भारत-ब्राजील रक्षा सहयोग: ब्राजील ने 'आकाश' और 'गरुड़' में दिखाई दिलचस्पी
नई दिल्ली, 1 जुलाई। भारत की रक्षा क्षमताएं अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं, और भारतीय हथियारों की तकनीक अंतरराष्ट्रीय मंच पर सराही जा रही है। इसी कड़ी में, दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील ने भारत की स्वदेशी 'आकाश' वायु रक्षा प्रणाली और 'गरुड़' तोपों में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को जानकारी दी कि ब्राजील ने इन आधुनिक रक्षा उपकरणों सहित अन्य भारतीय प्रणालियों को हासिल करने की इच्छा जताई है। यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन यात्रा से ठीक पहले आया है, जो अगले सप्ताह ब्राजील में होने जा रही है। यह दौरा दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की उम्मीद जगा रहा है।
द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा
विदेश मंत्रालय में सचिव पी. कुमारन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस महत्वपूर्ण विकास की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत और ब्राजील के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने पर गंभीर विचार किया जा रहा है। यह सहयोग केवल खरीद-फरोख्त तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें संयुक्त अनुसंधान, तकनीकी साझाकरण और प्रशिक्षण के अवसरों पर भी बातचीत चल रही है। कुमारन ने कहा, "हम यह भी देख रहे हैं कि ब्राजील को किस प्रकार की रक्षा प्रणाली प्रदान की जा सकती है। हालांकि अभी बातचीत शुरुआती चरण में है।" यह दर्शाता है कि दोनों देश दीर्घकालिक और रणनीतिक साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं।
भारत और ब्राजील के बीच रक्षा उद्योग में साझेदारी पर 2020 से विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इससे पहले, 2003 में एक रक्षा सहयोग समझौता हुआ था, जिसे 2006 में मंजूरी मिली और इसके तहत एक संयुक्त रक्षा समिति (JDC) का गठन किया गया। रक्षा प्रमुखों के स्तर पर अब तक 14 बार बातचीत हो चुकी है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा संवाद को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, 2+2 राजनीतिक-सैन्य वार्ता भी शुरू की गई है, जिसकी पहली बैठक 2024 में हुई थी। ये सभी कदम दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
ब्राजील की प्राथमिकताएं: आकाश, OPV और पनडुब्बियां
कुमारन ने ब्राजील की विशिष्ट प्राथमिकताओं का खुलासा करते हुए बताया कि ब्राजील विशेष रूप से कई भारतीय रक्षा प्रणालियों में रुचि दिखा रहा है। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- युद्धक्षेत्र संचार प्रणालियां: आधुनिक युद्ध में प्रभावी संचार महत्वपूर्ण है, और ब्राजील भारतीय संचार प्रणालियों की क्षमता को पहचानता है।
- अपतटीय गश्ती पोत (OPV): समुद्री सुरक्षा और निगरानी के लिए OPV ब्राजील की नौसेना के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- तटीय निगरानी उपकरण: अपनी लंबी तटरेखा की सुरक्षा के लिए ब्राजील को उन्नत निगरानी उपकरणों की आवश्यकता है।
- ‘गरुड़’ तोपें: ये स्वदेशी तोप प्रणाली अपनी सटीकता और गति के लिए जानी जाती है।
- 'आकाश' वायु रक्षा प्रणाली: यह भारत की प्रमुख सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है।
इसके साथ ही, ब्राजील स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के रखरखाव में भी भारत के साथ साझेदारी की संभावना तलाश रहा है। यह दोनों देशों के बीच गहरे तकनीकी सहयोग की इच्छा को दर्शाता है। कुमारन के अनुसार, ब्राजील भारतीय रक्षा उद्योग के साथ संयुक्त उपक्रम (Joint Ventures) बनाने का भी इच्छुक है। उन्होंने एयरोस्पेस क्षेत्र में ब्राजील की कंपनी एम्ब्रेयर की ताकत को देखते हुए विमान निर्माण और सहयोग के कई रास्ते खुलने की संभावना जताई।
‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली: भारत की रक्षा में एक मजबूत दीवार
'आकाश' मिसाइल प्रणाली भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मोबाइल प्रणाली है। यह प्रणाली दुश्मन के फाइटर जेट्स, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और अन्य हवाई खतरों को नष्ट करने में सक्षम है। इसकी मारक सीमा 25 से 45 किमी तक है और यह 20 किमी ऊंचाई तक के लक्ष्यों को भेद सकती है। इसकी सुपरसोनिक गति (मैक 1.8–2.5) इसे बेहद घातक बनाती है।
आकाश मिसाइल प्रणाली एक एकीकृत नेटवर्क (C4ISR ढाँचा) का हिस्सा है, जो स्वचालित और AI-आधारित है। इसमें उन्नत सेंसर और रडार लगे हैं जो रियल-टाइम हवाई तस्वीर प्रदान करते हैं। यह भारतीय वायुसेना के एकीकृत वायु कमान एवं नियंत्रण प्रणाली (IACCS) और नौसेना के त्रिगुण सिस्टम के साथ समन्वय करता है, जिससे तीनों सेनाओं के बीच रियल-टाइम डेटा साझा होता है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान इसने दुश्मन के कई ड्रोन और मिसाइल हमलों को सफलतापूर्वक विफल किया था, जिसने इसकी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता को साबित किया। भारतीय सेना के अनुसार, आकाशतीर ने 100% सटीकता के साथ हर खतरे को निष्क्रिय किया है, जिसने भारत की वायु रक्षा को अभेद्य बनाया है।
‘गरुड़’ तोप प्रणाली: सटीकता और गति का संयोजन
'गरुड़' एक स्वदेशी तोप प्रणाली है जो अपनी तेज़ तैनाती, सटीक मार और हल्के डिज़ाइन के चलते तटीय और सीमावर्ती इलाकों में बेहद उपयोगी साबित हो रही है। इसकी गतिशीलता और मारक क्षमता इसे विभिन्न युद्धक्षेत्र परिदृश्यों के लिए एक बहुमुखी हथियार बनाती है। हालांकि, उपलब्ध जानकारी में 'गरुड़' तोप प्रणाली की विस्तृत तकनीकी विशेषताओं का उल्लेख कम है, लेकिन ब्राजील की इसमें रुचि इसकी सामरिक उपयोगिता और भारतीय रक्षा विनिर्माण की बढ़ती क्षमता को दर्शाती है।
प्रधानमंत्री मोदी का ब्राजील दौरा और आगे की राह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 से 8 जुलाई के बीच ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान वे ब्राजील में द्विपक्षीय वार्ताएं भी करेंगे, जहां रक्षा सहयोग पर विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है। इस दौरे से रक्षा समझौतों को अंतिम रूप देने और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अलावा, प्रधानमंत्री घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और नामीबिया की यात्रा भी करेंगे, जो भारत की बढ़ती वैश्विक कूटनीति और रक्षा निर्यात आकांक्षाओं को रेखांकित करता है।
भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये (लगभग 2.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो 2023-24 की तुलना में 12.04 प्रतिशत अधिक है। भारत अब 80 से अधिक देशों को गोला-बारूद, हथियार, उप-प्रणालियां और विभिन्न रक्षा घटकों का निर्यात कर रहा है। यह आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की प्रगति और एक विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में उसकी बढ़ती वैश्विक छवि को दर्शाता है।
ब्राजील द्वारा भारतीय रक्षा प्रणालियों में दिखाई गई गहरी दिलचस्पी भारत के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' पहल की सफलता का एक प्रमाण है। 'आकाश' और 'गरुड़' जैसी स्वदेशी प्रणालियों का निर्यात न केवल भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि यह वैश्विक भू-राजनीति में भारत की स्थिति को भी बढ़ाएगा। प्रधानमंत्री मोदी की आगामी ब्राजील यात्रा इस रक्षा सहयोग को एक ठोस आकार देने और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, जिससे दोनों राष्ट्रों की सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।