ट्रंप के भारत-पाक संघर्ष सुलझाने के दावे पर PM मोदी से संसद में जवाब की मांग
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रुकवाने संबंधी बार-बार किए जा रहे दावों पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में स्पष्ट जवाब देने की मांग की है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने 66 दिनों में 23 बार यह दावा किया है और आगे भी कर सकते हैं, जिससे इस मुद्दे पर पारदर्शिता की आवश्यकता बढ़ गई है।
ट्रंप के बार-बार के दावे
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा कि ट्रंप ने 66 दिन में 23 बार यह बात दोहराई है कि उन्होंने युद्ध रुकवाया। यह संख्या इस दावे की पुनरावृत्ति और इसके राजनीतिक निहितार्थों को दर्शाती है। रमेश ने जोर दिया कि "21 जुलाई से संसद फिर से शुरू होगी। इसमें कोई शक नहीं कि इससे पहले स्कोर (ट्रंप के दावे का) बदल जाएगा। लेकिन प्रधानमंत्री को लोकसभा और राज्यसभा में साफ शब्दों में जवाब देना होगा। देश सच जानना चाहता है।" यह बयान सरकार पर दबाव बनाने का एक प्रयास है ताकि इस संवेदनशील मुद्दे पर स्पष्टीकरण दिया जा सके।
राष्ट्रपति ट्रंप ने इंडोनेशिया के साथ व्यापार समझौते की घोषणा करते हुए भी इस दावे को दोहराया था। उन्होंने कहा था, "अब भारत के साथ भी इसी दिशा में काम कर रहे हैं। हमें भारत में प्रवेश मिलेगा। आपको समझना होगा कि इनमें से किसी भी देश तक हमारी पहुंच नहीं थी। हमारे लोग वहां नहीं जा सकते थे और अब हमें प्रवेश मिल रहा है क्योंकि हम शुल्क के माध्यम से ऐसा कर रहे हैं।" यह टिप्पणी व्यापार समझौतों को भू-राजनीतिक मध्यस्थता से जोड़ने का एक प्रयास प्रतीत होती है।
भारत और पाकिस्तान का रुख
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले कुछ हफ्तों में कई बार यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बीते मई महीने में सैन्य संघर्ष को व्यापार समझौते के जरिए सुलझाया। हालांकि, भारत का इस पर अलग रुख है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) के संपर्क किए जाने के बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर विचार किया गया। भारत लगातार यह स्पष्ट करता रहा है कि उसने किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है, खासकर कश्मीर जैसे द्विपक्षीय मुद्दों पर।
संसद में जवाबदेही की मांग
कांग्रेस की यह मांग ऐसे समय में आई है जब संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। विपक्ष इस मुद्दे को उठाकर सरकार से जवाबदेही चाहता है कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति के दावों में कोई सच्चाई है, और यदि नहीं, तो सरकार इस पर क्या स्पष्टीकरण देती है। यह मुद्दा भारत की संप्रभुता और विदेश नीति के सिद्धांतों से जुड़ा है, जहां भारत हमेशा से द्विपक्षीय मुद्दों पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का विरोध करता रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता के दावों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में स्पष्टीकरण देना होगा। कांग्रेस की यह मांग इस मुद्दे की संवेदनशीलता और राष्ट्रीय हित में पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करती है। यह देखना बाकी है कि मानसून सत्र के दौरान सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या यह मुद्दा भारत की विदेश नीति में कोई नया मोड़ लाता है।