सावन विशेष: जानें शिवलिंग के 20 प्रकार और उनका महत्व, हर मनोकामना होगी पूरी
नई दिल्ली: विश्व के नाथ भगवान शिव का प्रिय माह सावन 11 जुलाई से शुरू होने वाला है। इस पावन अवसर पर देशभर के शिवालयों में भगवान के दर्शन-पूजन की तैयारियां जोरों पर हैं। 'बम भोले' की गूंज से हर मंदिर परिसर गुंजायमान होगा, और भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार शिवलिंग की पूजा-अर्चना करेंगे। अमूमन मंदिरों में हम पत्थर या धातु से बने शिवलिंग को ही पूजते देखते हैं, लेकिन हिंदू धर्म ग्रंथों में शिवलिंग के अनेकों प्रकार और उनके पूजन से मिलने वाले विशिष्ट फलों का विस्तृत वर्णन मिलता है। कम ही लोग जानते हैं कि धातु या पत्थर ही नहीं, बल्कि 'पीपल की लकड़ी', आंवला, मिश्री, सोंठ, मिर्च और फूलों जैसी विभिन्न सामग्रियों से बने शिवलिंग की भी पूजा होती है, और प्रत्येक का अपना अनूठा महत्व है।
शिवलिंग पूजा का महत्व और धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख
हिंदू धर्म में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। इसे भगवान शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक माना जाता है, जो सृष्टि, स्थिति और संहार के देवता हैं। शिवलिंग की पूजा से न केवल आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि यह भौतिक सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति का भी मार्ग प्रशस्त करती है।
कई सामग्रियों से निर्मित शिवलिंग के विषय में विस्तृत जानकारी हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलती है। शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण जैसे प्रमुख शैव ग्रंथों में इन विभिन्न शिवलिंगों के निर्माण विधि, पूजन विधि और उनसे प्राप्त होने वाले विशिष्ट फलों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। इन ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक सामग्री से बने शिवलिंग का पूजन भक्तों के जीवन में अलग-अलग प्रकार के सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। यह विविधता दर्शाती है कि शिव की आराधना किसी एक रूप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भक्तों की विविध आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करती है।
पारद शिवलिंग: सभी सिद्धियों और मोक्ष का दाता
शिव पुराण में पारद (पारा) से बने शिवलिंग का अभिषेक सर्वोत्तम माना गया है। पारद शिवलिंग को अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है, और इसका पूजन सभी सिद्धियों (अलौकिक शक्तियों) और मोक्ष का दाता माना जाता है। मान्यता है कि पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है। इसके पूजन से आरोग्य, धन और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। पारद एक तरल धातु है, जिसे विशेष प्रक्रियाओं द्वारा ठोस रूप में ढाला जाता है, और इसका निर्माण अत्यंत शुद्धता और विधि-विधान से किया जाता है।
विभिन्न सामग्रियों से निर्मित शिवलिंग और उनके विशिष्ट फल
धर्म ग्रंथों में शिव लिंग के 20 से अधिक प्रकार एवं उनके महत्व का वर्णन मिलता है, जिनमें से कुछ प्रमुख और उनके फल निम्नलिखित हैं:
- दही से बने शिवलिंग: शिव पुराण के अनुसार, दही से बने शिवलिंग की पूजा से समस्त सुख और धन की प्राप्ति होती है। यह विशेष रूप से आर्थिक समृद्धि और पारिवारिक सुख के लिए लाभकारी माना जाता है।
- गुड़ से निर्मित शिवलिंग: गुड़ में अन्न चिपकाकर निर्मित शिवलिंग का पूजन करने से कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है। यह खेती-किसानी से जुड़े भक्तों और किसानों के लिए विशेष लाभकारी है, जो अच्छी फसल और समृद्धि की कामना करते हैं।
- आंवले से बने शिवलिंग: लिंग पुराण में उल्लेख है कि आंवले से बने शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। आंवला को पवित्र और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है, और इसके शिवलिंग का पूजन आध्यात्मिक मुक्ति की ओर ले जाता है।
