुद्री सर्वेक्षण क्षमताओं को बढ़ाएगा।
अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी में प्रगति, 'मेड इन इंडिया' के प्रयासों और नौसेना की IDDM (स्वदेशी डिजाइन, डेवलप और मेड) पहल के कारण नए जहाजों के कमीशन होने का समय काफी घट गया है। यह दर्शाता है कि भारत अब तेजी से और अधिक कुशलता से अपने नौसैनिक बेड़े का विस्तार कर सकता है। बताया जा रहा है कि साल 2035 तक कुल 175 युद्धपोतों को भारतीय नौसेना में कमीशन किया जाएगा, जो इसे दुनिया की सबसे शक्तिशाली नौसेनाओं में से एक बना देगा।
पनडुब्बी और हेलीकॉप्टर बेड़े का भी विस्तार
नौसेना केवल सतह पर चलने वाले युद्धपोतों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अपने पनडुब्बी और हवाई बेड़े को भी मजबूत कर रही है। प्रोजेक्ट 75 के तहत छठी कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी INS 'वाग्शीर' को जनवरी 2025 में कमीशन किया गया था। यह डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी तट के करीब गश्त करने और पनडुब्बी रोधी अभियानों को अंजाम देने की महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान करती है। वहीं, प्रोजेक्ट 75I के तहत 6 उन्नत अटैकिंग सबमरीन (हमलावर पनडुब्बियों) का निर्माण किया जा रहा है, जो नौसेना की पानी के नीचे की क्षमताओं को और बढ़ाएगा।
हवाई क्षमताओं को मजबूत करने के लिए, भारतीय नौसेना को एक महीने के भीतर अमेरिका से दो और MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर मिलने वाले हैं। भारतीय नौसेना द्वारा कुल 24 हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर दिया गया है, जिनमें से अब तक 13 की डिलीवरी हो चुकी है। MH-60R हेलीकॉप्टर बहुभूमिका वाले समुद्री हेलीकॉप्टर हैं जो पनडुब्बी रोधी युद्ध, सतह रोधी युद्ध, खोज और बचाव, समुद्री निगरानी और अन्य विशेष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह अधिग्रहण नौसेना की हवाई टोही और युद्धक क्षमताओं को काफी हद तक बढ़ाएगा।
इन सभी अधिग्रहणों और स्वदेशी निर्माण प्रयासों से भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमताएं और सामरिक पहुंच बढ़ेगी, जिससे यह हिंद महासागर क्षेत्र में और उससे आगे भी एक मजबूत और विश्वसनीय शक्ति बनी रहेगी।