फिल्म 'बदनाम बस्ती' का रीस्टोर्ड वर्जन मेलबर्न फिल्म फेस्टिवल की 'प्राइड नाइट' में होगा प्रदर्शितफोटो : आईएएनएस
नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा के इतिहास की एक खोई हुई मानी जा रही फिल्म 'बदनाम बस्ती' अब अपने रीस्टोर्ड (बहाल) वर्जन के साथ एक बार फिर दर्शकों के सामने आने को तैयार है। फिल्म निर्माता प्रेम कपूर की 1971 में बनी यह फिल्म मेलबर्न के भारतीय फिल्म महोत्सव (IFFM) की 'प्राइड नाइट' में प्रदर्शित की जाएगी। यह महोत्सव 22 अगस्त को होगा, जो एलजीबीटीक्यू+ (LGBTQ+) प्राइड नाइट के रूप में ऑस्ट्रेलिया में समलैंगिक सिनेमा और समलैंगिक दक्षिण एशियाई पहचान को समर्पित होगी।
IFFM 2025: विविधता और समावेश का उत्सव
इस साल आईएफएफएम में लगभग 75 फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी, जो जेंडर, नस्ल, विकलांगता और महिला प्रतिनिधित्व जैसे विविध और महत्वपूर्ण विषयों पर बनी हैं। यह महोत्सव सिनेमा के माध्यम से समाज में संवाद स्थापित करने और विभिन्न पहचानों का जश्न मनाने का एक मंच प्रदान करेगा।
'प्राइड नाइट' का प्रदर्शन सिनेमा की विरासत को सम्मानित करने का एक दुर्लभ तरीका है, क्योंकि 'बदनाम बस्ती' को एक ऐतिहासिक फिल्म माना जाता है जिसने अपने समय से आगे बढ़कर समलैंगिक प्रेम को दर्शाया था। इस खास प्रदर्शन के बाद फिल्म निर्माता ओनिर द्वारा निर्देशित एक समलैंगिक लव स्टोरी, 'वी आर फहीम एंड करुण' का प्रीमियर भी होगा। यह दो फिल्मों का संयोजन अतीत और वर्तमान के बीच एक पुल का काम करेगा, जो भारतीय सिनेमा में एलजीबीटीक्यू+ कहानियों के विकास को दर्शाता है।
आईएफएफएम निदेशक की प्रतिक्रिया: सिनेमा की शक्ति
आईएफएफएम के निदेशक मीतू भौमिक ने इस पहल को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि आईएफएफएम के माध्यम से सिनेमा में लोगों को जोड़ने और संवाद स्थापित करने की शक्ति है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम जिस दुनिया में रहते हैं, उसकी सभी खूबसूरत विविधताओं को प्रतिबिंबित करें।" यह बयान महोत्सव के समावेशी दृष्टिकोण और सिनेमा को सामाजिक परिवर्तन के एक उपकरण के रूप में देखने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भौमिक ने आगे कहा, "यह प्राइड नाइट न केवल समलैंगिक पहचान का जश्न मनाने के बारे में है, बल्कि उस चीज को फिर से पाने के लिए भी है, जिससे भारतीय सिनेमा को एलजीबीटीक्यू+ की कहानियों से लंबे समय से वंचित रखा गया है। फिल्म 'बदनाम बस्ती' और 'वी आर फहीम एंड करुण' कहानियों के माध्यम से हम अतीत का सम्मान करते हैं।" यह दर्शाता है कि महोत्सव भारतीय सिनेमा के उन पहलुओं को सामने लाने का प्रयास कर रहा है जिन्हें पहले हाशिए पर रखा गया था।
'बदनाम बस्ती': एक खोई हुई विरासत की वापसी
'बदनाम बस्ती' हिन्दी उपन्यासकार कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना के उपन्यास 'एक सड़क सत्तावन गलियां' पर आधारित है। यह फिल्म अपने समय में काफी बोल्ड मानी जाती थी, क्योंकि यह समलैंगिक प्रेम और सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने वाले विषयों को छूती थी। फिल्म में नितिन सेठी, अमर कक्कड़ और नंदिता ठाकुर ने अभिनय किया है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि ऐसा माना जाता था कि यह फिल्म गायब हो गई है, और इसके प्रिंट उपलब्ध नहीं थे। लेकिन 2019 में इसका एक प्रिंट मिला, जिससे 40 साल का सूखा समाप्त हुआ! इस खोज ने फिल्म प्रेमियों और शोधकर्ताओं के बीच उत्साह भर दिया, क्योंकि यह भारतीय सिनेमा के एक महत्वपूर्ण हिस्से को फिर से जीवंत करने का मौका था। फिल्म का रीस्टोरेशन यह सुनिश्चित करेगा कि आने वाली पीढ़ियां भी इस ऐतिहासिक कृति को देख सकें।
महोत्सव की अन्य प्रमुख फिल्में
इस महोत्सव में कई अन्य महत्वपूर्ण फिल्में भी दिखाई जाएंगी। मेलबर्न के भारतीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफएम) की शुरुआत अभिनेत्री तिलोत्तमा शोम की बंगाली फिल्म 'बक्शो बोंडी - शैडोबॉक्स' के प्रदर्शन से होगी। तनुश्री दास और सौम्यानंद साही की सह-निर्देशित इस फिल्म का प्रीमियर बर्लिन फिल्म महोत्सव 2025 में हुआ था, जहां इसे आलोचकों द्वारा सराहा गया था।
निष्कर्ष
मेलबर्न के भारतीय फिल्म महोत्सव में 'बदनाम बस्ती' के रीस्टोर्ड वर्जन का प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण घटना है, जो भारतीय सिनेमा में विविधता और समावेश को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल एक खोई हुई फिल्म को वापस लाता है, बल्कि यह एलजीबीटीक्यू+ कहानियों को मुख्यधारा में लाने और सिनेमा की विरासत का सम्मान करने का भी एक प्रयास है। यह महोत्सव निश्चित रूप से दर्शकों को सोचने पर मजबूर करेगा और भारतीय सिनेमा के समृद्ध और विविध इतिहास को उजागर करेगा।