तेजस्वी यादव का आरोप: BJP चुनाव आयोग के माध्यम से वोटर लिस्ट में नाम छांट रही है
नई दिल्ली: बिहार में चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे वोटर लिस्ट पुनरीक्षण (revision) के बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर एक गंभीर आरोप लगाया है। तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर जारी एक बयान में दावा किया है कि BJP चुनाव आयोग के माध्यम से मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर नाम छांटने की कोशिश कर रही है, जिसका सीधा उद्देश्य लोकतंत्र को कमजोर करना है।
आंकड़ों के साथ आरोप: लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश
तेजस्वी यादव ने अपने बयान में आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में कुल 7 करोड़ 90 लाख मतदाता हैं। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि अगर BJP के निर्देश पर न्यूनतम 1% मतदाताओं को भी छांटा जाता है, तो लगभग 7 लाख 90 हजार मतदाताओं के नाम काटे जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि BJP का इरादा इससे कहीं अधिक 4-5% मतदाताओं के नाम हटाने का हो सकता है, जो एक बहुत बड़ी संख्या होगी।
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए बताया कि अगर 7 लाख 90 हजार मतदाताओं को बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में विभाजित किया जाए, तो प्रति विधानसभा 3251 मतदाताओं का नाम कटेगा। उन्होंने आगे कहा कि बिहार में कुल 77,895 पोलिंग बूथ हैं, और हर विधानसभा में औसतन 320 बूथ हैं। उनके अनुसार, अगर एक बूथ से मात्र 10 वोट भी हटाए जाते हैं, तो एक विधानसभा के सभी बूथों से कुल 3200 मत हट जाएंगे, जो चुनाव परिणामों को सीधे प्रभावित कर सकता है।
करीबी मुकाबले वाली सीटों पर निशाना
तेजस्वी यादव ने अपने आरोप को मजबूत करने के लिए पिछले दो विधानसभा चुनावों के करीबी मुकाबले वाली सीटों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 2015 के विधानसभा चुनाव में 3 हजार से कम मतों से हार-जीत वाली कुल 15 सीटें थीं, जबकि 2020 के चुनाव में यह संख्या बढ़कर 35 हो गई। अगर 5 हजार से कम अंतर से हार-जीत वाली सीटों को देखें, तो 2015 में ऐसी 32 सीटें थीं और 2020 में कुल 52 सीटें थीं।
तेजस्वी यादव का आरोप है कि BJP का निशाना अब ऐसी ही हर सीट पर है। उनके मुताबिक, चुनिंदा बूथों, समुदायों और वर्गों के बहाने से यह लोग वोट छांटना चाहते हैं, ताकि करीबी मुकाबले वाली सीटों पर अपने पक्ष में परिणाम ला सकें।
RJD की सतर्कता और कार्यकर्ताओं को निर्देश
तेजस्वी यादव ने जोर देकर कहा, "हम सब सतर्क हैं, हमारे कार्यकर्ता हर जगह हर घर जाकर इनकी बदनीयती का भंडाफोड़ करते रहेंगे। हम लोकतंत्र को ऐसे खत्म नहीं होने देंगे।" यह दर्शाता है कि RJD इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और अपने कार्यकर्ताओं को इस प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखने के लिए सक्रिय कर रही है।
तेजस्वी यादव ने एक अन्य वीडियो भी शेयर किया है, जो उनके आरोपों को बल देता है। वीडियो में दिखाया जा रहा है कि बीजेपी की जिला महिला अध्यक्ष एक जगह बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) के साथ मौजूद हैं और वह भी वोटर लिस्ट पुनरीक्षण का काम कर रही हैं। वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने इस पर आपत्ति जताई और बीजेपी महिला जिलाध्यक्ष से पूछा कि आप किस हैसियत से वोटर पुनरीक्षण का काम कर रही हैं? इस पर उन्होंने कहा कि मैं क्यों नहीं कर सकती। वीडियो बनाने वाले ने यह सवाल भी उठाया कि नियम के मुताबिक, अगर बीएलओ को मतदाताओं के घरों पर जाकर वोटर पुनरीक्षण का करना है तो आखिर इस जगह पर वोटरों को लाइन में लगवा कर ऐसा क्यों किया जा रहा है? यह वीडियो चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।
निष्कर्ष
तेजस्वी यादव द्वारा लगाए गए ये आरोप बिहार में आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा सकते हैं। वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण एक संवेदनशील प्रक्रिया है, और इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकती है। RJD का दावा है कि वह इस 'साजिश' का पर्दाफाश करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से जमीनी स्तर पर निगरानी रखेगी। इस मुद्दे पर राजनीतिक घमासान तेज होने की संभावना है, और चुनाव आयोग की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ सकती है।