संविधान दिवस पर अखिलेश यादव का BJP पर तीखा हमला, कहा—'वोट का अधिकार खतरे में'
नई दिल्ली, 26 नवंबर — संविधान दिवस के मौके पर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान की बात करने वाली BJP ही उसे सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा रही है। उनका कहना है कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा दिया गया सबसे बड़ा अधिकार—वोट—आज खतरे में है, क्योंकि सरकार व्यवस्थित तरीके से लाखों लोगों को वोटिंग अधिकार से दूर करने की कोशिश कर रही है।
“UP में साजिश के तहत लाखों वोट काटे जा रहे हैं”
अखिलेश यादव ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक स्तर पर बड़े पैमाने पर वोट काटने की साजिशें चल रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जाति के आधार पर अधिकारियों की नियुक्ति कराई जा रही है ताकि राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।
उन्होंने कहा, “वे अलग-अलग बहानों से लाखों लोगों को उनके वोट के अधिकार से दूर कर रहे हैं। अधिकारियों को भी इस काम में लगाया जा रहा है।”
“पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश के नाम पर साजिशें”
सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि BJP पश्चिम बंगाल में भी बांग्लादेश के नाम पर साजिशें रच रही है और वोटिंग पैटर्न को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।
अखिलेश ने कहा कि BJP सेक्युलरिज़्म को नहीं समझती और उनकी सरकार में "न सोशलिस्ट बचा है, न ही सेक्युलरिज़्म"।
उन्होंने आगे कहा कि SIR प्रक्रिया के नाम पर सरकार ने लोकतंत्र को भी खतरे में डाल दिया है।
“SIR ने लोकतंत्र को खतरे में डाला”
अखिलेश यादव ने मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के तरीके की आलोचना करते हुए कहा कि इससे करोड़ों लोगों के वोट प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया जनता का अधिकार छीनने जैसा है और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाती है।
सियासी माहौल गर्माया
अखिलेश के इन आरोपों के बाद राजनीतिक माहौल और गरम हो गया है। विपक्ष लंबे समय से आरोप लगाता रहा है कि चुनावी प्रक्रियाओं पर सरकारी दखल बढ़ती जा रही है। दूसरी ओर BJP पहले ही कह चुकी है कि विपक्ष तथ्यहीन आरोप लगाकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है।
Final Thoughts from TheTrendingPeople
संविधान दिवस पर उठे सवाल यह संकेत देते हैं कि देश में चुनावी प्रक्रियाओं और मताधिकार से जुड़े विवाद लगातार गहराते जा रहे हैं। अखिलेश यादव के आरोप राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, खासकर तब जब SIR, वोटर लिस्ट संशोधन और संस्थागत पारदर्शिता जैसे मुद्दे चर्चा के केंद्र में हैं। लोकतंत्र का सबसे बड़ा आधार—वोट का अधिकार—हर नागरिक के लिए सुरक्षित और सुनिश्चित होना चाहिए।