संसद के मानसून सत्र की तारीखों का ऐलान: 21 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा सत्र
नई दिल्ली, 4 जून – भारतीय संसद के आगामी मानसून सत्र की तारीखों का आधिकारिक ऐलान कर दिया गया है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा और 12 अगस्त तक चलेगा। यह सत्र कुल 23 दिनों तक चलेगा, जिसमें इस बार कई महत्वपूर्ण बिलों और ज्वलंत राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा होने की उम्मीद है। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब विपक्ष लगातार विभिन्न मुद्दों पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा था।
सत्र की अवधि और विधायी कार्य
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद के मानसून सत्र की तारीखों की पुष्टि करते हुए कहा, "हमने संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई को बुलाने का फैसला किया है और यह 12 अगस्त तक चलेगा। संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने तारीख तय कर ली है और हम दोनों सदनों को बुलाने के लिए राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजेंगे।" यह सत्र सरकार के विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने और विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित महत्वपूर्ण बिलों को पारित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा। इसके अलावा, विपक्षी दल विभिन्न राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर सरकार को घेरने और जवाबदेही तय करने का प्रयास करेंगे।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण मुद्दा इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव हो सकता है। किरेन रिजिजू ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा, "इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के संबंध में मैंने राजनीतिक दलों के साथ चर्चा शुरू कर दी है। अधिकांश प्रमुख राजनीतिक दलों को पहले ही बता दिया गया है और हमने एक सहयोगात्मक प्रयास की मांग की है, जहां सभी राजनीतिक दल एक साथ आएं और संयुक्त रूप से प्रस्ताव पेश करें।"
इससे पहले, भारत सरकार के सूत्रों ने संकेत दिया था कि केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र में दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है। यह कदम न्यायपालिका की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण विधायी प्रक्रिया होगी, जिस पर सदन में विस्तृत बहस होने की संभावना है।
विपक्ष की विशेष सत्र की मांग के बीच घोषणा
केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र की तारीख का ऐलान ऐसे महत्वपूर्ण समय में किया है, जब विपक्षी दल, विशेष रूप से कांग्रेस, लगातार पहलगाम आतंकी हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे थे। विपक्ष का तर्क था कि इन गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से जुड़े मामलों पर तत्काल चर्चा की आवश्यकता है। मानसून सत्र की घोषणा से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार इन्हीं निर्धारित सत्र में इन मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, बजाय इसके लिए एक अलग विशेष सत्र बुलाने के।
इससे पहले, संसद का बजट सत्र दो हिस्सों में आयोजित किया गया था। बजट सत्र का पहला हिस्सा 31 जनवरी को शुरू होकर 13 फरवरी तक चला था, जबकि दूसरा भाग 10 मार्च को शुरू हुआ और चार अप्रैल को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया था। इन सत्रों में भी विभिन्न आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा हुई थी, लेकिन विपक्ष की ओर से कुछ विशेष मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की मांग जारी थी।
इंडिया गठबंधन की संयुक्त चिट्ठी और मांगें
हाल ही में, कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संयुक्त चिट्ठी लिखी थी, जिसमें संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पहल की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि इंडिया गठबंधन के 16 राजनीतिक दलों की एक अनौपचारिक बैठक हुई थी, जिसमें कांग्रेस पार्टी की तरफ से उन्होंने हिस्सा लिया। इस बैठक में इंडिया गठबंधन के नेताओं ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तुरंत संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग रखी थी।
हुड्डा ने स्पष्ट किया था कि जब पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, तब कांग्रेस पार्टी और तमाम विपक्षी दलों ने देश के सशस्त्र सैन्य बलों और सरकार को जवाबी कार्रवाई करने के लिए अपना पूर्ण समर्थन दिया था। हालांकि, उन्होंने बताया कि जब अमेरिका द्वारा सीजफायर की घोषणा की गई, उसके बाद विपक्ष ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग उठाई। इस मांग का मुख्य उद्देश्य यह था कि सभी सांसद और सभी दल संसद के माध्यम से एकजुटता के साथ अपने सशस्त्र बलों के शौर्य का धन्यवाद कर सकें और सरकार संसद में हर पहलू पर बिंदुवार ढंग से अपनी बात रखे। विपक्ष का मानना था कि ऐसे गंभीर मुद्दों पर संसद में खुली और पारदर्शी बहस होनी चाहिए ताकि देश को पूरी जानकारी मिल सके।
मानसून सत्र का महत्व और संभावित मुद्दे
संसद का मानसून सत्र भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह वह अवधि होती है जब सरकार अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाती है, नए बिल पेश करती है और मौजूदा कानूनों में संशोधन करती है। वहीं, विपक्ष के पास सरकार की नीतियों और प्रदर्शन पर सवाल उठाने, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस करने और सरकार की जवाबदेही तय करने का अवसर होता है।
इस बार के मानसून सत्र में, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव के अलावा, कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। इनमें आर्थिक स्थिति, महंगाई, बेरोजगारी, कृषि संबंधी मुद्दे, विभिन्न राज्यों में कानून-व्यवस्था की स्थिति, और सामाजिक न्याय से जुड़े विषय शामिल हो सकते हैं। हाल की राजनीतिक बयानबाजियों, जैसे कि राहुल गांधी के 'सरेंडर' वाले बयान पर जेपी नड्डा का पलटवार, भी सदन के भीतर तीखी बहस का कारण बन सकते हैं।
यह सत्र सरकार और विपक्ष दोनों के लिए अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने और जनता के सामने अपने एजेंडे को रखने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। सत्र के दौरान होने वाली चर्चाएं और पारित होने वाले बिल देश की भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।