Sheikh Hasina Interview: बांग्लादेश की हिंसा पर साजिश का आरोप, अंतरिम सरकार पर उठे गंभीर सवाल
नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 2024 में हुई हिंसा को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए मौजूदा अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक इंटरव्यू में हसीना ने कहा कि 2024 की अशांति किसी स्वतःस्फूर्त छात्र आंदोलन का परिणाम नहीं थी, बल्कि उग्रवादी तत्वों द्वारा रची गई एक सुनियोजित साजिश थी। उन्होंने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है।
हसीना के मुताबिक, प्रारंभिक चरण में छात्रों की मांगों को सुना गया और शांतिपूर्ण विरोध को स्थान दिया गया, लेकिन बाद में हालात तेजी से बिगड़े। उनके अनुसार हिंसक भीड़ ने पुलिस थानों, संचार ढांचे और सरकारी संस्थानों को निशाना बनाया, जिससे कानून-व्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचा।
देश छोड़ने का फैसला और वापसी की शर्तें
देश छोड़ने के फैसले को हसीना ने अपने जीवन का सबसे कठिन निर्णय बताया। उनका कहना है कि उस समय प्राथमिकता और अधिक रक्तपात को रोकना था। उन्होंने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश में उनकी वापसी तभी संभव है जब संविधान आधारित शासन बहाल हो, अवैध प्रतिबंध हटें, राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए और निष्पक्ष व समावेशी चुनाव कराए जाएं। हसीना ने अवामी लीग पर लगे प्रतिबंध को लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध बताया।
न्यायिक जांच और अंतरिम सरकार पर आरोप
पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अगस्त 2024 की घटनाओं की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग को अंतरिम सरकार द्वारा भंग किया जाना संदेह पैदा करता है। उनके अनुसार, जांच रोके जाने से यह संकेत मिलता है कि सच्चाई सामने आने से बचा जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हिंसा में शामिल कुछ तत्वों को रिहा किया गया, जिससे कट्टरपंथ को अप्रत्यक्ष संरक्षण मिला।
चुनाव, अर्थव्यवस्था और संस्थागत संकट
हसीना ने कहा कि अवामी लीग के बिना किसी भी चुनाव को निष्पक्ष नहीं माना जा सकता। उन्होंने फरवरी 2026 में प्रस्तावित चुनावों की वैधता पर सवाल उठाए और कहा कि मौजूदा हालात केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि संस्थागत कट्टरता का संकेत हैं। उनके अनुसार, पहले के वर्षों में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि हुई थी, लेकिन अब ठहराव के संकेत दिख रहे हैं। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी उन्होंने चिंता जताई।
विदेश नीति और क्षेत्रीय संतुलन
विदेश नीति के मोर्चे पर हसीना ने कहा कि बिना जनादेश के किसी भी सरकार को नीति में बड़े बदलाव का अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकी को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत बताई और भारत के साथ ऐतिहासिक व रणनीतिक संबंधों के महत्व पर जोर दिया।
हमारी राय
शेख हसीना के बयान बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अनिश्चितता की गहराई को रेखांकित करते हैं। हिंसा, न्यायिक प्रक्रिया, चुनावी वैधता और विदेश नीति जैसे मुद्दों पर उठे सवाल यह संकेत देते हैं कि संकट केवल सत्ता परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि संस्थानों की मजबूती से जुड़ा है। किसी भी लोकतंत्र में स्थिरता का आधार संविधान, स्वतंत्र जांच और समावेशी चुनाव होते हैं। यदि राजनीतिक दलों की भागीदारी सीमित होती है और जांच प्रक्रियाएं बाधित होती हैं, तो अविश्वास बढ़ता है। बांग्लादेश के लिए आगे का रास्ता संवाद, पारदर्शिता और व्यापक राजनीतिक सहमति से होकर ही गुजरता दिखता है।
