"अमेरिका, अमेरिका में ही था": ऑपरेशन सिंदूर के बाद जयशंकर ने तोड़ी चुप्पी, ट्रंप के दावे को सिरे से नकारा
पिछले महीने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। डच समाचार चैनल NOS को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने न केवल भारत की सैन्य कार्रवाई और रणनीति को स्पष्ट किया, बल्कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को भी कठोर शब्दों में खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम करवाया।
"अमेरिका अमेरिका में ही था,"
जयशंकर ने सीधा और सटीक जवाब देते हुए कहा।
"हमने स्पष्ट कहा था कि अगर पाकिस्तान गोलीबारी रोकना चाहता है, तो वो हमें सीधे कहे। और यही हुआ। उनके जनरल ने हमारे जनरल को फोन किया।"
ऑपरेशन सिंदूर: रणनीतिक जवाब का नया भारत
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में एक आत्मघाती हमले में भारतीय सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की मौत हुई थी। इसके जवाब में भारत ने एक बड़े सैन्य अभियान — ऑपरेशन सिंदूर — को अंजाम दिया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया।
लेकिन इस ऑपरेशन को ऐतिहासिक बनाने वाली बात केवल इसकी सैन्य सफलता नहीं थी, बल्कि भारत की बदलती हुई रणनीतिक सोच थी। यह पहली बार था जब भारत ने सार्वजनिक रूप से तीन बिंदुओं पर आधारित सुरक्षा नीति का संकेत दिया:
- सीधा जवाब: भारतीय सरजमीं पर हमला होगा, तो जवाब भी वहीं मिलेगा — चाहे वो कहीं से आया हो।
- परमाणु की धमकी अब नहीं चलेगी: पाकिस्तान की परमाणु धमकियों से भारत अब पीछे नहीं हटेगा।
- राज्य और गैर-राज्य एक समान: आतंकी और उन्हें शरण देने वाला देश — दोनों को एक जैसा ही जवाब मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही बाड़मेर की रैली में कह चुके हैं —
"जिन्होंने हमारी बेटियों की मांग का सिंदूर मिटाने की कोशिश की, अब उन्हें ज़मीन में मिला दिया गया है।"
अब जयशंकर की प्रतिक्रिया ने भारत की इस नीति को वैश्विक मंच पर स्थापित कर दिया है।
अमेरिका की भूमिका? सिर्फ देखने की
डच चैनल NOS के पत्रकार सैंडर वैन हूर्न से बातचीत में जब जयशंकर से पूछा गया कि क्या अमेरिका ने संघर्ष विराम में मध्यस्थता की, तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया:
"बहुत देशों ने हमसे बात की — अमेरिका, यूरोप, बाकी सभी। पर हमने साफ कहा — अगर पाकिस्तान को गोलीबारी बंद करनी है, तो वो हमें सीधे कहे। उनके जनरल को हमारे जनरल को फोन करना होगा। और वही हुआ।"
10 मई को जब पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, तो भारत ने जवाब में पाकिस्तान के आठ वायुसेना ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने लाइन पर कॉल कर संघर्ष विराम की गुजारिश की।
"उनके एयरबेस अब काम नहीं कर रहे हैं,"
जयशंकर ने इस हमले की सफलता को रेखांकित करते हुए कहा।
चुप्पी क्यों? "हमें घर पर काम करना था"
जब पत्रकार ने सवाल किया कि वे अब क्यों बोल रहे हैं — इतने दिनों बाद, जयशंकर ने जवाब दिया:
"हमें देश में बहुत कुछ संभालना था। हमारे प्रवक्ताओं ने जनता को जानकारी दी। अब जब समय उचित है, हम सामने हैं।"
मोदी सरकार की विदेश नीति में अब एक नया चलन दिखाई देता है —
"शोर नहीं, ठोस काम।"
इसका मतलब है कि भारत पहले कार्रवाई करता है और बाद में उसे सार्वजनिक करता है।
संदेश स्पष्ट है: हमला करोगे, तो जवाब मिलेगा
जयशंकर ने साफ कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर कोई एकबारगी घटना नहीं थी। यह भारत की नई सुरक्षा नीति का प्रारूप है।
"अगर अगली बार कोई हमला होता है, तो फिर से जवाब मिलेगा। आतंकवादी जहां होंगे, वहां मारे जाएंगे — चाहे वो पाकिस्तान में हों या कहीं और।"
उन्होंने यह भी कहा कि भले ही गोलाबारी रुकी हो, पर भारत की सेना सतर्क है, निगरानी जारी है।
कश्मीर पर ट्रंप को करारा जवाब: "कोई देश अपनी ज़मीन पर समझौता नहीं करता"
जब पत्रकार ने डोनाल्ड ट्रंप के बयान का ज़िक्र किया कि अमेरिका को कश्मीर पर मध्यस्थता करनी चाहिए, तो जयशंकर ने सख्त लहज़े में जवाब दिया:
"कश्मीर भारत का हिस्सा है। कोई देश अपनी ज़मीन पर किसी से बातचीत नहीं करता।"
उन्होंने कहा कि अगर कोई बात करनी है, तो पाकिस्तान से केवल एक सवाल होगा:
"आप कब वो हिस्सा खाली करेंगे जो आपने 1947-48 में कब्ज़ा किया था?"
