ओल्ड लाजपत राय मार्केट में धार्मिक मूर्तियों की अनधिकृत हटवाइश, बैग का ठीहा लगाकर व्यवसाय — मांगें और प्रशासनिक लापरवाही पर विवाद
1.1 चांदनी चौक और लाल किला क्षेत्र का महत्व
दिल्ली का चांदनी चौक क्षेत्र ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत के समृद्ध अतीत और व्यापारिक इतिहास से जुड़ा यह इलाका, लाल किला मेट्रो स्टेशन गेट‑1 के नजदीक स्थित ओल्ड लाजपत राय मार्केट भी संरचनात्मक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से एक प्रमुख केंद्र रहा है।
1.2 धार्मिक स्थलों की ऐतिहासिकता
इस मार्केट में एक छोटी सी धार्मिक प्रतिमा—हनुमान जी एवं साईं बाबा—श्रद्धालुओं द्वारा नियमित पूजा-अर्चना का केंद्र हुआ करती थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि सुबह‑शाम पूजा की प्रक्रिया अक्सर होती थी, और यह एक शांत और आस्था से भरा माहौल प्रदान करती थी।
1.3 आर्थिक और सामाजिक संबंध
मजबूत धार्मिक भावना और स्थायी श्रद्धा, स्थानीय व्यापारों को भी प्रभावित करती थी। प्रक्रिया पूजा पर आधारित श्रद्धालु भेंट चढ़ाते, खरीदी करते—जिससे आसपास की दुकानों और छोटी दुकानदारी को लाभ मिलता था। इन्हीं पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित कर रहा है विवाद।
2. घटनाक्रम: टाइमलाइन का विस्तार
तारीख | घटना |
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चांदनी चौक सौंदर्यीकरण अभियान (2024‑2025) | परिसर की मरम्मत और सौंदर्यीकरण के दौरान मूर्तियों से स्थान खाली कराया गया |
अपराह्न/रात्रि (अज्ञात तिथि) | चन्द्रशेखर यादव ने कथित रूप से मूर्तियाँ हटाकर अपना स्थाई स्टॉल (बैग‑ठीहा) स्थापित करना शुरू किया |
19 फरवरी 2025 | मागेन्द्र पासवान ने उपराज्यपाल दिल्ली, निगमायुक्त और थाना कोतवाली को लिखित शिकायत भेजी |
फरवरी‑मई 2025 | शिकायत के बावजूद किसी भी विभाग ने स्थायी कार्रवाई नहीं की |
5 अगस्त 2025 | मामला सार्वजनिक हुआ; मीडिया एवं Hind.thetrendingpeople.com ने रिपोर्ट तैयार की |
3. प्रत्यक्षदर्शियों और प्रभावितों के बयान
3.1 मागेन्द्र पासवान का बयान
“हनुमान जी और साईं बाबा की मूर्तियाँ लोगों की आस्था का केंद्र थीं। श्रद्धालु रोज पूजा करने आते थे। अचानक रातोंरात वे गायब कर दी गईं और वहां अब एक बैग‑ठीहा लग गया है। श्रद्धालु निराश हो रहे हैं, लोग मायूस लौटते हैं।”
मागेन्द्र पासवान, शास्त्री पार्क सीलमपुर निवासी हैं जो लंबे समय से ओल्ड लाजपत राय मार्केट में चाय का ठेला चलाकर परिवार का गुजर-बसर करते रहे हैं।
3.2 स्थानीय दुकानदार की प्रतिक्रिया
एक स्थानीय दुकानदार ने गुमनाम रहते हुए कहा:
“हम कई बार देख चुके हैं कि कुछ नाबालिग बच्चों को उस स्टॉल पर बैग बेचने के लिए लगाया जाता है। भीड़ में धक्का-मुक्की होती है, जेबकतरियाँ बढ़ी हैं, श्रद्धाली लोगों को अब सुरक्षा का डर सताता है।”
3.3 श्रद्धालुओं की चिंताएँ
पास ही स्थित पागल बाबा मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि वह मंदिर से निकलते समय संस्थापक प्रतिमा स्थल को नियमित रूप से देख कर आस्था से जुड़ते थे; परन्तु अब वहां व्यवसाय ही व्यवसाय नजर आता है।
4. कानूनी और प्रशासनिक पहलू
4.1 शिकायत और प्रशासन की अनदेखी
19 फरवरी 2025 को उपराज्यपाल, निगमायुक्त और थाना कोतवाली को भेजी गई लिखित शिकायत के बावजूद—जिसमें मांग की गई थी कि मूर्तियाँ पुनः स्थापित की जाएं, अतिक्रमण हटाया जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो—अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
4.2 लागू कानून और प्रावधान
- भारतीय दंड संहिता की धारा 295A: धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाना दंडनीय।
- बाल श्रम निषेध अधिनियम: 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराना प्रतिबंधित।
- नगरीय नियमन कार्य: नगर निगम कानूनों के अंतर्गत सार्वजनिक या धार्मिक स्थल पर अतिक्रमण प्रक्रिया नॉन-काननिकल है।
