केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2025-26 के लिए किसानों की ब्याज छूट योजना जारी रखने को दी मंजूरी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान किसानों को ऋण पर ब्याज छूट देने वाली संशोधित ब्याज छूट योजना (MIS – Modified Interest Subvention Scheme) को जारी रखने की मंजूरी दी है। साथ ही, योजना के लिए आवश्यक निधि व्यवस्था को भी मंजूरी दी गई।
यह योजना किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के माध्यम से कम ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराकर कृषि क्षेत्र में वित्तीय समावेशन और उत्पादन बढ़ाने में मदद करती है।
संशोधित ब्याज छूट योजना (एमआईएसएस) क्या है?
एमआईएसएस एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को सस्ते ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराना है। इसके तहत, किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसानों को 3 लाख रुपये तक का ऋण 7% ब्याज दर पर दिया जाता है।
इस योजना के तहत पात्र ऋण देने वाली संस्थाओं को 1.5% ब्याज छूट मिलती है, जिससे किसानों के लिए प्रभावी ब्याज दर घटकर 5.5% रह जाती है।
इसके अलावा, यदि किसान समय पर ऋण का भुगतान करते हैं, तो उन्हें शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (PRI) के तहत 3% का अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलता है, जिससे उनकी वास्तविक ब्याज दर केवल 4% रह जाती है।
यह प्रोत्साहन किसानों को समय पर ऋण चुकाने के लिए प्रेरित करता है और उनकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करता है।
योजना के मुख्य लाभ और पात्रता
- अल्पकालिक ऋण: किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक ऋण।
- ब्याज छूट: 1.5% ब्याज छूट ऋण देने वाली संस्थाओं को।
- प्रोत्साहन: शीघ्र पुनर्भुगतान करने पर 3% तक का प्रोत्साहन।
- विशेष प्रावधान: केवल पशुपालन या मत्स्य पालन के लिए लिए गए ऋणों पर ब्याज लाभ 2 लाख रुपये तक लागू।
कृषि क्षेत्र में योजना का महत्व और प्रभाव
कृषि क्षेत्र में वित्तीय समावेशन और उत्पादन बढ़ाने के लिए एमआईएसएस योजना अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
देश में 7.75 करोड़ से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड खाते हैं, जो इस योजना की व्यापक पहुंच का प्रमाण है।
किसानों को सस्ता और समय पर ऋण मिलना उनके उत्पादन और जीवन स्तर को सुधारने में मदद करता है।
एमआईएसएस के तहत ऋण वितरण 2014 में 4.26 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर 2024 तक 10.05 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
यह स्पष्ट करता है कि योजना ने किसानों को संस्थागत ऋण तक बेहतर पहुंच प्रदान की है।
कुल कृषि ऋण प्रवाह में बढ़ोतरी
वित्तीय वर्ष 2013-14 में कुल कृषि ऋण प्रवाह 7.3 लाख करोड़ रुपये था, जो बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 25.49 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
यह वृद्धि देश में कृषि क्षेत्र में बढ़ती संस्थागत वित्तीय सहायता और किसानों की बढ़ती वित्तीय जरूरतों को दर्शाती है।
कृषि क्षेत्र में बेहतर वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता से खेती के लिए नए तकनीक और संसाधनों का इस्तेमाल संभव हो पाया है, जिससे उत्पादन और आय में वृद्धि हुई है।
डिजिटल सुधार और पारदर्शिता
अगस्त 2023 में किसान ऋण पोर्टल की शुरुआत जैसे डिजिटल सुधारों ने ऋण वितरण और क्लेम प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाई है।
डिजिटल प्रणाली के कारण किसान आसानी से अपने ऋण आवेदन और भुगतान की स्थिति को ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं।
यह सुधार किसानों को वित्तीय सहायता पाने में सहायता करता है और योजना की प्रभावशीलता को बढ़ाता है।
सरकार की प्रतिबद्धता: ग्रामीण क्रेडिट इकोसिस्टम और किसान आय
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मौजूदा ऋण लागत, एमसीएलआर और रेपो दर की प्रवृत्तियों को ध्यान में रखते हुए, ग्रामीण और सहकारी बैंकों को समर्थन देना आवश्यक है।
सरकार ब्याज छूट दर को 1.5% पर बनाए रखकर किसानों के लिए कम लागत वाले ऋण उपलब्ध कराने के अपने लक्ष्य को जारी रखेगी।
मंत्रिमंडल का यह निर्णय किसानों की आय को दोगुना करने, ग्रामीण क्रेडिट इकोसिस्टम को मजबूत करने और कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का स्पष्ट संकेत है।
कृषि क्षेत्र के लिए ऋण का बढ़ता महत्व
किसान क्रेडिट कार्ड और एमआईएसएस जैसी योजनाओं से छोटे और सीमांत किसानों को विशेष लाभ मिला है।
वे अब अधिक आसानी से कृषि से जुड़ी आवश्यकताओं जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशक, उपकरण और पशुपालन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त कर पा रहे हैं।
यह सुविधा खेती के आधुनिक तरीकों को अपनाने में भी मददगार साबित हो रही है, जिससे खेती की उत्पादकता बढ़ रही है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा संशोधित ब्याज छूट योजना को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जारी रखना किसानों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
यह योजना न केवल किसानों को सस्ती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराती है, बल्कि उन्हें समय पर भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित भी करती है।
सरकार की यह पहल भारत के ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को साकार करने में सहायक होगी।