भारतीय चीनी उद्योग का दृष्टिकोण: 2026 में उत्पादन में 15% वृद्धि का अनुमान
नई दिल्ली: भारत, एक कृषि प्रधान देश होने के नाते, चीनी उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य से बेहतर मानसून के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में गन्ने की खेती का रकबा बढ़ने की उम्मीद है। प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में बेहतर उपज की उम्मीदों के साथ, इस वर्ष चीनी उत्पादन में 15 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है, जो देश के चीनी उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
चीनी उत्पादन में अपेक्षित वृद्धि
आईसीआरए (ICRA) का अनुमान है कि सामान्य से बेहतर मानसून और प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में गन्ने के रकबे और उपज में अपेक्षित सुधार के बीच, चीनी के लिए सकल चीनी उत्पादन वर्ष 2025 के 29.6 मिलियन मीट्रिक टन (MT) से बढ़कर वर्ष 2026 में 34.0 मिलियन टन (MT) हो जाएगा। यह 15% की वृद्धि उद्योग के लिए एक बड़ी राहत होगी, खासकर पिछले कुछ वर्षों में उत्पादन में उतार-चढ़ाव के बाद।
आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, गिरीशकुमार कदम ने बताया कि 4 मिलियन मीट्रिक टन इथेनॉल उत्पादन की ओर अनुमानित डायवर्जन के बाद भी, शुद्ध चीनी उत्पादन 2025 के 26.2 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर 2026 में 30.0 मिलियन मीट्रिक टन हो जाएगा। यह दर्शाता है कि इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि के बावजूद, घरेलू खपत के लिए पर्याप्त चीनी उपलब्ध रहेगी।
इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (EBP) का समर्थन
चीनी क्षेत्र के राजस्व में अपेक्षित सुधार, स्थिर लाभप्रदता और आरामदायक ऋण कवरेज मानकों के साथ इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) सहित सरकार के नीतिगत समर्थन की वजह से आईसीआरए का इस क्षेत्र के लिए दृष्टिकोण 'स्थिर' बना हुआ है।
कदम ने कहा कि हाल के महीनों में भारत सरकार द्वारा निर्धारित 20 प्रतिशत ब्लेंडिंग टारगेट हासिल करने के साथ इथेनॉल ब्लेंडिंग का रुझान उत्साहजनक बना हुआ है। इसके अलावा, सरकार ब्लेंडिंग टारगेट को 20 प्रतिशत से आगे बढ़ाने के विकल्प पर विचार कर रही है, जिससे डिस्टिलरी को और मदद मिलेगी और चीनी मिलों के लिए राजस्व का एक अतिरिक्त स्रोत बनेगा। इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम न केवल कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करता है, बल्कि यह गन्ना किसानों को भी समय पर भुगतान सुनिश्चित करने में मदद करता है।
चीनी मिलों के लिए वित्तीय दृष्टिकोण
आईसीआरए का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 में इंटीग्रेटेड चीनी मिलों का राजस्व 6-8 प्रतिशत तक बढ़ेगा। इसे बिक्री की मात्रा में वृद्धि, मजबूत घरेलू चीनी कीमतों और अधिक डिस्टिलरी उत्पादन के साथ-साथ मदद मिलेगी। यह चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगा।
इसके बावजूद, अगर इथेनॉल की कीमतें स्थिर रहती हैं तो वित्त वर्ष 2026 में चीनी मिलों के परिचालन लाभ मार्जिन में मामूली वृद्धि होगी। यह दर्शाता है कि राजस्व वृद्धि के बावजूद, लागत नियंत्रण और दक्षता में सुधार भी महत्वपूर्ण होगा।
चीनी स्टॉक और घरेलू कीमतें
कदम ने बताया कि 2026 में इथेनॉल की ओर डायवर्जन में अपेक्षित वृद्धि के बावजूद, क्लोजिंग शुगर स्टॉक आरामदायक रहने की संभावना है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 30 सितंबर, 2025 तक क्लोजिंग शुगर स्टॉक लगभग 52 लाख मीट्रिक टन होगा, जो 30 सितंबर, 2024 तक 80 लाख मीट्रिक टन के चीनी स्टॉक से कम है। यह दो महीने की खपत के बराबर होगा, जो बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए पर्याप्त है।
अनुमान के अनुसार, अगर घरेलू खपत और निर्यात कोटा वित्त वर्ष 2025 के समान ही रहता है, तो 30 सितंबर, 2026 तक अंतिम स्टॉक बढ़कर 63 लाख मीट्रिक टन (लगभग 2.5 महीने की खपत) हो जाने की उम्मीद है। इसके अलावा, घरेलू चीनी की कीमतें, जो वर्तमान में 39-41 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में हैं, अगले सीजन की शुरुआत तक स्थिर रहने की उम्मीद है, जिससे मिलों की लाभप्रदता को बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष
भारतीय चीनी उद्योग वित्त वर्ष 2026 में उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि के लिए तैयार है, जो अनुकूल मानसून और सरकारी नीतियों द्वारा समर्थित है। इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम का विस्तार और स्थिर घरेलू कीमतें चीनी मिलों के राजस्व और लाभप्रदता को बढ़ावा देंगी। आईसीआरए का 'स्थिर' दृष्टिकोण उद्योग के लिए एक मजबूत और टिकाऊ भविष्य का संकेत देता है, जिससे यह देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बना रहेगा।