नेतन्याहू की माफी अर्जी पर कानूनी पेंच: पूर्व वकील बोले — “अपराध स्वीकार किए बिना माफी संभव नहीं”
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा राष्ट्रपति आइजैक हर्जोग से क्षमाप्रार्थना करते हुए 111 पन्नों का दस्तावेज सौंपने के बाद अब फैसला राष्ट्रपति के पाले में है। हालांकि, इस प्रक्रिया पर बड़ा कानूनी पेंच सामने आया है। नेतन्याहू के पूर्व वकील ने साफ कहा है कि इजरायली कानून के अनुसार अपराध स्वीकार किए बिना माफी संभव नहीं है।
पूर्व वकील का खुलासा — “कानून कहता है, अपराधी को माफी तभी मिलती है जब वह गुनाह कबूल करे”
इजरायली टीवी चैनल 12 के साथ बातचीत में नेतन्याहू के पूर्व वकील मिकाह फेटमैन ने कहा —
“एक अपराधी को माफी दी जाती है — यही कानून में दर्ज है। राष्ट्रपति तभी माफी दे सकते हैं जब आरोपी अपराध स्वीकार करे।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि नेतन्याहू रिश्वत, धोखाधड़ी और जनता से विश्वासघात के आरोपों से बरी होना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने गुनाह स्वीकार नहीं किया है, इसलिए माफी कानूनी हिसाब से चुनौतीपूर्ण है।
फेटमैन के अनुसार, इजरायल में माफी की प्रक्रिया गंभीर संवैधानिक मुद्दा रही है और उसके लिए दोष स्वीकार करना या अदालत द्वारा दोष सिद्ध होना अनिवार्य माना गया है।
इतिहास के उदाहरण का हवाला
पूर्व वकील ने बताया कि ट्रायल से पहले माफी देना बेहद दुर्लभ है।
इसके सबसे निकटतम उदाहरण के रूप में उन्होंने 1984 के बस 300 मामले का उल्लेख किया, जिसमें शिन बेट एजेंटों ने दो फिलिस्तीनियों की हत्या की थी और बाद में झूठ बोला था कि वे बस अपहरण की कोशिश कर रहे थे।
उन्होंने बताया —
“उस मामले में भी राष्ट्रपति चैम हर्जोग ने तभी माफी दी जब दोषियों ने गुनाह स्वीकार किया था। हाई कोर्ट ने भी उस समय स्पष्ट किया था कि माफी के लिए गुनाह स्वीकारने की शर्त जरूरी है।”
विपक्ष बोला — “बिना अपराध स्वीकार किए माफी देना लोकतंत्र पर खतरा”
‘द टाइम्स ऑफ इजरायल’ के अनुसार विपक्षी नेता यैर लापिद सहित कई नेताओं ने कठोर प्रतिक्रिया दी है।
उनके अनुसार —
“बिना अपराध स्वीकार किए माफी मिलना कानून से ऊपर होने जैसा होगा और इससे लोकतंत्र की नींव हिल जाएगी।”
विपक्ष का दावा है कि माफी की अर्जी न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर करने और भ्रष्टाचार मुकदमों को समाप्त करने की राजनीतिक कोशिश है।
समर्थकों का तर्क — “मुकदमे राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित”
नेतन्याहू समर्थकों ने आरोप लगाया है कि यह मुकदमे वर्षों से राजनीतिक प्रेरणा के तहत चलाए जा रहे हैं और राष्ट्र हित में इन्हें समाप्त किया जाना चाहिए।
उनका कहना है कि प्रधानमंत्री पर लगाए गए आरोप जनता के विश्वास को तोड़ने के लिए रचे गए राजनीतिक षड्यंत्र हैं।
अब फैसला राष्ट्रपति के हाथ में, दोनों ओर दबाव
नेतन्याहू की माफी अर्जी ने इजरायली राजनीति में पहले से मौजूद ध्रुवीकरण को और तीखा कर दिया है।
विश्लेषकों का मानना है कि:
- यदि राष्ट्रपति माफी स्वीकार करते हैं, तो उन पर कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर सवाल उठेंगे
- यदि माफी ठुकराते हैं, तो मुकदमा महीनों तक राजनीति को अस्थिर रख सकता है
अमेरिका के साथ संबंधों पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी नेतन्याहू को मुकदमों से छूट देने के पक्ष में रहे हैं।
TheTrendingPeople.com की राय में
कानून और लोकतंत्र की मजबूती न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर निर्भर करती है। यदि माफी न्यायिक सिद्धांतों के विरुद्ध दी जाती है, तो यह संस्थाओं में जनविश्वास को आहत कर सकता है। ऐसे संवेदनशील मामलों में न्याय और परंपरा दोनों की रक्षा आवश्यक है।