RBI का अनुमान: 2025-26 में भारत की GDP ग्रोथ 6.5%, ग्रामीण-शहरी मांग और कृषि से मिलेगी मजबूती
मुंबई | 7 जून 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को घोषणा की कि 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा गया है। आरबीआई के अनुसार, देश की घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, जिसका श्रेय मजबूत कृषि, बढ़ते उद्योग और स्थिर सेवा क्षेत्र को जाता है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में भी जीडीपी ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि खरीफ और रबी दोनों सीजन की फसलें अच्छी रही हैं, जिससे खाद्य आपूर्ति में कोई कमी नहीं है। जलाशयों का जलस्तर भी अच्छा बना हुआ है और पिछले 4 वर्षों में गेहूं की सबसे अधिक खरीद से स्टॉक की स्थिति संतोषजनक है।
गवर्नर ने कहा कि औद्योगिक गतिविधियां धीरे-धीरे गति पकड़ रही हैं, भले ही इसमें असमानता बनी हुई है। सेवा क्षेत्र में मजबूती बनी हुई है, और मई 2025 में PMI सर्विस इंडेक्स 58.8 पर रहा, जो इस क्षेत्र में तेज विस्तार को दर्शाता है।
निजी खपत बनी अर्थव्यवस्था की रीढ़
संजय मल्होत्रा ने बताया कि निजी खपत, जो देश की कुल मांग का मुख्य आधार है, वह स्वस्थ बनी हुई है। शहरी इलाकों में मांग में सुधार हो रहा है और ग्रामीण इलाकों में मांग स्थिर है। विवेकाधीन खर्च यानी गैर-जरूरी वस्तुओं पर खर्च करने की प्रवृत्ति भी बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि उच्च आवृत्ति संकेतकों जैसे कि निर्माण गतिविधि, वाहन बिक्री और बिजली की खपत से यह स्पष्ट है कि निवेश गतिविधियां फिर से सक्रिय हो रही हैं।
व्यापार क्षेत्र में सुधार के संकेत
RBI के अनुसार, अप्रैल 2025 में व्यापारिक निर्यात ने अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि गैर-तेल और गैर-सोने के आयात में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे घरेलू मांग में मजबूती झलकती है। सेवा निर्यात भी लगातार मजबूत बना हुआ है।
मानसून से मिलेगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ऊर्जा
RBI गवर्नर ने बताया कि आगामी दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से बेहतर रहने की संभावना है, जिससे कृषि क्षेत्र और ग्रामीण मांग को और बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, शहरी उपभोग को सेवा क्षेत्र में जारी मजबूती से बढ़त मिलेगी।
निवेश गतिविधियों को मिलेगा बल
सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय (Capex) पर निरंतर जोर, क्षमता उपयोग में बढ़ोतरी, व्यापारिक आशावाद और आसान वित्तीय स्थितियां आने वाले समय में निवेश गतिविधियों को मजबूती देंगी।
चुनौतियां भी मौजूद
मल्होत्रा ने यह भी चेतावनी दी कि वैश्विक व्यापार में नीतिगत अनिश्चितताएं अभी भी भारत के निर्यात क्षेत्र के लिए एक चुनौती हैं। हालांकि, यूके के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) और अन्य देशों के साथ प्रगति से व्यापार को नई ऊर्जा मिल सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय से चल रहे भू-राजनीतिक तनाव, मौसम से जुड़ी अनिश्चितताएं और वैश्विक बाजारों की स्थिति भारत की विकास दर के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं।