महावतार नरसिम्हा: एनिमेटेड मूवी रिव्यू - पौराणिक कथाओं का मनोरंजक प्रस्तुतिकरण
बचपन से ही हमने नरसिंह अवतार की कहानियां सुनी हैं। हम सभी जानते हैं कि देवताओं और पृथ्वी को हिरण्यकश्यप राक्षस के अत्याचारों से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था। मगर निर्देशक अश्विन कुमार ने आज के जेन ज़ी दर्शकों के लिए एनिमेटेड मूवी के माध्यम से भारतीय संस्कृति और भगवान विष्णु के अवतारों को जिस मनोरंजक ढंग से पेश किया है, वह अपने आप में एक सराहनीय पहल है।
'महावतार नरसिम्हा' की कहानी
कहानी की शुरुआत महर्षि कश्यप द्वारा संध्या वेला में की जा रही पूजा से होती है। तभी उनकी पत्नी दिति, पुत्र की प्राप्ति की प्रबल इच्छा व्यक्त करती हैं और महर्षि से सहवास की प्रार्थना करती हैं। कश्यप उसे समझाते हैं कि शास्त्रों के अनुसार यह समय रजोगुण और तमोगुण से युक्त होता है, जिसमें दैवीय नहीं बल्कि आसुरी शक्तियां सक्रिय रहती हैं और ऐसे समय में गर्भधारण करना अशुभ फल दे सकता है। फिर भी दिति अपने आग्रह पर अड़ी रहती है और अंततः महर्षि कश्यप संध्या वेला में उसके साथ सहवास करते हैं। मगर उनकी आशंका सत्य साबित होती है। दिति के गर्भ में हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप जैसी राक्षसी प्रवृत्ति के भ्रूण अपना स्थान ग्रहण कर चुके हैं, जो भविष्य में अपने अत्याचारों से संपूर्ण ब्रहमांड पर हाहाकार मचाएंगे।
इसके बाद कहानी इन दोनों राक्षसों के बढ़ते अत्याचारों और दैवी शक्तियों के साथ उनके संघर्ष के साथ आगे बढ़ती है। देवताओं, ऋषियों और आम जनों पर हुए अत्याचारों से आक्रोशित होकर भगवान विष्णु दो बार अवतार लेते हैं, वराह अवतार में वे हिरण्याक्ष का वध करते हैं, जो पृथ्वी को पाताल लोक में ले गया था, और नरसिंह अवतार में वे उस हिरण्यकश्यप का विनाश करते हैं, जो स्वयं को ईश्वर समझने लगा था। कहानी में हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद की भी मुख्य भूमिका है, जो बाल्यावस्था से ही भगवान विष्णु का परम भक्त है।
'महावतार नरसिम्हा' मूवी रिव्यू
निर्देशक अश्विन कुमार अपनी इस एनिमेटेड मूवी के जरिए मानवीय संवेदनाओं की बारीक पड़ताल करते हैं, जो अहंकार, लोभ, वासना और ईर्ष्या जैसे विनाशकारी तत्वों के जरिए सत्ता हासिल करने की जिद्दी मानसिकता को उजागर करती है। हालांकि फिल्म का पहला भाग मंथर गति से आगे बढ़ता है। पर कहानी के आगे बढ़ने के साथ अश्विन कुमार की भावपूर्ण कहानी भारत के प्राचीन महाकाव्यों को समकालीन संवेदनाओं से जोड़ती है, जिससे वे आज की पीढ़ी के लिए भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक बन जाते हैं।
हां, फिल्म के एनिमेशन में कुछ कमियां जरूर हैं। अगर एनिमेशन का स्तर बढ़ाया गया होता, तो निसंदेह यह एक नायाब एनिमेशन मूवी बन सकती थी। लेकिन इसके बावजूद कहानी में निर्देशक बुराई पर अच्छाई की जीत, संघर्ष, समय की महत्ता, और ईश्वर की कृपा में विश्वास की भावना को दर्शाने में सफल रहे हैं। हालांकि गानों की कोरियोग्राफी, युद्धों की भव्यता और सीमित स्क्रीन-टाइम वाले एनिमेटेड किरदारों के हावभाव तकनीकी रूप से थोड़े और समृद्ध बनाए जा सकते थे।
बावजूद, इन खामियों के यह फिल्म भावनात्मक और आद्यात्मिक रूप से जोड़ने में कामयाब रहती है। यह दैवीय और राक्षसी शक्तियों को ही नहीं दर्शाती, बल्कि होलिका दहन जैसे त्योहार का महत्व भी समझाती है। निर्देशक अश्विन कुमार ने इस पौराणिक कथा को कहीं भी जटिल नहीं होने दिया है। इसकी स्टोरी टेलिंग और विजुअल अपील अपनी बात कहने में सफल रहती है। फिल्म में एक्शन, रोमांच और भावनाओं का सटीक मिश्रण है। नरसिंह के युद्ध वाला क्लाइमैक्स मनोरंजक है।