नीति आयोग ने देहरादून में क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित की, राज्यों के साथ मजबूत सहयोग पर बल
नई दिल्ली, 3 जून (The Trending People) – राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ संरचित जुड़ाव (स्ट्रक्चर्ड एंगेजमेंट) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, नीति आयोग ने मंगलवार को देहरादून में एक दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। यह पहल नीति आयोग के 'स्टेट सपोर्ट मिशन (SSM)' का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे उत्तराखंड सरकार के 'स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर एम्पावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड (SETU) आयोग' के सहयोग से संचालित किया गया।
नीति आयोग द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि यह कार्यशाला 'सेंट्रल सेक्टर स्कीम' के तहत 'स्टेट इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (SIT)' के माध्यम से नीति आयोग और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच गहरे और अधिक प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई श्रृंखला की पहली कड़ी है। इस वर्कशॉप का प्राथमिक लक्ष्य सभी भाग लेने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्टेट सपोर्ट मिशन (SSM) पहलों पर अपने अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना था, जिससे वे एक-दूसरे से सीख सकें और सहयोगात्मक विकास को गति दे सकें।
उद्घाटन सत्र में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिन्होंने राज्यों के विकास और उनके दीर्घकालिक दृष्टिकोण को आकार देने में 'परिवर्तन के लिए राज्य संस्थानों' की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उद्घाटन सत्र में शामिल होने वाले प्रमुख अधिकारी और सदस्य:
डॉ. वी.के. सारस्वत, सदस्य, नीति आयोग
राज शेखर जोशी, उपाध्यक्ष, सेतु आयोग
आनंद वर्धन, मुख्य सचिव, उत्तराखंड
शत्रुघ्न सिंह, सीईओ, सेतु आयोग
नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी
इन वक्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे राज्य-स्तरीय संस्थान, जो अब विभिन्न राज्यों में स्थापित हो रहे हैं (जैसे उत्तराखंड में सेतु आयोग), केवल सलाहकार निकाय नहीं हैं, बल्कि विकास रणनीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने संघीय ढांचे में राज्यों की स्वायत्तता और उनकी अद्वितीय चुनौतियों व अवसरों को संबोधित करने की क्षमता पर जोर दिया।
राज्यों से व्यापक भागीदारी
इस महत्वपूर्ण विचार-विमर्श में बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तराखंड सहित विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इन अधिकारियों की उपस्थिति ने कार्यशाला को एक समृद्ध और विविध परिप्रेक्ष्य प्रदान किया, जिससे अंतर-राज्यीय सीखने और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के लिए एक अनूठा अवसर मिला। विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि एक साथ आए और अपने विशिष्ट अनुभवों और चुनौतियों को साझा किया, जो देश के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
डेटा-संचालित शासन और महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं पर चर्चा
कार्यशाला के दौरान 'डेटा-ड्रिवन गवर्नेंस' पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में 'साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने' के लिए नीति आयोग द्वारा विकसित महत्वपूर्ण डिजिटल प्लेटफार्मों पर प्रकाश डाला गया। इनमें 'एनआईटीआई फॉर स्टेट्स पोर्टल' और नीति आयोग के भीतर स्थापित 'विकसित भारत स्ट्रेटेजी रूम' जैसे उपकरण शामिल हैं। इन प्लेटफार्मों को सरकार के विभिन्न स्तरों पर डेटा के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने और नीति निर्माण में अधिक सटीकता व प्रभावशीलता लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
कार्यशाला में कई अन्य महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं पर भी व्यापक चर्चा हुई, जिनमें शामिल हैं:
क्लाइमेट मिटिगेशन (जलवायु शमन): जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और स्थायी समाधान खोजने के लिए राज्यों की भूमिका और पहलों पर चर्चा।
मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन (निगरानी और मूल्यांकन): सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं की प्रभावशीलता को ट्रैक करने और मूल्यांकन करने के लिए मजबूत प्रणालियों का विकास।
स्टेट विजन फॉर्मूलेशन (राज्य दृष्टिकोण का निर्धारण): प्रत्येक राज्य के लिए दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों और रणनीतियों को परिभाषित करने की प्रक्रिया।
कैपेसिटी बिल्डिंग (क्षमता निर्माण): राज्य प्रशासन और संस्थानों की दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करना।
इस क्षेत्रीय कार्यशाला ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 'स्टेट इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (SIT)' के कार्यान्वयन पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा करने और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मूल्यवान मंच प्रदान किया। यह पहल राज्यों को अपने स्वयं के परिवर्तनकारी एजेंडा को आगे बढ़ाने में सशक्त बनाने के नीति आयोग के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिससे देश के समग्र विकास में गति आएगी।
नीति आयोग का सहयोगात्मक मॉडल
नीति आयोग, जो भारत सरकार का थिंक टैंक है, संघीय सहयोग के मॉडल पर काम करता है। इसका उद्देश्य सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) को बढ़ावा देना है, जहां केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करती हैं ताकि देश के विकास लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। 'स्टेट सपोर्ट मिशन' और 'स्टेट इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (SIT)' इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
संक्षिप्त पृष्ठभूमि: नीति आयोग और राज्यों का सहयोग
2015 में स्थापित नीति आयोग ने योजना आयोग का स्थान लिया, जिसका मुख्य उद्देश्य बॉटम-अप दृष्टिकोण के साथ भारत के विकास एजेंडे में राज्यों को अधिक सक्रिय भूमिका देना था। राज्यों के साथ संरचित जुड़ाव और 'SIT' की स्थापना इस दर्शन के अनुरूप है। ये संस्थान राज्यों को अपनी विशिष्ट परिस्थितियों के अनुसार नीतियों और कार्यक्रमों को तैयार करने, लागू करने और निगरानी करने में मदद करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रीय विकास लक्ष्य स्थानीय आवश्यकताओं और क्षमताओं के साथ संरेखित हों, जिससे परिणामों की प्रभावशीलता अधिकतम हो।
भविष्य की राह: सतत विकास और नवाचार
यह क्षेत्रीय कार्यशाला न केवल वर्तमान चुनौतियों और समाधानों पर ध्यान केंद्रित करती है, बल्कि भविष्य के लिए एक रोडमैप भी तैयार करती है। डेटा-ड्रिवन गवर्नेंस और सतत विकास के लक्ष्यों पर जोर देना दर्शाता है कि भारत अपने विकास पथ में नवाचार और पर्यावरणीय स्थिरता को एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्यों के बीच ज्ञान और अनुभव का आदान-प्रदान, जैसा कि इस कार्यशाला में हुआ, एक 'टीम इंडिया' दृष्टिकोण को मजबूत करता है, जहां प्रत्येक राज्य की सफलता सामूहिक राष्ट्रीय प्रगति में योगदान करती है।
नीति आयोग का यह प्रयास यह सुनिश्चित करेगा कि राज्यों को सशक्त बनाने के लिए उन्हें आवश्यक उपकरण, ज्ञान और सहयोग मिले, जिससे वे अपने नागरिकों के लिए बेहतर परिणाम दे सकें। यह भारत के विकास की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो मजबूत संघीय इकाइयों के माध्यम से एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण की दिशा में अग्रसर है।