भारत की अर्थव्यवस्था FY25-26 में 6.5% की दर से बढ़ सकती है: S&P ग्लोबल
नई दिल्ली – भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 प्रतिशत की मजबूत दर से बढ़ने की उम्मीद है। यह जानकारी एक हालिया रिपोर्ट में दी गई है, जिसमें सामान्य से अधिक मानसून और मौद्रिक नीति में संभावित नरमी को इस वृद्धि का मुख्य कारण बताया गया है। यह पूर्वानुमान ऐसे समय में आया है जब देश में महंगाई दर में भी उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जिससे अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) की रिपोर्ट में बताया गया है कि घरेलू मांग में मजबूती, भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक मंदी को सीमित करने में बड़ा योगदान देगी। साथ ही, निर्यात पर देश की कम निर्भरता से भी अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ाव के प्रति अधिक लचीला बना रहेगा।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं पर जारी रिपोर्ट में कहा गया, "हम वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद करते हैं। इस पूर्वानुमान में सामान्य मानसून, कच्चे तेल की कम कीमतें, आयकर में छूट और मौद्रिक नीति में नरमी को शामिल किया गया है।" ये सभी कारक मिलकर भारत की आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान करेंगे।
महंगाई में बड़ी राहत: थोक और खुदरा महंगाई का स्तर
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में कम होती खाद्य महंगाई से मुख्य महंगाई (कोर इन्फ्लेशन) को कम रखने में मदद मिलेगी, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए एक बड़ी राहत है।
- थोक महंगाई दर: भारत में थोक महंगाई दर मई में 14 महीनों के निचले स्तर 0.39 प्रतिशत पर आ गई है, जो कि अप्रैल में 0.85 प्रतिशत और मार्च में 2.05 प्रतिशत थी। यह थोक कीमतों में लगातार कमी को दर्शाता है।
- खुदरा महंगाई दर: वहीं, भारत की खुदरा महंगाई दर मई में कम होकर 2.82 प्रतिशत हो गई है, जो कि पिछले साल मई में 4.8 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई दर का यह फरवरी 2019 के बाद सबसे निचला स्तर था। इस साल अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 3.16 प्रतिशत थी।
महंगाई में इस महत्वपूर्ण कमी का मुख्य कारण खाद्य महंगाई का कम होकर 0.99 प्रतिशत होना है, जो कि अक्टूबर 2021 के बाद सबसे निचला स्तर है। खाद्य महंगाई दर बीते सात महीने से लगातार कम हो रही है, जिसकी मुख्य वजह कृषि उत्पादन का बढ़ना है। यह किसानों के लिए अच्छी खबर है और उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आई है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बीते शुक्रवार को घोषणा की कि आरबीआई ने 2025-26 के लिए महंगाई के अपने पूर्वानुमान को भी 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है। उन्होंने कहा, "सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए और सामान्य मानसून को देखते हुए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति अब 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।" यह आरबीआई के नीतिगत निर्णयों के लिए एक अनुकूल माहौल प्रदान करता है।
वैश्विक परिदृश्य और अन्य अर्थव्यवस्थाएं
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के अनुसार, कई क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं ने मजबूत घरेलू मांग के कारण 2025 में अच्छी शुरुआत की है। कई अर्थव्यवस्थाओं को टैरिफ से पहले अमेरिका को निर्यात के एडवांस लोडिंग से अस्थायी रूप से बढ़ावा मिला है। यह वैश्विक व्यापारिक गतिविधियों में बदलावों को दर्शाता है।
रिपोर्ट में बताया गया कि 2025 में चीनी अर्थव्यवस्था के 4.3 प्रतिशत और 2026 में 4 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि की उम्मीद है। यह भारत की विकास दर के मुकाबले कम है, जो भारत को एक प्रमुख विकास इंजन के रूप में स्थापित करता है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं को काफी बाहरी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार, भारत की घरेलू मांग मोटे तौर पर स्वस्थ रहेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनी रहेगी। यह भारत की आर्थिक नीतियों की सफलता और घरेलू बाजार की ताकत को दर्शाता है।