सावन 2025: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर की पुष्पवर्षा, गूंजा हर हर महादेव
रायपुर, छत्तीसगढ़: पवित्र श्रावण मास के तीसरे सोमवार को छत्तीसगढ़ के खजुराहो बाबा भोरमदेव मंदिर में भक्ति और आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और दोनों उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और अरुण साव ने हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा की, जिससे पूरा मंदिर परिसर 'हर हर महादेव' के जयकारों से गूंज उठा। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब मुख्यमंत्री ने स्वयं श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया है।
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों द्वारा पुष्पवर्षा
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज सुबह ही भोरमदेव पहुंच गए थे। इसके बाद हेलीकॉप्टर से भोरमदेव मंदिर परिसर पहुंचकर कांवड़ यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं, भक्तों और कांवड़ियों का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। इस दौरान उनके साथ उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और अरुण साव भी मौजूद रहे। यह पहल श्रद्धालुओं के उत्साह को बढ़ाने और उनके प्रति सरकार के सम्मान को दर्शाती है।
भोरमदेव मंदिर का विशेष महत्व
श्रावण मास में भोरमदेव मंदिर का विशेष महत्व है। इसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है, और यह अपनी प्राचीनता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। श्रावण मास का यह चौथा सोमवार होने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या और आस्था देखते ही बन रही थी। हजारों की संख्या में शिव भक्त यहां भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।
कांवड़ियों का आगमन और सुविधाएं
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम, बेमेतरा, खैरागढ़, राजनांदगांव, बलौदा बाजार, मुंगेली, बिलासपुर सहित अन्य जिलों से हजारों की संख्या में कांवड़िए भोरमदेव पहुंचते हैं। ये श्रद्धालु माँ नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से कांवड़ यात्रा के दौरान जल लेकर पदयात्रा करते हुए भोरमदेव मंदिर पहुंचते हैं और भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करते हैं।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए हैं। यहां पर श्रद्धालुओं के लिए भोजन, विश्राम, चिकित्सा सहित सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, ताकि उनकी यात्रा सुगम और आरामदायक हो सके।
छत्तीसगढ़ के खजुराहो बाबा भोरमदेव मंदिर में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों द्वारा हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा करना एक अनूठी पहल है, जो राज्य में धार्मिक सद्भाव और जन-प्रतिनिधियों की जनभावनाओं के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक यादगार अनुभव बना, बल्कि इसने श्रावण मास की पवित्रता और भक्तिमय वातावरण को और भी बढ़ा दिया।