दिल्ली-NCR में हवा फिर ‘जहर’ स्तर पर: एक्यूआई 308, स्मॉग की मोटी परत से सांस लेना मुश्किल — सबसे बड़ा कारण बना परिवहन सेक्टर
नेशनल डेस्क। दिल्ली और आसपास के इलाकों में सोमवार (8 दिसंबर) को भी स्मॉग की मोटी परत छाई रही। सुबह से ही राजधानी के लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में चुभन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी 24 घंटे के औसत आंकड़े के अनुसार दिल्ली का एक्यूआई 308 रहा, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है और मानव स्वास्थ्य पर तत्काल दुष्प्रभाव डाल सकता है।
29 मॉनिटरिंग स्टेशन ने दिखाई ‘बहुत खराब’ हवा
समीर ऐप के आंकड़ों के अनुसार रविवार शाम तक दिल्ली के 29 प्रदूषण निगरानी केंद्रों ने वायु गुणवत्ता को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बताया।
सबसे अधिक एक्यूआई बवाना में 336 दर्ज किया गया।
सोमवार सुबह 10 बजे औसत एक्यूआई 302 दर्ज हुआ, जबकि 26 स्टेशनों ने ‘बहुत खराब’ स्तर रिकॉर्ड किया।
सबसे बड़ा कारण — परिवहन सेक्टर
दिल्ली के Decision Support System की रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण में सबसे ज्यादा योगदान परिवहन क्षेत्र का रहा — 16.5%
इसके अलावा:
- उद्योगों का योगदान: 8.1%
- आवासीय गतिविधियां: 4%
- निर्माण कार्य: 2.3%
NCR जिलों से भी बढ़ रहा प्रदूषण का दबाव
दिल्ली के अलावा आसपास के जिलों से आने वाला प्रदूषण भी राजधानी की हवा को भारी रूप से प्रभावित कर रहा है। PTI के अनुसार प्रदूषण में योगदान —
- झज्जर: 13.9%
- सोनीपत: 6%
- रोहतक: 5.2%
- जींद: 2.5%
पूरे हफ्ते प्रदूषण ‘बहुत खराब’ श्रेणी में
एक सप्ताह के एक्यूआई आंकड़े:
| दिन | AQI स्तर |
|---|---|
| रविवार | 279 |
| सोमवार | 304 |
| मंगलवार | 372 |
| बुधवार | 342 |
| गुरुवार | 304 |
| शुक्रवार | 327 |
लगातार ‘बहुत खराब’ श्रेणी के कारण धूल और प्रदूषण की परत पूरे NCR में जमा होती चली गई।
मौसम में उतार-चढ़ाव, लेकिन प्रदूषण में राहत नहीं
आईएमडी के अनुसार रविवार को दिल्ली का:
- अधिकतम तापमान: 24.7°C
- न्यूनतम तापमान: 8°C
- सुबह की नमी: 92%
- शाम की नमी: 71%
नमी और ठंड के कारण प्रदूषण जमीन के पास अटक गया, जिससे स्मॉग और घना हो गया।
हमारी राय
दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण लगातार सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। एनफोर्समेंट, वैकल्पिक परिवहन और औद्योगिक नियंत्रण की योजनाएं होने के बावजूद जमीनी स्तर पर ठोस सुधार दिखाई नहीं देता। केवल आपातकालीन उपाय पर्याप्त नहीं हैं — प्रदूषण से निपटने के लिए दीर्घकालीन नीति और कठोर क्रियान्वयन की सबसे अधिक आवश्यकता है।