रबी सीजन 2025-26 में रिकॉर्ड 29.92 मिलियन टन गेहूं की सरकारी खरीद, MSP पर 13% की बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने रबी मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए अब तक 29.92 मिलियन टन गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 13% अधिक है और बीते तीन वर्षों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं खरीदने का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
गेहूं खरीद की प्रमुख जानकारियां:
- देश भर में 40.42 मिलियन टन गेहूं प्रमुख मंडियों में पहुंचा, जिसमें से 29.92 मिलियन टन की खरीद सरकार ने की।
- शेष गेहूं का अधिकांश हिस्सा मिल मालिकों और व्यापारियों द्वारा MSP से कम नहीं कीमत पर खरीदा गया।
राज्यवार खरीदी विवरण:
राज्य | खरीदी गई मात्रा (मिलियन टन) |
---|---|
पंजाब | 11.93 |
मध्य प्रदेश | 7.77 |
हरियाणा | 7.14 |
राजस्थान | 2.02 |
इन चार राज्यों ने कुल खरीद में सबसे अहम भूमिका निभाई है।
सरकारी भंडारण की स्थिति:
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास वर्तमान में 36.65 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक मौजूद है, जो कि 1 जुलाई 2025 तक के लिए निर्धारित 27.58 मिलियन टन की बफर आवश्यकता से कहीं अधिक है।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह स्टॉक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और बाजार हस्तक्षेप योजनाओं (MIS) के तहत कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए पर्याप्त है।
गेहूं उत्पादन और बाजार भाव:
कृषि मंत्रालय के अनुसार, फसल वर्ष 2024-25 (जुलाई-जून) में भारत का गेहूं उत्पादन 117.5 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है, जो कि 3.7% की वार्षिक वृद्धि दर्शाता है।
राज्यवार औसत मंडी मूल्य (₹ प्रति क्विंटल):
- मध्य प्रदेश: ₹2,521
- पंजाब: ₹2,475
- राजस्थान: ₹2,465
- हरियाणा: ₹2,425
वहीं, खुदरा स्तर पर गेहूं का मूल्य ₹28 प्रति किलोग्राम दर्ज किया गया।
स्टॉक सीमा और जमाखोरी पर नियंत्रण:
खाद्य सुरक्षा और मुद्रास्फीति नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने थोक और खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा लागू की है:
- थोक व्यापारी: अधिकतम 3,000 मीट्रिक टन
- खुदरा व्यापारी: अधिकतम 10 मीट्रिक टन
यह आदेश मई के अंतिम सप्ताह में जारी किया गया था, जिससे जमाखोरी और कालाबाज़ारी जैसी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
इस वर्ष की गेहूं खरीद नीति और मजबूत सरकारी हस्तक्षेपों ने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र सरकार कृषि उत्पादकों के हितों की रक्षा के साथ-साथ मुद्रास्फीति नियंत्रण को प्राथमिकता दे रही है। रिकॉर्ड उत्पादन और खरीद दोनों मिलकर देश के खाद्य सुरक्षा लक्ष्य को मजबूती प्रदान करते हैं।