यह बयान भारत की कूटनीति में अब स्पष्टता और दृढ़ता को दर्शाता है — खासकर संप्रभुता और भूभागीय अखंडता के मामलों में।
आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं: “Zero Tolerance is Non-Negotiable”
जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति में "शून्य सहिष्णुता" (Zero Tolerance) है और इसमें कोई समझौता नहीं होगा।
"हम कौन हैं, ये हमारी नीति से झलकता है। हम आतंकवाद पर किसी भी प्रकार की सहमति नहीं बनाएंगे।"
उन्होंने यह भी बताया कि यूरोप, खासकर नीदरलैंड, भारत की नीति को अब पहले से ज्यादा समझ रहा है और समर्थन दे रहा है।
"मुझे लगता है कि यूरोप की रणनीतिक सोच अब भारत की ओर झुक रही है।"
चीन, पाकिस्तान और यूरोप: सुरक्षा की सोच में फर्क
जयशंकर ने भारत और यूरोप की सुरक्षा स्थिति की तुलना करते हुए कहा:
"यूरोप के पास यह विकल्प था कि वो समृद्धि को प्राथमिकता दे और सुरक्षा की चिंता न करे। हमारे पास यह विकल्प कभी नहीं था। हमारे पड़ोसी हमें हमेशा सतर्क रखते हैं।"
लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था मज़बूत है और भारत अपने विकास पथ पर बना रहेगा:
"मैं भारत की आर्थिक दिशा को लेकर पूरी तरह आशावादी हूं। हमारी नींव मज़बूत है।"
अमेरिका के साथ व्यापार समझौता? "जल्दबाज़ी मत कीजिए"
जब पत्रकार ने अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते को लेकर सवाल पूछा, तो जयशंकर ने मुस्कराते हुए जवाब दिया:
"अभी कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी। हम तब तक कोई घोषणा नहीं करते जब तक दोनों पक्षों को संतोष न हो।"
यह बताता है कि भारत किसी भी समझौते को अपनी शर्तों पर करेगा — जल्दबाज़ी में नहीं।
भारत-नीदरलैंड: एक नया रणनीतिक गठजोड़
बातचीत के अंत में जयशंकर ने नीदरलैंड के साथ भारत के बढ़ते रिश्तों पर भी रोशनी डाली:
"वे हमारे शीर्ष पाँच निवेशकों में हैं। यूरोप में वे हमारे सबसे बड़े साझेदार बन चुके हैं।"
उन्होंने कहा कि भारत और नीदरलैंड के बीच जल प्रबंधन, कृषि, अर्धचालक और रक्षा के क्षेत्रों में गहरा सहयोग हो रहा है।
भारत की नई विदेश नीति का स्पष्ट संदेश
डॉ. जयशंकर का यह इंटरव्यू बताता है कि भारत की विदेश नीति अब स्पष्ट, आत्मविश्वासपूर्ण और राष्ट्रहित में दृढ़ है।
- भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि रणनीति बनाकर कार्य करता है।
- कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर कोई समझौता नहीं।
- अमेरिका या किसी और की मध्यस्थता की जरूरत नहीं — भारत अपने फैसले खुद करता है।
जयशंकर की भाषा अब केवल कूटनीति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नीति का प्रतिबिंब बन चुकी है — जो विश्व मंच पर भारत की नई पहचान तय कर रही है।