Washington DC में इजराइली जोड़े की हत्या से अमेरिका में यहूदी-विरोधी भावना पर फिर उठा सवाल
हत्या से हड़कंप, आरोपी ने लगाए ‘फिलिस्तीन को मुक्त करो’ के नारे
वॉशिंगटन डीसी स्थित इजराइली दूतावास में काम करने वाले एक युवा जोड़े की गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना ने अमेरिका को झकझोर दिया है। इस वीभत्स हमले के आरोपी की पहचान एलियास रोड्रिगेज के रूप में हुई है, जिसने गिरफ्तारी के वक्त “फ्री फिलिस्तीन” का नारा लगाया।
हमले में मारे गए इजराइली नागरिक यारोन लिस्चिंस्की (30) और सारा लिन मिलग्रिम (26) शादी करने वाले थे। दोनों अमेरिका में इजराइली दूतावास से जुड़े काम में लगे थे और गाजा व वेस्ट बैंक के साथ पेशेवर रूप से भी जुड़े रहे थे।
हत्या के पीछे राजनीतिक मकसद? आरोपी के सोशल मीडिया पोस्ट में उग्र विचार
एलियास रोड्रिगेज पर पहले दर्जे की हत्या, विदेशी अधिकारियों की हत्या और हिंसक हमले के लिए आग्नेयास्त्र का इस्तेमाल करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शुरुआती जांच में पता चला है कि रोड्रिगेज फिलिस्तीन समर्थक आंदोलनों से जुड़ा रहा है और उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स में इजराइल विरोधी विचार स्पष्ट रूप से झलकते हैं।
ट्रंप और नेतन्याहू की तीखी प्रतिक्रिया
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस घटना को “स्पष्ट रूप से यहूदी-विरोधी” करार देते हुए ट्रुथ सोशल पर लिखा,
“डी.सी. में साफ तौर पर यहूदी-विरोधी भावना के आधार पर हुईं ये खौफनाक हत्याएं अब बंद होनी चाहिए!”
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह हमला “इजराइल-विरोधी भड़कावे का परिणाम” है। उन्होंने ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे पश्चिमी देशों के नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने हाल ही में गाजा में इजराइली कार्रवाई की निंदा की, जिससे “हमास को प्रोत्साहन” मिला।
अमेरिकी विश्वविद्यालयों पर ट्रंप प्रशासन की सख्ती
घटना के बाद ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी विश्वविद्यालय परिसरों में यहूदी-विरोधी माहौल के खिलाफ एक बार फिर कठोर रुख अपनाया है। व्हाइट हाउस ने हाल ही में घोषणा की कि वह
- उन विश्वविद्यालयों की फंडिंग में कटौती करेगा जो यहूदी-विरोध के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे
- और अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों, खासकर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में, के नामांकन पर प्रतिबंध लगाएगा।
हालांकि हार्वर्ड को अमेरिका की एक जिला अदालत से अस्थायी राहत मिली है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय छात्रों और उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए यह एक गंभीर और अपूरणीय खतरे के रूप में उभरा है।
नीतिगत और नैतिक बहस: इजराइल के खिलाफ आलोचना बनाम हिंसा
इस घटना ने अमेरिका में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है — क्या इजराइल की नीतियों की आलोचना करना यहूदी-विरोध माना जाएगा?
इस पर कई विश्लेषकों का कहना है कि
- गाजा में हो रही हिंसा की निंदा करना जायज़ है
- लेकिन उसके बहाने इजराइलियों के खिलाफ हिंसा को वैध ठहराना सरासर ग़लत है।
इसी के साथ अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों और नीति निर्माताओं के सामने यह भी चुनौती है कि वे कैसे
- फिलिस्तीनियों के प्रति सहानुभूति रखें,
- लेकिन साथ ही यहूदी समुदाय की सुरक्षा और गरिमा की रक्षा भी सुनिश्चित करें।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
नेतन्याहू ने पश्चिमी देशों पर इजराइल के खिलाफ “युद्ध रोकने का दबाव डालने” का आरोप लगाया है, जिससे, उनके अनुसार, हमास को और ताकत मिल रही है। हालांकि इस आलोचना के बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि
- गाजा में मानवीय संकट की उपेक्षा न हो,
- और इजराइलियों के खिलाफ घृणा आधारित हिंसा को पूरी तरह नकारा जाए।
हत्या से उपजा डर और नीतिगत असमंजस
वॉशिंगटन डीसी में इजराइली दूतावास के दो कर्मचारियों की हत्या सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि एक गहराती हुई वैचारिक और नीतिगत लड़ाई का प्रतिबिंब है।
जहां एक ओर अमेरिका में फिलिस्तीन के समर्थन में आवाजें तेज हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर यहूदी विरोधी घटनाओं की संख्या भी बढ़ती दिख रही है।
अमेरिका और दुनिया को एक संतुलित रुख अपनाना होगा, जहां मानवाधिकारों की बात हो लेकिन उग्रवाद के लिए कोई जगह न हो।