पलवल: रीण्डका गांव के राशन डिपो धारक का लाइसेंस रद्द, सिक्योरिटी जब्त
पलवल: पलवल जिले के हथीन क्षेत्र में जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक सौरव ने रीण्डका गांव के राशन डिपो धारक गजेंद्र का लाइसेंस रद्द कर दिया है। अनियमितताओं के चलते यह कार्रवाई की गई है, और डिपो होल्डर की ओर से जमा कराई गई सिक्योरिटी राशि भी जब्त कर ली गई है। यह जानकारी जिला समाधान शिविर में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा दी गई, जिससे विभाग की भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संदेश मिलता है।
शिकायत और कार्रवाई की मांग
यह मामला तब सामने आया जब समाधान शिविर में शिकायतकर्ता नरवीर ने अतिरिक्त उपायुक्त (ADC) जयदीप कुमार से शिकायत दर्ज कराई। नरवीर ने अपनी शिकायत में कहा था कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने अनियमितताएं मिलने के बावजूद अभी तक संबंधित डिपो होल्डर के खिलाफ थाने में केस दर्ज नहीं कराया है। इस शिकायत ने विभाग पर दबाव बढ़ाया और कार्रवाई को गति मिली।
शिकायतकर्ता नरवीर ने इस मामले में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राजेश नागर को लिखित शिकायत देकर भी सख्त कार्रवाई की मांग की थी। जनता की ओर से लगातार मिल रही शिकायतों और मंत्री स्तर पर की गई अपील के बाद विभाग ने यह कड़ा कदम उठाया है। यह दर्शाता है कि सरकार अनियमितताओं के प्रति गंभीर है और जन शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई कर रही है।
अनियमितताओं पर अंकुश लगाने का प्रयास
राशन डिपो धारक का लाइसेंस रद्द करना और सिक्योरिटी राशि जब्त करना खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के प्रयासों का हिस्सा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन वितरण सीधे गरीबों और जरूरतमंदों से जुड़ा होता है। ऐसे में, इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता सीधे लाभार्थियों को प्रभावित करती है। इस तरह की कार्रवाई से अन्य डिपो धारकों को भी एक स्पष्ट संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचार और अनियमितताएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
यह कदम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। जब डिपो धारकों को पता होगा कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है, तो वे नियमों का पालन करने और ईमानदारी से काम करने के लिए अधिक प्रेरित होंगे।
पलवल के रीण्डका गांव के राशन डिपो धारक गजेंद्र का लाइसेंस रद्द होना और सिक्योरिटी राशि का जब्त होना, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की अनियमितताओं के खिलाफ सख्त नीति को दर्शाता है। यह कार्रवाई न केवल शिकायतकर्ता को न्याय दिलाएगी, बल्कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में विश्वास बहाल करने में भी मदद करेगी। यह घटना अन्य डिपो धारकों के लिए एक चेतावनी है और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करती है कि गरीबों तक उनका हक बिना किसी बाधा या भ्रष्टाचार के पहुंचे।