क्रिकेट विवाद: 'बौना' कांड का सच आया सामने—बावुमा का बड़ा खुलासा, कहा- "बुमराह और पंत ने मांगी थी माफी, लेकिन वो शब्द मैं नहीं भूला
जोहानिसबर्ग/नई दिल्ली — क्रिकेट के मैदान पर स्लेजिंग और तीखी नोकझोंक कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में संपन्न हुए भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका दौरे (India Tour of South Africa) के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिसने जेंटलमैन गेम की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए थे। कोलकाता टेस्ट के दौरान स्टंप माइक पर कैद हुई एक टिप्पणी ने खूब बवाल मचाया था, जिसमें भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) और विकेटकीपर ऋषभ पंत (Rishabh Pant) ने कथित तौर पर दक्षिण अफ्रीकी कप्तान टेम्बा बावुमा (Temba Bavuma) के कद का मजाक उड़ाते हुए उन्हें 'बौना' कहा था।
अब, सीरीज खत्म होने के बाद टेम्बा बावुमा ने इस पूरे प्रकरण पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। 'ईएसपीएन क्रिकइंफो' (ESPNcricinfo) के लिए लिखे अपने कॉलम में उन्होंने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि मैच के बाद दोनों भारतीय स्टार्स ने उनसे निजी तौर पर माफी मांग ली थी। हालांकि, बावुमा ने यह भी साफ कर दिया कि मैदान पर जो कहा जाता है, उसे भुलाया नहीं जाता, बल्कि उसे एक 'ईंधन' (Fuel) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
"मैदान की बात मैदान पर, लेकिन शब्द याद रहते हैं"
बावुमा ने अपने कॉलम में उस घटना का विस्तार से जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि जब यह घटना हुई, उस वक्त उन्हें पता भी नहीं था कि उनके बारे में क्या कहा गया है, क्योंकि कमेंट हिंदी (या उनकी अपनी भाषा) में था।
बावुमा ने लिखा:
"मुझे पता है कि मेरे साथ एक घटना हुई थी जहां उन्होंने अपनी भाषा में मेरे बारे में कुछ कहा था। लेकिन दिन के अंत में दो सीनियर खिलाड़ी, ऋषभ पंत और जसप्रीत बुमराह मेरे पास आए और उन्होंने माफी मांग ली। जब माफी मांगी गई, तो मैं अंधेरे में था कि यह किस बारे में है। मुझे अपने मीडिया मैनेजर से बात करनी पड़ी तब मुझे पता चला।"
उन्होंने आगे जोड़ा, "जो मैदान पर होता है, वह मैदान पर ही रहता है, लेकिन आप यह नहीं भूलते कि क्या कहा गया था। आप इसे प्रेरणा के रूप में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कोई दुश्मनी (Grudges) नहीं है।"
यह बयान बावुमा की परिपक्वता को दर्शाता है, लेकिन साथ ही यह भी इशारा करता है कि शारीरिक बनावट पर टिप्पणी करना किसी भी खिलाड़ी के लिए स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।
कोच शुकरी कॉनराड के 'Grovel' बयान पर भी बोले
विवाद सिर्फ भारतीय खिलाड़ियों तक सीमित नहीं था। दक्षिण अफ्रीका के हेड कोच शुकरी कॉनराड (Shukri Conrad) भी अपनी जुबान के कारण फंस गए थे। गुवाहाटी में दूसरे टेस्ट के दौरान, जब दक्षिण अफ्रीका मजबूत स्थिति में था, कॉनराड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वे भारतीय टीम को 'घुटने पर लाना' (Grovel) चाहते हैं।
इस शब्द के ऐतिहासिक और नस्लीय संदर्भ (जो 1976 में टोनी ग्रेग ने वेस्टइंडीज के लिए इस्तेमाल किया था) के कारण भारी बवाल हुआ था।
बावुमा ने अपने कोच का बचाव करते हुए भी गलती मानी। उन्होंने कहा:
- गलत शब्द चयन: "शुकरी को भी अपनी टिप्पणी के लिए आलोचना झेलनी पड़ी। मुझे लगा कि शुकरी बेहतर शब्दों का इस्तेमाल कर सकते थे और बाद में उन्होंने भी यह स्वीकार किया।"
- संदर्भ: बावुमा ने कहा कि कोच का इरादा किसी को नीचा दिखाना नहीं था, बल्कि वे केवल यह बताना चाहते थे कि टेस्ट सीरीज कितनी प्रतिस्पर्धी और कठिन थी। "शुकरी ने वनडे सीरीज के बाद बात की और उस मुद्दे को खत्म कर दिया," बावुमा ने लिखा।
25 साल बाद जीत का सूखा खत्म, लेकिन वनडे में मात
यह दौरा दक्षिण अफ्रीका के लिए मिला-जुला रहा।
- टेस्ट में इतिहास: टेम्बा बावुमा की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका ने भारत में 25 साल बाद टेस्ट सीरीज जीती। दो मैचों की सीरीज में भारत का सूपड़ा साफ (2-0) करके उन्होंने आलोचकों को करारा जवाब दिया।
- सफेद गेंद में संघर्ष: हालांकि, वनडे और टी20 सीरीज में भारतीय टीम ने वापसी की और सीरीज अपने नाम की।
बावुमा का यह कॉलम इसलिए भी अहम है क्योंकि इसमें उन्होंने जीत के जश्न के बीच खेल भावना और शब्दों की मर्यादा पर एक गंभीर विमर्श छेड़ा है।
क्यों अहम है यह खुलासा?
अक्सर मैदान पर हुई स्लेजिंग को 'हीट ऑफ द मोमेंट' कहकर खारिज कर दिया जाता है। लेकिन एक अंतरराष्ट्रीय कप्तान द्वारा सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार करना कि विरोधी टीम के खिलाड़ियों ने माफी मांगी है, यह बताता है कि बुमराह और पंत को अपनी गलती का एहसास हो गया था। यह भारतीय टीम के लिए भी एक सबक है कि आक्रामकता और अभद्रता के बीच एक महीन रेखा होती है, जिसे पार नहीं किया जाना चाहिए।
हमारी राय
क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, लेकिन व्यक्तिगत टिप्पणियां, विशेषकर किसी के शारीरिक गठन (Body Shaming) पर, खेल भावना के विपरीत हैं। टेम्बा बावुमा ने जिस शालीनता से इस पूरे मामले को संभाला और माफी को स्वीकार किया, वह उन्हें एक सच्चा 'लीडर' साबित करता है।
The Trending People का मानना है कि ऋषभ पंत और जसप्रीत बुमराह का माफी मांगना एक सराहनीय कदम था, जो उनकी खेल भावना को बचाता है। हालांकि, भविष्य में खिलाड़ियों को स्टंप माइक के दौर में अपनी जुबान पर लगाम लगाने की जरूरत है। वहीं, कोच शुकरी कॉनराड का प्रकरण सिखाता है कि शब्दों का चयन कितना महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक गलत शब्द ऐतिहासिक जीत की चमक को फीका कर सकता है। यह सीरीज खेल से ज्यादा 'जुबानी जंग' के लिए याद रखी जाएगी।