भारत में थर्मल पावर निवेश दोगुना होगा: क्रिसिल रिपोर्ट, 2.3 लाख करोड़ रुपए का अनुमानफोटो : IANS
नई दिल्ली: भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने और बेस लोड बिजली की आवश्यकता को सुनिश्चित करने के लिए देश के थर्मल पावर क्षेत्र में बड़े निवेश की तैयारी है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई कि भारत में अगले तीन वित्त वर्षों में थर्मल पावर उत्पादन क्षमता स्थापित करने के लिए निवेश पिछले तीन वित्त वर्षों की तुलना में दोगुना होकर 2.3 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। यह क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है, जो इस क्षेत्र पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का संकेत देता है।
निवेश का बढ़ता रुझान और निजी क्षेत्र का योगदान
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले तीन वित्त वर्षों में निजी कंपनियां अपने निवेश का विस्तार करेंगी और लगभग एक तिहाई का योगदान देंगी, जबकि शेष राशि केंद्रीय और राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की होगी। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि पिछले तीन वित्त वर्षों में निजी कंपनियों ने इस क्षेत्र में कुल निवेश में केवल 7-8 प्रतिशत का योगदान दिया था। निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी इस क्षेत्र के लिए सकारात्मक संकेत है।
सरकार का महत्वाकांक्षी लक्ष्य
भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2032 तक थर्मल एनर्जी क्षमता में कम से कम 80 गीगावाट (GW) की वृद्धि का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य देश की बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में लगभग 60 गीगावाट की क्षमता की घोषणा की जा चुकी है या यह कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है, जिसमें निजी कंपनियां लगभग 19 गीगावाट क्षमता स्थापित करेंगी। हालांकि, अधिकांश निजी क्षमताएं वित्त वर्ष 2028 के बाद ही चालू होंगी, जिसका अर्थ है कि निकट भविष्य में सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान अधिक महत्वपूर्ण रहेगा।
कार्यान्वयन में चुनौतियां
रिपोर्ट में कुछ संभावित चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है, "हालांकि इनमें से अधिकांश ब्राउनफील्ड विस्तार हैं जिनमें कार्यान्वयन जोखिम कम हैं, उपकरणों की समय पर डिलीवरी मुख्य रूप से बॉयलर और टर्बाइन सीमित आपूर्ति क्षमता और प्रमुख निर्माताओं के पास ऑर्डरों की पर्याप्त वृद्धि को देखते हुए, निगरानी योग्य बनी हुई है।" यह दर्शाता है कि आपूर्ति श्रृंखला और विनिर्माण क्षमताएं परियोजनाओं के समय पर पूरा होने में बाधा बन सकती हैं।
बढ़ती ऊर्जा मांग और नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका
क्रिसिल रेटिंग्स के डिप्टी चीफ रेटिंग ऑफिसर मनीष गुप्ता ने कहा, "वित्त वर्ष 2028 तक ऊर्जा की मांग 5.5 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़कर 2,000 अरब यूनिट तक पहुंचने की उम्मीद है।" उन्होंने यह भी बताया कि लगभग 70 प्रतिशत वृद्धिशील मांग नवीकरणीय स्रोतों से पूरी की जाएगी, जो भारत की हरित ऊर्जा लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
हालांकि, नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता अनियमित होने के कारण (सौर ऊर्जा केवल दिन के समय उपलब्ध होती है, जबकि पवन ऊर्जा मई से सितंबर तक केंद्रित रहती है), मनीष गुप्ता ने आगे कहा कि बेस लोड की मांग को लगातार पूरा करने के लिए ताप विद्युत महत्वपूर्ण बनी हुई है। यह थर्मल पावर के महत्व को रेखांकित करता है, जो नवीकरणीय ऊर्जा के पूरक के रूप में कार्य करेगा।
दीर्घकालिक पावर क्रय समझौते (PPAs)
रिपोर्ट में बताया गया है कि चार राज्यों में वितरण कंपनियों ने 9-10 साल के अंतराल के बाद निजी क्षेत्र के उत्पादकों को 25-वर्षीय थर्मल पावर क्रय समझौते (पीपीए) देना फिर से शुरू कर दिया है। पीपीए ने वर्तमान में संचालित 19 गीगावाट की निजी परियोजनाओं में से 6.1 गीगावाट के लिए प्रतिबद्धता जताई है, जबकि शेष अधिकांश परियोजनाएं विभिन्न चरणों में पूरी हो रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इससे यह स्पष्ट होता है कि वितरण कंपनियां उठाव जोखिम को कम करने के लिए दीर्घकालिक आधार पर थर्मल पावर के लिए प्रतिबद्धता जताने का इरादा रखती हैं। यह निजी निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह उनके निवेश के लिए दीर्घकालिक राजस्व सुरक्षा प्रदान करता है।
निष्कर्ष
भारत में थर्मल पावर उत्पादन क्षमता में आगामी निवेश देश की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए एक रणनीतिक कदम है। निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी और दीर्घकालिक पावर क्रय समझौतों का पुनरुत्थान इस क्षेत्र के लिए एक मजबूत दृष्टिकोण का संकेत देता है। हालांकि उपकरणों की आपूर्ति और समय पर डिलीवरी जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन थर्मल पावर भारत की ऊर्जा सुरक्षा और बेस लोड बिजली की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण बनी रहेगी, खासकर नवीकरणीय ऊर्जा के साथ तालमेल बिठाते हुए। यह निवेश भारत को एक ऊर्जा-सुरक्षित भविष्य की ओर ले जाने में सहायक होगा।