जब दो पत्थर और एक सच्ची आवाज, करोड़ों दिलों तक पहुंच जाए — तब समझिए, असली क्रिएटिविटी किसे कहते हैं
सोशल मीडिया पर रोज़ाना हजारों ट्रेंड आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन कुछ ट्रेंड ऐसे होते हैं जो सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज और तकनीक के बदलते रिश्ते की पहचान बन जाते हैं। इन दिनों वायरल हुआ "दिल पे चलाई छुरियां" ट्रेंड भी कुछ ऐसा ही है — एक आवाज, दो पत्थर, और एक सच्चा कलाकार।
राजस्थान के राजू भट्ट, जिन्हें अब पूरा देश राजू कलाकार के नाम से जानता है, ने बिना किसी संगीत यंत्र के बस पत्थरों की आवाज़ से 90 के दशक के गाने को इस तरह गाया कि वो 16 करोड़ बार देखा गया वीडियो बन गया।
यह केवल एक ट्रेंड नहीं, बल्कि एक संकेत है कि अब हुनर किसी भी माइक, स्टूडियो या सेटअप का मोहताज नहीं रहा।
दो पत्थर और एक सुर — ट्रेंड की शुरुआत
‘दिल पे चलाई छुरियां’ गाना 1995 की फिल्म ‘बेवफा सनम’ का दर्दभरा गीत है। लेकिन 2025 में ये गाना फिर से चर्चा में आया — और इस बार एक अनोखे म्यूजिक स्टाइल के साथ।
राजू कलाकार ने इस गाने को बिना किसी म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट के, सिर्फ पत्थर बजाकर गाया। उनकी आवाज़ में दर्द और आत्मविश्वास, और चेहरे पर सादगी ने करोड़ों लोगों को छू लिया।
कौन हैं राजू कलाकार?
- मूल रूप से राजस्थान से हैं, लेकिन अब सूरत में रहते हैं
- कभी ट्रेन में सफर करते हुए एक लड़के से सीखा था पत्थरों को बजाना
- आज उनके इंस्टाग्राम हैंडल @RajuKalakar पर 1.86 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं
- उन्होंने दिखा दिया कि टैलेंट अगर असली हो, तो कैमरा और सेटअप की जरूरत नहीं पड़ती
कैसे बना ये ट्रेंड एक डिजिटल आंदोलन?
यह ट्रेंड तब और बड़ा हुआ जब रेमो डिसूजा और उनकी पत्नी ने इस गाने पर रील बनाई। फिर हर्ष बेनीवाल, अली गोनी, समर्थ जुरेल जैसे नामी सेलेब्स भी इस ट्रेंड से जुड़ते चले गए।
ये उस सोशल मीडिया शक्ति का प्रमाण है जिसमें एक आम व्यक्ति की रचना, सेलेब्रिटी कल्चर को भी प्रभावित कर सकती है।
यह सिर्फ रील्स नहीं, एक डिजिटल रियलिटी है
राजू कलाकार की सफलता इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि आज टैलेंट, एक्सप्रेशन और इंटरनेट की तिकड़ी से कोई भी वैश्विक पहचान बना सकता है।
जब राजू जैसे साधारण लोग ट्रेंड बना सकते हैं, तब यह उन हर युवा, छोटे कलाकार, और मेहनती लोगों के लिए प्रेरणा है जो मानते हैं कि बिना सेटअप कुछ नहीं हो सकता।
क्या सीखता है यह ट्रेंड?
- हुनर का कोई धर्म, जाति, संसाधन नहीं होता
- सोशल मीडिया पर अब सच्चे कंटेंट की मांग है, न कि सिर्फ ग्लैमर की
- भारत में अब लोकल टैलेंट को वैश्विक पहचान मिलने लगी है
- इंस्टाग्राम, यूट्यूब और शॉर्ट वीडियो ऐप्स ने लोक कला को डिजिटल मंच दे दिया है
अंतिम विचार: राजू कलाकार ने ट्रेंड नहीं, भरोसा बनाया
राजू कलाकार की आवाज़ ने दिलों को छुआ — लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि उन्होंने साबित किया कि कंटेंट की असली जान, उसके सच्चे भाव में होती है। उन्होंने एक ऐसा ट्रेंड बनाया जो शायद म्यूजिक रियलिटी शो, फिल्मी प्रोड्यूसर या बड़ी स्टूडियो मशीनरी भी नहीं बना पाते।
'दिल पे चलाई छुरियां' अब एक गाना नहीं, बल्कि एक डिजिटल लोकतंत्र की जीत है — जहां राजू जैसे कलाकार बिना किसी ‘गॉडफादर’ के, सीधे जनता के दिल तक पहुंचते हैं।