स्वतंत्रता दिवस पोस्ट में गांधी से बड़े दिखे सावरकर, कांग्रेस का केंद्र पर हमला – "मिलावट नहीं चाहिए"
नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025 – स्वतंत्रता दिवस पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। मंत्रालय ने बधाई संदेश में महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और विनायक दामोदर सावरकर की तस्वीरें साझा कीं। लेकिन तस्वीर में सावरकर को गांधी से बड़ा दिखाए जाने पर कांग्रेस ने तीखा विरोध जताया।
क्या था पोस्ट में
- मंत्रालय के X (पूर्व ट्विटर) हैंडल से पोस्ट किया गया संदेश –
"देश की आज़ादी का जश्न मनाते हुए, आइए याद रखें कि स्वतंत्रता तभी फलती-फूलती है जब हम इसे हर दिन एकता, करुणा और कर्म के माध्यम से पोषित करते हैं।"
- तस्वीर में चार स्वतंत्रता सेनानी – महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और सावरकर – शामिल थे।
- विज़ुअल लेआउट में सावरकर की तस्वीर गांधी से बड़ी दिखाई दी, जिस पर आपत्ति जताई गई।
कांग्रेस का हमला
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केसी वेणुगोपाल (संगठन महासचिव, कांग्रेस):
"हर स्वतंत्रता दिवस पर मोदी सरकार इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करती है और देशद्रोहियों को नायक बनाती है। सावरकर जैसे अंग्रेजों से दया याचना करने वाले को गांधी जी से ऊपर दिखाया गया, और नेहरू-पटेल को पूरी तरह नकार दिया गया।"
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पवन खेड़ा (मीडिया विभाग प्रमुख, कांग्रेस):
"पेट्रोल में इथेनॉल मिलाते-मिलाते अब आप स्वतंत्रता सेनानियों में भी मिलावट करने लगे। जो इतिहास में बड़े नहीं बन सके, उनको पोस्टर में बड़ा बना रहे हो। देश आपसे सस्ता तेल मांग रहा है, सस्ती कॉमेडी नहीं।"
क्यों उठा विवाद
- सावरकर को लेकर भारतीय राजनीति में लंबे समय से मतभेद रहे हैं –
- बीजेपी और समर्थक उन्हें वीर स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुत्व विचारक मानते हैं।
- कांग्रेस और विपक्षी दल उनके अंग्रेज़ों को भेजी गई दया याचनाओं और कुछ ऐतिहासिक घटनाओं का हवाला देते हुए उन्हें विवादित मानते हैं।
- इस बार विवाद इसलिए भड़का क्योंकि सरकारी मंत्रालय की पोस्ट में विज़ुअल हाइरार्की में गांधी से बड़ा दिखाया गया।
TheTrendingPeople.com की राय
यह विवाद दर्शाता है कि भारत में स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को लेकर राजनीतिक लड़ाई केवल ऐतिहासिक बहस नहीं, बल्कि विज़ुअल प्रेज़ेंटेशन और पब्लिक मैसेजिंग तक फैल चुकी है।
स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर पर भी राजनीतिक पार्टियां प्रतीकों और छवियों के माध्यम से अपने-अपने नैरेटिव स्थापित करने की कोशिश करती हैं, और यही कारण है कि ऐसे डिज़ाइन चुनाव भी विवाद का कारण बन जाते हैं।