विश्व हेपेटाइटिस दिवस: भारत में बढ़ती चुनौती और बचाव के उपाय
हेपेटाइटिस के प्रकार और संक्रमण के तरीके
डॉ. (प्रो.) अशोक कुमार ने बताया कि हेपेटाइटिस वायरस के विभिन्न स्ट्रेन्स अलग-अलग तरीकों से फैल
ते हैं:
- हेपेटाइटिस बी और सी: इनका संक्रमण मुख्य रूप से रक्त और यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है। यह दूषित सुइयों, असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त उत्पादों और मां से बच्चे में भी फैल सकता है।
- हेपेटाइटिस ई: यह फेकल ओरल रूट (ओरोफेकल रूट) से फैलता है। इसका मतलब है कि यह दूषित भोजन या पानी के सेवन से होता है, जहां मल में मौजूद वायरस मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश कर जाता है।
डॉ. कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि "अगर हमारे भोजन और जल आपूर्ति की शुद्धता सही नहीं है तो हमें हेपेटाइटिस का खतरा हो सकता है।" उन्होंने सलाह दी कि हमें अपनी जल आपूर्ति और खान-पान की आदतों के प्रति सावधान रहना चाहिए। "हमें स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए और ऐसे स्रोतों से दूषित भोजन या पानी लेने से बचना चाहिए, जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं है।"
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के भयावह आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, हेपेटाइटिस एक वायरस है, जिसके 5 स्ट्रेन्स हैं: ए, बी, सी, डी और ई। इनमें से भी विश्व में सबसे ज्यादा संक्रमण हेपेटाइटिस बी और सी से होता है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़े इस बीमारी की वैश्विक गंभीरता को दर्शाते हैं:
- मृत्यु दर: हर 30 सेकेंड में हेपेटाइटिस से 1 शख्स दम तोड़ रहा है।
- संक्रमित लोग: 25.4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से जबकि 5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से ग्रसित हैं।
- नए मामले: हर साल इन बीमारियों के 20 लाख से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं।
- हेपेटाइटिस ई: हेपेटाइटिस ई हर साल दुनिया में 2 करोड़ लोगों को संक्रमित कर रहा है।
भारत में वायरल हेपेटाइटिस की स्थिति
भारत के लिए डब्ल्यूएचओ का एक आंकड़ा बेहद भयावह है, जो देश में वायरल हेपेटाइटिस की गंभीर चुनौती को उजागर करता है:
- क्रोनिक हेपेटाइटिस बी: भारत में 4 करोड़ लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से संक्रमित हैं।
- क्रोनिक हेपेटाइटिस सी: 60 लाख से 1 करोड़ 20 लाख लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हैं।
- प्रमुख कारण: हेपेटाइटिस का सबसे महत्वपूर्ण कारण एचईवी (हेपेटाइटिस ई वायरस) है, हालांकि एचएवी (हेपेटाइटिस ए वायरस) बच्चों में अधिक आम है।
डब्ल्यूएचओ का मानना है कि भारत में वायरल हेपेटाइटिस एक गंभीर पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम के तौर पर उभर रहा है। यह न केवल प्रभावित व्यक्ति और उनके परिवार पर, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली पर भी भारी आर्थिक और सामाजिक बोझ डाल रहा है। यह बीमारी लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है, जिसमें सिरोसिस और लिवर कैंसर भी शामिल हैं, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं और मृत्यु हो सकती है।
बचाव और जागरूकता का महत्व
हेपेटाइटिस से बचाव के लिए जागरूकता और निवारक उपाय अत्यंत महत्वपूर्ण हैं:
- टीकाकरण: हेपेटाइटिस बी और ए के लिए प्रभावी टीके उपलब्ध हैं। बच्चों और जोखिम वाले समूहों के लिए टीकाकरण महत्वपूर्ण है।
- स्वच्छता: हेपेटाइटिस ए और ई से बचने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता, सुरक्षित पेयजल और स्वच्छ भोजन का सेवन आवश्यक है।
- सुरक्षित प्रथाएं: हेपेटाइटिस बी और सी से बचने के लिए सुरक्षित यौन संबंध, दूषित सुइयों से बचना और रक्त उत्पादों की स्क्रीनिंग सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
- जांच और उपचार: नियमित जांच से बीमारी का शुरुआती पता लगाने में मदद मिलती है, जिससे समय पर उपचार शुरू किया जा सके और बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके।
निष्कर्ष
विश्व हेपेटाइटिस दिवस हमें इस घातक बीमारी के वैश्विक और राष्ट्रीय बोझ की याद दिलाता है। भारत में हेपेटाइटिस के भयावह आंकड़े तत्काल और व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर देते हैं। डॉ. अशोक कुमार जैसे विशेषज्ञों की सलाह का पालन करना, स्वच्छता बनाए रखना और सुरक्षित प्रथाओं को अपनाना इस बीमारी के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सरकार, स्वास्थ्य संगठनों और आम जनता के सामूहिक प्रयासों से ही हम हेपेटाइटिस मुक्त भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।