- कपूर से निर्मित शिवलिंग: कपूर से निर्मित शिवलिंग की पूजा आध्यात्मिक उन्नति और मुक्ति प्रदान करती है। यह साधकों और उन व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण है जो सांसारिक बंधनों से मुक्ति और आत्मज्ञान की प्राप्ति चाहते हैं।
- स्फटिक के शिवलिंग: शिव पुराण में वर्णित है कि स्फटिक के शिवलिंग की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। स्फटिक एक पारदर्शी और शुद्ध पत्थर है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इसकी पूजा से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- स्वर्ण और चांदी से बने शिवलिंग: स्वर्ण और चांदी से बने शिवलिंग का पूजन सुख-समृद्धि और धन-धान्य में वृद्धि करते हैं। ये पूजा विधान विशेष रूप से गृहस्थ जीवन में समृद्धि, ऐश्वर्य और आर्थिक स्थिरता लाने के लिए किए जाते हैं।
- दुर्वा से बने शिवलिंग: दुर्वा (दूब घास) से बने शिवलिंग की पूजा अकाल मृत्यु के भय को दूर करती है। यह दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है।
- पीपल की लकड़ी से निर्मित शिवलिंग: पीपल की लकड़ी से निर्मित शिवलिंग दरिद्रता का निवारण करता है। पीपल के वृक्ष को पवित्र और पूजनीय माना जाता है, और इसकी लकड़ी से बने शिवलिंग का पूजन आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाता है।
- लहसुनिया से बना शिवलिंग: लहसुनिया (कैट्स आई रत्न) से बना शिवलिंग शत्रुओं पर विजय दिलाता है। यह उन लोगों के लिए लाभकारी है जो अपने विरोधियों पर काबू पाना चाहते हैं या कानूनी विवादों में सफलता चाहते हैं।
- बिबर की मिट्टी के बने शिवलिंग: बिबर की मिट्टी से बने शिवलिंग का पूजन विषैले प्राणियों (जैसे सांप, बिच्छू) से रक्षा करता है। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में या उन स्थानों पर पूजनीय है जहाँ ऐसे जीवों का खतरा होता है।
- मिश्री से बना शिवलिंग: मिश्री से बना शिवलिंग रोग नाशक और सुखदायक है। इसका पूजन स्वास्थ्य लाभ और जीवन में मधुरता लाने के लिए किया जाता है।
- फूलों से निर्मित शिवलिंग: फूलों से निर्मित शिवलिंग भूमि-भवन की प्राप्ति कराता है। यह उन लोगों के लिए लाभकारी है जो अपना घर बनाना चाहते हैं या संपत्ति संबंधी इच्छाएं रखते हैं।
- जौ, गेहूं, चावल, फल, यज्ञ की भस्म, बांस के अंकुर से बने शिवलिंग: इन सभी सामग्रियों को शिवलिंग के समान आकार में ढालकर या काटकर पूजा करने से वंश वृद्धि होती है। यह संतान प्राप्ति और परिवार की वृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजन विधि और सावन में विशेष महत्व
इन विभिन्न शिवलिंगों का पूजन सामान्यतः शिव पूजन विधि के अनुसार ही किया जाता है, जिसमें अभिषेक, बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, चंदन, पुष्प आदि अर्पित किए जाते हैं। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है, और इस दौरान इन विभिन्न शिवलिंगों की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। सावन में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त सोमवार के व्रत रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान इन विशिष्ट शिवलिंगों का पूजन करने से भक्तों की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं और उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
हिंदू धर्म में शिवलिंग की विविधता और उनके पूजन से मिलने वाले विशिष्ट फल, शिव भक्ति की गहराई और व्यापकता को दर्शाते हैं। यह परंपरा हमें सिखाती है कि ईश्वर की आराधना किसी एक रूप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भक्तों की आवश्यकताओं, आकांक्षाओं और श्रद्धा के अनुसार विभिन्न रूपों में की जा सकती है। सावन का महीना इन सभी रूपों में भगवान शिव की आराधना करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है। चाहे वह पारद शिवलिंग हो जो मोक्ष प्रदान करता है, या दही से बना शिवलिंग जो धन देता है, या पीपल की लकड़ी से बना शिवलिंग जो दरिद्रता दूर करता है, प्रत्येक शिवलिंग भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति लाने का एक माध्यम है। यह विविधता ही भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का प्रतीक है, जहाँ हर मनोकामना के लिए एक विशेष मार्ग सुझाया गया है।