सावन की मासिक शिवरात्रि 23 जुलाई को: शुभ योग में करें पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी!
नई दिल्ली: पवित्र श्रावण मास की मासिक शिवरात्रि इस बार बुधवार, 23 जुलाई को पड़ रही है। शिवभक्तों के लिए यह दिन बेहद खास है, क्योंकि माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन का महीना वैसे भी महादेव को समर्पित होता है, और इस दौरान आने वाली शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता है।
शुभ योग और मुहूर्त: जानें खास बातें
पंचांग के अनुसार, 23 जुलाई को मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्य देव कर्क राशि में और चंद्र देव मिथुन राशि में रहेंगे। हालांकि, इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है, लेकिन शिवरात्रि के पूजन के लिए निशिता काल (मध्य रात्रि) का समय अत्यंत शुभ माना जाता है।
- राहुकाल: दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 02 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
- श्रावण चतुर्दशी मुहूर्त: 23 जुलाई की सुबह 4 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई की सुबह 02 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
मासिक शिवरात्रि का महत्व: कुंवारी कन्याओं और सुहागिनों के लिए खास
हर माह की कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। सावन के महीने में इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ की पूजा निशिता काल में की जाती है, जिसका विशेष फल मिलता है।
- कुंवारी लड़कियां: जो कुंवारी लड़कियां मासिक शिवरात्रि का व्रत रखती हैं, उन्हें महादेव की कृपा से अच्छा और मनचाहा वर प्राप्त होता है।
- विवाहित महिलाएं: वहीं, विवाहित महिलाएं इस व्रत को रखती हैं तो उनका वैवाहिक जीवन बेहतर होता है, पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
शास्त्रों के अनुसार, देवी लक्ष्मी, इन्द्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती तथा रति जैसी देवियों ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था, जिससे इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। जो श्रद्धालु मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहते हैं, वे इसे महाशिवरात्रि से आरम्भ करके एक वर्ष तक निरंतर कर सकते हैं, जिससे उन्हें महादेव का अखंड आशीर्वाद प्राप्त होता है।
व्रत के लाभ और पूजन विधि
मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से जीवन की मुश्किलें कम होती हैं और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। शिवरात्रि पूजन मध्य रात्रि के समय किया जाता है। मध्य रात्रि को निशिता काल के नाम से जाना जाता है तथा यह दो घटी (लगभग 48 मिनट) के लिए प्रबल होती है, जो पूजा के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है।
मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें पूजा:
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की शुद्धि: मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
- प्रतिमा स्थापना: एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करें।
- अभिषेक: शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर के पंचामृत से अभिषेक करें।
- अर्पण: भगवान को बिल्वपत्र, चंदन, अक्षत (साबुत चावल), फल और फूल श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। धतूरा, भांग और आक के फूल भी अर्पित कर सकते हैं।
- मंत्र जाप: भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें। कम से कम 11 बार रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।
- राम-राम जाप: शिवलिंग के सम्मुख बैठकर 'राम-राम' जपने से भी भोलेनाथ की कृपा बरसती है और मन को शांति मिलती है।
- आरती: अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
निष्कर्ष: महादेव की कृपा से जीवन में आएगी खुशहाली
श्रावण मास की मासिक शिवरात्रि का यह पावन अवसर शिवभक्तों के लिए अपनी आस्था और भक्ति को प्रकट करने का एक सुनहरा मौका है। विधि-विधान से व्रत और पूजन करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। तो इस बुधवार, 23 जुलाई को, अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव की आराधना करें और उनके दिव्य आशीर्वाद को प्राप्त करें।