कोयला मंत्रालय का डिजिटल Leap: एक्सप्लोरेशन मॉड्यूल 4 जुलाई को लॉन्च होगा, पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी
नई दिल्ली, 1 जुलाई । भारत के कोयला क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण डिजिटल क्रांति की तैयारी हो चुकी है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को घोषणा की कि कोयला मंत्रालय, कोल एक्सप्लोरेशन वैल्यू चेन के एंड-टू-एंड डिजिटलीकरण को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है। इसके तहत, 4 जुलाई को सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम (SWCS) वेब पोर्टल पर एक समर्पित 'एक्सप्लोरेशन मॉड्यूल' लॉन्च किया जाएगा। यह मॉड्यूल कोयला खोज और खनन प्रक्रिया में पारदर्शिता, दक्षता और गति लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' और डिजिटल रूप से सशक्त इकोसिस्टम के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी करेंगे लॉन्च
यह महत्वपूर्ण मॉड्यूल केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल) के माध्यम से 4 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा। इस लॉन्च के साथ, कोयला ब्लॉक के अलॉटी (आवंटित) को उनके एक्सप्लोरेशन प्रपोजल (खोज प्रस्ताव) को ऑनलाइन सबमिट करने की सुविधा मिलेगी। एक बार सबमिट होने के बाद, इन प्रस्तावों को मंत्रालय द्वारा एक इंटीग्रेटेड सिस्टम के माध्यम से प्रोसेस और अप्रूव किया जाएगा। यह प्रक्रिया पारंपरिक कागजी कार्रवाई और मैन्युअल हस्तक्षेप को कम करके एक सुव्यवस्थित और समय-कुशल प्रणाली की ओर एक बड़ा बदलाव लाएगी।
एक्सप्लोरेशन मॉड्यूल: एंड-टू-एंड डिजिटलीकरण
यह नया मॉड्यूल कोयले की खोज की पूरी प्रक्रिया को कवर करने के लिए तैयार है, जो 'सिंगल डिजिटल इंटरफेस' में सभी आवश्यक चरणों को एकीकृत करता है। इसमें शामिल हैं:
- एक्सप्लोरेशन स्कीम की जांच: प्रस्तावों की प्रारंभिक जांच और मूल्यांकन।
- समय-समय पर प्रोग्रेस अपडेट प्रस्तुत करना: खोज गतिविधियों की प्रगति की नियमित रिपोर्टिंग।
- भूवैज्ञानिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना और अनुमोदन करना: विस्तृत भूवैज्ञानिक रिपोर्टों को ऑनलाइन जमा करना और टिप्पणियों के साथ उनका अनुमोदन प्राप्त करना।
- अनुपालन अपलोड करना: सभी नियामक और पर्यावरणीय अनुपालनों को डिजिटल रूप से अपलोड करना।
- फाइनल अप्रूवल: पूरी प्रक्रिया के अंत में अंतिम अनुमोदन प्राप्त करना।
मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, यह मॉड्यूल "प्रत्येक चरण के लिए स्ट्रक्चर्ड टाइमलाइन्स बनाए रखते हुए एक्सप्लोरेशन डेटा की प्रोसेसिंग और अप्रूवल में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।" यह सुनिश्चित करेगा कि परियोजनाओं को अनावश्यक देरी का सामना न करना पड़े और सभी हितधारकों को प्रक्रिया की स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी हो।
प्रमुख विशेषताएं और लाभ: पारदर्शिता और दक्षता का नया युग
एक्सप्लोरेशन मॉड्यूल को कई उन्नत विशेषताओं के साथ विकसित किया गया है जो कोयला क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित करेंगी:
- रियल टाइम ट्रैकिंग: अलॉटी और मंत्रालय के अधिकारी अपने प्रस्तावों की स्थिति को वास्तविक समय में ट्रैक कर सकेंगे। इससे प्रक्रिया में अनिश्चितता कम होगी और जवाबदेही बढ़ेगी।
- ऑटोमेटेड डिजिटल डॉक्युमेंट मैनेजमेंट: सभी दस्तावेज डिजिटल रूप से प्रबंधित किए जाएंगे, जिससे कागजी कार्रवाई कम होगी, त्रुटियां कम होंगी और दस्तावेजों तक पहुंच आसान होगी।
- इंटीग्रेटेड डैशबोर्ड: एक एकीकृत डैशबोर्ड सभी प्रासंगिक जानकारी और प्रगति का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करेगा, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुधार होगा।
