भागवत झा ‘आजाद’: एक गोली, एक अफवाह और एक नाम… जिसने बना दिया इतिहास
नेशनल डेस्क: आज से करीब 80 साल पहले, जब देश ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की आग में जल रहा था, उसी दौर में बिहार का एक युवा क्रांतिकारी इतिहास की एक अनोखी कहानी लिख रहा था। यह युवा था भागवत झा, जो बाद में पूरे देश में भागवत झा ‘आजाद’ के नाम से जाना गया। उनके नाम में जुड़ा ‘आजाद’ सिर्फ एक उपनाम नहीं, बल्कि संघर्ष, साहस और अदम्य जज्बे का प्रतीक बन गया।
साल 1942 में, जब वे टीएनबी कॉलेज, भागलपुर में पढ़ाई कर रहे थे, तभी सुल्तानगंज में ब्रिटिश सरकार की एक हथियारों से भरी ट्रेन को लूटने की योजना बनाई गई। ब्रिटिश पुलिस को भनक लगते ही गोलीबारी शुरू की गई। इसी गोलीबारी में भागवत झा की जांघ में गोली लगी और वे जमीन पर गिर पड़े। अफवाह फैल गई कि उनकी मौत हो चुकी है। लेकिन गिरफ्तारी से ठीक पहले वे होश में आए और साथियों की मदद से वहां से फरार हो गए।
यहीं से वे सचमुच ‘आजाद’ बन गए—और यह नाम उनकी पहचान बन गया।
छह बार सांसद और एक ईमानदार मुख्यमंत्री
स्वतंत्रता आंदोलन से निकले भागवत झा आजाद ने राजनीति में भी मिसाल कायम की। वे भागलपुर से लगातार छह बार सांसद बने, केंद्र में मंत्री रहे और 1988–89 में अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री भी।
उनकी छवि साफ-सुथरी, ईमानदार और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रही। कहा जाता है कि उनके समय में सत्ता का घमंड नहीं, बल्कि जनता की सेवा प्राथमिकता थी।
अपहरण कांड जिसने राजनीति बदल दी
17 दिसंबर 1988 को भागलपुर में हुए एक सनसनीखेज अपहरण मामले ने उनका राजनीतिक सफर हिलाकर रख दिया।
एनएसयूआई के नेता प्रवीण सिंह द्वारा एक डॉक्टर की बेटी का अपहरण, और प्रवीण के मुख्यमंत्री से नज़दीकी होने की चर्चा ने माहौल को विस्फोटक बना दिया।
तीन दिन तक हड़ताल और उग्र प्रदर्शन होते रहे। लड़की को लौटाने के बाद भी इसका असर इतना गहरा था कि भागवत झा की सरकार लड़खड़ा गई और वे धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए।
साहित्यिक योगदान
राजनीति से परे, भागवत झा ‘आजाद’ एक गंभीर साहित्यकार भी थे। उनकी किताब ‘मृत्युंजयी’ लोगों में आत्मबल, संघर्ष और जनसेवा की भावना जगाती है। यह पुस्तक आज भी राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है।
भागवत झा आजाद की कहानी सिर्फ एक नेता की जीवनी नहीं, बल्कि एक स्वतंत्रता सेनानी, एक ईमानदार प्रशासक और एक संवेदनशील लेखक की गाथा है—जो आज भी प्रेरणा देती है।