इक्विटी म्यूचुअल फंड्स का AUM मई 2025 में ₹72.2 लाख करोड़ पहुंचा, रिकॉर्ड एसआईपी इनफ्लो जारी
नई दिल्ली, 10 जून – भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग ने मई 2025 के दौरान इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के तहत प्रबंधित परिसंपत्तियों (एसेट्स अंडर मैनेजमेंट - AUM) में एक प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है। मंगलवार को एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया (एम्फी) द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स का एयूएम मई में लगभग 4.85 प्रतिशत बढ़कर ₹72.2 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो अप्रैल में 70 लाख करोड़ रुपए पर था। यह महत्वपूर्ण वृद्धि भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के बढ़ते भरोसे, इक्विटी सेगमेंट में मजबूत रुचि और देश की बढ़ती वित्तीय साक्षरता का स्पष्ट संकेत है। यह न केवल संस्थागत बल्कि खुदरा निवेशकों के बीच भी इक्विटी निवेश की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।
एयूएम वृद्धि के मुख्य कारण: बाजार का प्रदर्शन और निवेशकों का भरोसा
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के एयूएम में इस उल्लेखनीय उछाल का मुख्य कारण मई में भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांकों, निफ्टी और सेंसेक्स का मजबूत प्रदर्शन माना जा रहा है। मई के महीने में, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी ने 1.71 प्रतिशत का ठोस रिटर्न दिया, जबकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 1.51 प्रतिशत की सकारात्मक गति दर्ज की। बाजार की यह अनुकूल चाल, जिसमें सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों का मूल्य बढ़ा, ने स्वाभाविक रूप से निवेशकों को इक्विटी फंड्स की ओर आकर्षित किया, जिससे एयूएम में बढ़ोतरी हुई। इसके अतिरिक्त, बाजार में स्थिरता और आगामी आर्थिक विकास की उम्मीदों ने भी निवेशकों को लंबी अवधि के लिए इक्विटी में पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया।
सैपिएंट फिनसर्व के संस्थापक निदेशक अमित बिवलकर ने इस प्रवृत्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा, "आने वाले समय में भी बाजार की चाल और एसआईपी (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) अनुशासन एयूएम वृद्धि को निरंतर समर्थन देना जारी रखेगा।" उनका मानना है कि निवेशकों द्वारा एसआईपी के माध्यम से नियमित निवेश की आदत, जो बाजार के उतार-चढ़ाव को औसत करती है, और बाजार की मौजूदा सकारात्मक गति के साथ मिलकर, फंड्स के आकार में लगातार वृद्धि सुनिश्चित करेगी। यह दर्शाता है कि निवेशक केवल अल्पकालिक लाभ के बजाय, एक अनुशासित और दीर्घकालिक निवेश रणनीति अपना रहे हैं।
मजबूत वार्षिक वृद्धि और ओपन-एंडेड स्कीम का बढ़ता वर्चस्व
मई 2025 में एयूएम के आंकड़े अप्रैल की तुलना में मामूली रूप से बढ़े हैं, वहीं वार्षिक आधार पर इसमें 12 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखने को मिली है। यह मई 2024 के मुकाबले एक महत्वपूर्ण उछाल है, जो पिछले एक साल में भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में इक्विटी सेगमेंट की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। यह दीर्घकालिक निवेशकों के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की बढ़ती भूमिका और वित्तीय नियोजन में उनकी बढ़ती भागीदारी का प्रमाण है।
स्मॉलकेस मैनेजर और ग्रोथ इन्वेस्टिंग के संस्थापक नरेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि ओपन-एंडेड स्कीम का वर्चस्व लगातार बना हुआ है। उन्होंने बताया कि मई 2024 के मुकाबले इसमें 12 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखने को मिली है। ओपन-एंडेड स्कीमें निवेशकों को किसी भी समय निवेश करने या निकालने की सुविधा प्रदान करती हैं, जिससे ये तरलता (लिक्विडिटी) और लचीलेपन की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए आकर्षक बनती हैं। यह दर्शाता है कि निवेशक ऐसे फंड्स को पसंद कर रहे हैं जो बाजार की परिस्थितियों के अनुसार निवेश को समायोजित करने की स्वतंत्रता देते हैं।
