बांग्लादेश में 'सिर पर गोली' मारने का खूनी ट्रेंड—उस्मान हादी के बाद अब NCP नेता मोतालेब सिकदार पर जानलेवा हमला, सुलग उठा ढाका
ढाका/नई दिल्ली, दिनांक: 22 दिसंबर 2025 — बांग्लादेश की धरती एक बार फिर खून से लाल हो गई है। अभी देश इंकलाब मंच के प्रवक्ता और छात्र नेता शरीफ उस्मान बिन हादी की नृशंस हत्या के सदमे से उबरा भी नहीं था कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के लिए एक और नया सिरदर्द खड़ा हो गया है। सोमवार को एक और हाई-प्रोफाइल राजनीतिक हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के खुलना डिविजनल प्रमुख और पार्टी के केंद्रीय आयोजक मोतालेब सिकदार (Motaleb Sikder) को दिनदहाड़े सिर में गोली मार दी गई। हमलावरों ने ठीक उसी खौफनाक स्टाइल (Modus Operandi) को अपनाया, जैसा उस्मान हादी की हत्या में देखा गया था—सीधे सिर पर वार। गंभीर रूप से घायल सिकदार को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है और वे जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
खौफ का पैटर्न: 'हेडशॉट' से दहल उठी राजनीति
यह हमला महज एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा नजर आता है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, हमलावरों ने मोतालेब सिकदार को निशाना बनाते समय भी उसी सटीकता का इस्तेमाल किया, जैसा हादी के मामले में हुआ था। सिर में गोली मारने का यह पैटर्न यह दर्शाता है कि हमलावर केवल डराना नहीं, बल्कि नेतृत्व को खत्म करना चाहते हैं।
यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब पूरा बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता और सड़कों पर हिंसा की आग में जल रहा है। एक के बाद एक युवा नेताओं पर हो रहे इन हमलों ने नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की कानून-व्यवस्था (Law and Order) की धज्जियां उड़ा दी हैं।
कौन है NCP और मोतालेब सिकदार?
बांग्लादेश की मौजूदा उथल-पुथल में नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) यानी 'जातीय नागरिक पार्टी' एक नई लेकिन महत्वपूर्ण खिलाड़ी है।
- स्थापना: इस पार्टी का गठन 28 फरवरी 2025 को हुआ था।
- पृष्ठभूमि: यह पार्टी जुलाई 2024 के उस ऐतिहासिक छात्र आंदोलन की उपज है, जिसने शेख हसीना की लौह सरकार को उखाड़ फेंका था।
- विचारधारा: इसे एक मध्यमार्गी (Centrist) पार्टी माना जाता है, जिसका नेतृत्व प्रमुख छात्र नेता नाहिद इस्लाम कर रहे हैं। यह पार्टी शेख हसीना की अवामी लीग की घोर विरोधी है और 'नए बांग्लादेश' के निर्माण की बात करती है।
मोतालेब सिकदार इस पार्टी के खुलना संभाग के प्रमुख चेहरे थे और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में लगे थे। उन पर हमला सीधे तौर पर नई उभरती राजनीतिक ताकत को कुचलने का प्रयास माना जा रहा है।
उस्मान हादी की हत्या के बाद नहीं संभला बांग्लादेश
इंकलाब मंच के प्रवक्ता उस्मान हादी की हत्या ने पहले ही ढाका समेत कई शहरों में आग लगा दी थी। मीडिया दफ्तरों पर हमले, आगजनी और तोड़फोड़ ने हालात को बेकाबू कर दिया है। इंकलाब मंच ने सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, जिसे बाद में जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का भी समर्थन मिल गया।
लेकिन विडंबना देखिए, रविवार को बांग्लादेश पुलिस ने खुद अपनी लाचारी स्वीकार कर ली। पुलिस ने माना कि हादी हत्याकांड के मुख्य संदिग्ध की लोकेशन को लेकर उसके पास कोई ‘ठोस और विशिष्ट जानकारी’ (Concrete Info) नहीं है। जब एजेंसियां एक हत्यारे को नहीं ढूंढ पा रही हैं, ऐसे में मोतालेब सिकदार पर हुआ हमला सरकार के मुंह पर एक तमाचा है।
BNP का विस्फोटक खुलासा: "जमानत के पीछे जमात का हाथ"
इस खूनी खेल के बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की वरिष्ठ नेता निलोफर चौधरी मोनी ने एक टीवी डिबेट में सनसनीखेज आरोप लगाकर सियासी भूचाल ला दिया है।
मोनी ने दावा किया:
"जिस व्यक्ति ने हादी को मारने की कोशिश की, उसके बैकग्राउंड को देखिए। उसे हत्या से पहले दो बार जमानत किसने दिलाई? यह काम शिशिर मनीर ने किया, जो जमात-ए-इस्लामी से जुड़े वरिष्ठ वकील और नेता हैं। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह कह रही हूं।"
यह आरोप बेहद गंभीर है क्योंकि यह इशारा करता है कि हत्यारों को राजनीतिक और कानूनी संरक्षण मिल रहा है। मोनी ने यह भी कहा कि संदिग्ध शूटर के संबंध 'बांग्लादेश छात्र लीग' और 'इस्लामी छात्र शिबिर' जैसे संगठनों से रहे हैं। उन्होंने अपनी सुरक्षा की चिंता जताते हुए कहा, "अगर मैं ज्यादा बोलूं तो शायद सुरक्षित घर भी न पहुंच पाऊं। हमने शेख हसीना को हटाया, लेकिन इस अराजकता के लिए नहीं।"
क्यों सुलग रहा है बांग्लादेश?
डेढ़ साल से बांग्लादेश तबाही की राह पर है। शेख हसीना के हटने के बाद उम्मीद थी कि लोकतंत्र बहाल होगा, लेकिन हुआ इसका उल्टा।
- कट्टरपंथ का उदय: भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थित कट्टरपंथी ताकतें हावी हो गई हैं।
- यूनुस सरकार की विफलता: मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस हालात को संभालने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि वे कट्टरपंथियों के दबाव में काम कर रहे हैं।
- भीड़तंत्र (Mobocracy): सड़कों पर भीड़ का राज है। जो भी विरोध करता है, उसे हिंसा का शिकार होना पड़ता है।
हमारी राय
बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह सिर्फ राजनीतिक हिंसा नहीं, बल्कि एक 'फेल स्टेट' (Failed State) बनने की ओर बढ़ते कदम हैं। उस्मान हादी और अब मोतालेब सिकदार जैसे युवा नेताओं को निशाना बनाना यह बताता है कि वहां की 'डीप स्टेट' या कट्टरपंथी तत्व किसी भी नए और प्रगतिशील नेतृत्व को पनपने नहीं देना चाहते।
The Trending People का मानना है कि यूनुस सरकार की चुप्पी और पुलिस की लाचारी ने अपराधियों के हौसले बुलंद कर दिए हैं। अगर एक आरोपी को दो बार जमानत मिल जाती है और फिर वह हत्या को अंजाम देता है, तो यह न्यायिक और पुलिसिया तंत्र की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। भारत को अपने इस पड़ोसी मुल्क के हालात पर पैनी नजर रखनी होगी, क्योंकि वहां की आग की लपटें सीमाओं को नहीं पहचानतीं। शेख हसीना को हटाना आसान था, लेकिन अब जिस 'अराजकता के जिन्न' को बोतल से बाहर निकाला गया है, उसे वापस डालना नामुमकिन सा लग रहा है।