पौष प्रतिपदा पर शुक्रवार व्रत का शुभ संयोग: लक्ष्मी-संतोषी पूजा से दूर होंगे कष्ट, बढ़ेगा सौभाग्य
पौष प्रतिपदा पर शुक्रवार व्रत का विशेष महत्व
पौष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा इस बार शुक्रवार को पड़ रही है, जो ज्योतिष और पुराणों के अनुसार अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन सूर्य देव वृश्चिक राशि में और चंद्रमा रात 10:15 बजे तक वृषभ राशि में रहेंगे, इसके बाद मिथुन में प्रवेश करेंगे। यह ग्रह-स्थिति समृद्धि और सौभाग्य का विशेष योग बना रही है।
अभिजित मुहूर्त और राहुकाल
द्रिक पंचांग के अनुसार शुक्रवार को
अभिजित मुहूर्त — 11:51 पूर्वाह्न से 12:33 अपराह्न तक
राहुकाल — 10:54 पूर्वाह्न से 12:12 अपराह्न तक
मां लक्ष्मी और संतोषी माता की पूजा का लाभ
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शुक्रवार का व्रत मां लक्ष्मी और मां संतोषी को समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत से
• आर्थिक कष्ट दूर होते हैं
• परिवार में सुख-शांति आती है
• सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है
• शुक्र ग्रह से संबंधित दोष कम होते हैं
यह व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है और आमतौर पर लगातार 16 शुक्रवार तक किया जाता है।
पूजा-विधि
• ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
• लाल कपड़े पर मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
• दीपक जलाकर चंदन, अक्षत, पुष्प और मिठाई का भोग लगाएं
• श्री सूक्त और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें
• निम्न मंत्र का कम से कम 108 बार जप फलदायी माना गया है:
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
व्रत के दौरान सावधानियां
• संतोषी माता के व्रत में खट्टी चीजों का सेवन वर्जित होता है
• दिन में एक समय मीठे के साथ एक अनाज का भोजन कर सकते हैं
• प्याज, लहसुन और मांसाहार से परहेज़ रखें
• घर के अन्य सदस्यों को भी तामसिक भोजन न दिया जाए
• गरीबों को भोजन, कंबल और वस्त्र दान करना शुभ फल दिलाता है
पौष मास आध्यात्मिक साधना, दान-पुण्य और आत्मिक संतुलन का काल माना जाता है। प्रतिपदा के शुक्रवार पर व्रत और पूजा का संयोग भक्तों के लिए विशेष शुभ अवसर है। श्रद्धा और संयम के साथ इस दिन पूजा करने से न केवल आर्थिक और पारिवारिक कष्ट दूर होते हैं, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है।
.jpg)