Delhi High Court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने मजनू का टीला स्थित पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी कैंप को हटाने के आदेश पर लगाई रोक हटाई, याचिका खारिज
नई दिल्ली, 31 मई – दिल्ली हाईकोर्ट ने आज मजनू का टीला क्षेत्र में यमुना के किनारे बने पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी कैंप को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने साफ किया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए यमुना बाढ़ क्षेत्र से अतिक्रमण हटाना अनिवार्य है, भले ही इससे मानवीय संकट उत्पन्न हो।
यमुना के बाढ़ क्षेत्र में है शरणार्थी कैंप
करीब 800 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों का यह कैंप दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह शिविर एक पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है, और इसे हटाने की प्रक्रिया नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार चल रही है।
जस्टिस धर्मेश शर्मा की एकल पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि हाईकोर्ट मानवीय आधार पर हस्तक्षेप नहीं कर सकता, जब मामला पर्यावरणीय संरक्षण और अदालत के पूर्व आदेशों से जुड़ा हो।
प्रशासन की निष्क्रियता पर जताई नाराजगी
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि शरणार्थियों के पुनर्वास और स्थानांतरण के लिए संबंधित एजेंसियों से बातचीत की गई थी, लेकिन कोई व्यावहारिक समाधान नहीं निकला। कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा बुलाई गई एक बैठक में केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधियों के शामिल न होने पर असंतोष जताया।
गृह मंत्रालय ने बताई सीमित भूमिका
गृह मंत्रालय ने अदालत को बताया कि उसकी भूमिका केवल नागरिकता प्रदान करने तक सीमित है। शरणार्थी नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन उनके पुनर्वास का कार्य संबंधित ज़मीन की मालिक एजेंसी जैसे कि DDA या राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
कोर्ट की टिप्पणी: ‘क्लासिकल उदाहरण है फाइल घुमाने का’
जस्टिस शर्मा ने सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला एक ‘क्लासिकल उदाहरण’ है जिसमें विभागों ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हुए फाइलें इधर-उधर भेजीं, लेकिन किसी ने भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
कोर्ट का अंतिम आदेश: नहीं है कोई कानूनी अधिकार
अंत में, कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मजनू का टीला यमुना का बाढ़ क्षेत्र है, जहां पर किसी भी व्यक्ति को रहने का कानूनी अधिकार नहीं है। इसलिए 12 मार्च 2024 को हाईकोर्ट द्वारा दिया गया अंतरिम आदेश रद्द किया जाता है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- याचिका खारिज, कैंप हटाने का रास्ता साफ
- कोर्ट ने मानवीय आधार पर राहत देने से किया इनकार
- प्रशासन की निष्क्रियता पर जताई नाराजगी
- गृह मंत्रालय ने पुनर्वास से पल्ला झाड़ा
- बाढ़ क्षेत्र में किसी को रहने का कानूनी अधिकार नहीं