रिकॉर्ड एसआईपी इनफ्लो: छोटे निवेशकों का बढ़ता विश्वास
मई 2025 का महीना एसआईपी (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) इनफ्लो के लिए एक ऐतिहासिक रहा है। महीने के दौरान एसआईपी इनफ्लो ऑल-टाइम हाई ₹26,688 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है, जो अप्रैल में दर्ज किए गए ₹26,632 करोड़ रुपए के आंकड़े से भी अधिक है। यह लगातार बढ़ता एसआईपी इनफ्लो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि भारतीय निवेशक लंबी अवधि के नजरिए से म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं और वित्तीय अनुशासन का पालन कर रहे हैं। एसआईपी निवेशकों को छोटी-छोटी किश्तों में निवेश करने की सुविधा देता है, जिससे वे बाजार के उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम कर सकते हैं और चक्रवृद्धि (कंपाउंडिंग) का लाभ उठा सकते हैं। यह मध्यम वर्ग के निवेशकों के लिए धन सृजन का एक पसंदीदा तरीका बन गया है।
इसके अलावा, मई में एसआईपी योगदान देने वाले खातों की संख्या में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। यह संख्या बढ़कर 8.56 करोड़ हो गई है, जो कि पिछले महीने में 8.38 करोड़ पर थी। यह बढ़ती संख्या म्यूचुअल फंड में नए निवेशकों की बढ़ती रुचि और भारत में वित्तीय समावेशन के प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। महीने के दौरान लगभग 11.3 लाख नए फोलियो जोड़े गए, जो म्यूचुअल फंड में नए निवेशकों के बढ़ते जुड़ाव को उजागर करता है। यह रुझान बताता है कि टियर-2 और टियर-3 शहरों से भी छोटे और मध्यम वर्ग के निवेशक अब वित्तीय बाजारों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
एसआईपी एयूएम का बढ़ता हिस्सा: उद्योग के लिए स्वस्थ संकेत
एसआईपी के तहत कुल एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। यह अप्रैल के ₹13.90 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर मई में ₹14.61 लाख करोड़ रुपए हो गया है। यह दर्शाता है कि एसआईपी केवल एक निवेश माध्यम नहीं रहा है, बल्कि यह कुल म्यूचुअल फंड एयूएम का एक महत्वपूर्ण और बढ़ता हुआ हिस्सा बन गया है। मई में, एसआईपी एयूएम म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के कुल एयूएम का करीब 20.24 प्रतिशत रहा, जबकि अप्रैल में यह 19.9 प्रतिशत था। यह बढ़ती हिस्सेदारी एसआईपी की स्थिरता और भारतीय निवेशकों के बीच इसकी गहरी पैठ को प्रमाणित करती है।
एसआईपी की यह बढ़ती लोकप्रियता और उसके तहत प्रबंधित परिसंपत्तियों का बढ़ता हिस्सा म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए एक बहुत ही स्वस्थ संकेत है। यह अस्थिर बाजार में भी लगातार निवेश प्रवाह सुनिश्चित करता है, जिससे फंड प्रबंधकों को दीर्घकालिक रणनीतियाँ बनाने और बेहतर रिटर्न देने में मदद मिलती है। यह प्रवृत्ति भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास, बढ़ती आय और वित्तीय साक्षरता में वृद्धि के साथ जारी रहने की उम्मीद है, जिससे देश के वित्तीय बाजारों को और मजबूती मिलेगी।
कुल मिलाकर, मई 2025 के आंकड़े भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए एक मजबूत और सकारात्मक तस्वीर पेश करते हैं। इक्विटी एयूएम में वृद्धि, रिकॉर्ड एसआईपी इनफ्लो, और नए फोलियो का जुड़ना यह दर्शाता है कि भारतीय निवेशक वित्तीय बाजारों में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं और लंबी अवधि के धन सृजन के लिए म्यूचुअल फंड को एक प्रभावी उपकरण के रूप में अपना रहे हैं। यह प्रवृत्ति भारत को एक अधिक वित्तीय रूप से सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।