- कम प्रोसेसिंग समय: आधिकारिक बयान में कहा गया है, "रियल टाइम ट्रैकिंग के साथ, ऑटोमेटेड डिजिटल डॉक्युमेंट मैनेजमेंट और इंटीग्रेटेड डैशबोर्ड के साथ, यह मॉड्यूल एक्सप्लोरेशन प्रपोजल की प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक समय को काफी कम करने के लिए तैयार है।" यह कोयला परियोजनाओं को तेजी से शुरू करने में मदद करेगा, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान मिलेगा।
सीएमपीडीआईएल के सहयोग से विकसित, यह मॉड्यूल ई-गवर्नेंस और तकनीकी सत्यापन में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाता है। यह कोल रिसोर्स असेस्मेंट (कोयला संसाधन मूल्यांकन) की निगरानी को सक्षम करेगा और मंत्रालय के कोयला ब्लॉक आवंटन में सुधार पेश करेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि कोयला संसाधनों का मूल्यांकन अधिक सटीक और कुशल तरीके से हो, जिससे आवंटन प्रक्रिया में निष्पक्षता और प्रभावशीलता बढ़े।
सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम (SWCS) की भूमिका
एक्सप्लोरेशन मॉड्यूल का लॉन्च सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम (SWCS) की क्षमताओं का विस्तार है, जो कोयला मंत्रालय की डिजिटल परिवर्तन यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 11 जनवरी, 2021 को लॉन्च किया गया SWCS एक अग्रणी पहल है। इसका मुख्य उद्देश्य देश भर में कोयला खदानों के संचालन और कोयला उत्पादन को बढ़ाने के लिए आवश्यक सभी आवश्यक मंजूरी और अप्रूवल प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करना है।
SWCS ने पहले ही विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों से आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। एक्सप्लोरेशन मॉड्यूल का एकीकरण इस प्रणाली को और मजबूत करेगा, जिससे कोयला खनन के पूरे जीवनचक्र को एक ही डिजिटल छत के नीचे लाया जा सकेगा। यह 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' (व्यवसाय करने में आसानी) को बढ़ावा देगा और निवेशकों के लिए भारत के कोयला क्षेत्र को और अधिक आकर्षक बनाएगा।
कोयला क्षेत्र पर दूरगामी प्रभाव
इस प्रकार, एक्सप्लोरेशन मॉड्यूल की शुरुआत भारत के कोयला क्षेत्र में उत्पादकता, डेटा पारदर्शिता और अप्रूवल की गति को बढ़ाने में एक परिवर्तनकारी कदम होगा। यह न केवल कोयला खोज के लिए आवश्यक समय और संसाधनों को कम करेगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि डेटा अधिक सटीक और सुलभ हो। बेहतर डेटा और तेज अनुमोदन प्रक्रियाएं कोयला उत्पादन को बढ़ावा देंगी, जो भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
यह पहल राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा और सस्टेनेबल डेवलपमेंट लक्ष्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। डिजिटलीकरण से पर्यावरण संबंधी अनुपालनों की निगरानी भी बेहतर होगी, जिससे खनन गतिविधियों का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव कम होगा। यह कोयला क्षेत्र को आधुनिक, कुशल और जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
निष्कर्ष: विकसित भारत की ओर एक और कदम
कोयला मंत्रालय द्वारा एक्सप्लोरेशन मॉड्यूल का लॉन्च प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' और 'डिजिटल रूप से सशक्त इकोसिस्टम' के दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह दर्शाता है कि सरकार कैसे प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर प्रमुख क्षेत्रों में दक्षता और पारदर्शिता ला रही है। कोयला, भारत की ऊर्जा सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, और इस क्षेत्र में डिजिटलीकरण से न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि यह अधिक टिकाऊ और जिम्मेदार खनन प्रथाओं को भी बढ़ावा देगा। यह पहल भारत को एक आत्मनिर्भर और ऊर्जा-सुरक्षित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।