4.3 प्रशासन की भूमिका
स्थानीय प्रशासन द्वारा शिकायत की अनदेखी सामाजिक और धार्मिक विरोध का कारण बन रही है। पार्श्व में सुरक्षा, बाल श्रम और धार्मिक अधिनियमों को देखते हुए मामले की गंभीरता स्पष्ट है।
5. स्थानीय और राष्ट्रीय प्रभाव
5.1 स्थानीय स्तर पर प्रभाव
- धार्मिक आस्था को लगा चोट, स्थानिक प्रतिष्ठानों की समस्याएँ बढ़ीँ
- स्थानीय व्यापार प्रभावित, भीड़-व्यवस्था बिगड़ी
- सुरक्षा चिंताएँ: जेबकतरियाँ, भीड़ में अशांति आदि
5.2 राष्ट्रीय स्तर पर चिंताएँ
- धार्मिक संवेदनाओं का आहत होना: संवैधानिक भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा का प्रश्न
- कानून व्यवस्था की जांच: प्रशासनिक उदासीनता और शिकायतों की सुनवाई न होना संविधानिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है
- बच्चों का गैरकानूनी श्रम: इस तरह की गतिविधियाँ बाल हक व अधिकारों के संरक्षण में बाधा डालती हैं
6. मीडिया और सोशल प्रतिक्रिया
6.1 सोशल मीडिया पर चर्चाएँ
यूज़र्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर घटना का उल्लेख करते हुए प्रशासन व पुलिस पर तीखे सवाल उठाए हैं। कई धर्मगुरु और स्थानीय संगठन भी मामले की बात उठा चुके हैं।
6.2 धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रिया
कुछ धार्मिक संगठनों ने स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वे मांग कर रहे हैं कि:
- मूर्तियाँ पुनः स्थापित की जाएँ
- न्यायिक/पुलिसी कार्रवाई हो
- भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए तंत्र मजबूत किया जाए
7. मांगें और उम्मीदें
शिकायतकर्ता की मुख्या मांगें इस प्रकार हैं:
- अत्यंत शीघ्र उस स्थल से अतिक्रमण हटाया जाए।
- भगवान हनुमान जी एवं साईं बाबा की मूर्तियाँ पुनः स्थापना की जाए।
- चन्द्रशेखर यादव पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
- नाबालिगों से अवैध श्रम बंद हो।
- सुरक्षा व्यवस्था सुधारी जाए—ताकि श्रद्धालु अनुचित स्थिति से मुक्त रहें।
8. संभावित कारवाई और न्यायिक रास्ते
8.1 पुलिस जांच
स्थानिक थाना कोतवाली को जल्द एफआईआर दर्ज करनी चाहिए—धारा 295A, बाल श्रम निषेध अधिनियम और अतिक्रमण संबंधित।
8.2 सचिवालय एवं उपराज्यपाल
उपराष्ट्रपति कार्यालय या उपराज्यपाल कार्यालय को प्रतिलिपि भेजकर इस मामले में स्थायी रूप से मुकदमा चलाने की मांग की जा सकती है।
8.3 न्यायिक हस्तक्षेप
सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में लोकहित याचिका दायर की जा सकती है, जिससे कोर्ट निर्देश जारी करे कि मूर्तियाँ पुनः स्थापित हों और स्टॉल हटाया जाए।
8.4 मीडिया और नागरिक समाज की भूमिका
स्थानीय समाचारपत्र, टीवी चैनल, डिजिटल मीडिया—इस मामले की व्यापक कवरेज कर प्रशासन को कार्रवाई के लिए मजबूर कर सकते हैं।
The Trending People की अंतिम टिप्पणी:
यह मामला केवल एक सड़क किनारे स्टॉल से ज्यादा गंभीर है। यह धर्म, कानून और सामाजिक व्यवस्था तीनों से जुड़ा हुआ है।
यह घटना केवल धार्मिक मूर्तियों की चोरी या अतिक्रमण का मामला नहीं है—यह भावनात्मक, सामाजिक और न्यायिक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है। यदि प्रशासन समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं करता, तो यह धार्मिक विवाद में बदल सकता है और जनआक्रोश का कारण बन सकता है। धार्मिक स्थल और सार्वजनिक भावना की अवहेलना, स्थानीय सुरक्षा और संविधानिक कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी जैसे मुद्दों को भी जोड़ती है।
यदि प्रशासन त्वरित व सख्त कार्रवाई करता है, तो यह क्षेत्र और सामाजिक व्यवस्था के लिए एक संदेश बनेगा कि धार्मिक आस्था और मानवाधिकारों की रक्षा राज्य की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि इस मामले में निष्पक्ष जांच कराए और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि कानून का भय और श्रद्धालुओं का विश्वास बना रहे।