एम्स में आग से बचाव के लिए मॉक ड्रिल: दिसंबर तक चलेगा प्रशिक्षण, स्टाफ को मिलेगी विशेष ट्रेनिंग
नई दिल्ली: दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हुई आगजनी की घटनाओं और उनमें हुई जनहानि को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) अपने सभी परिसरों को सुरक्षित बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी कर रहा है। इसके तहत, एम्स अपने सभी परिसरों में मॉक ड्रिल आयोजित कर स्टाफ को आग से बचने की विशेष ट्रेनिंग दे रहा है। यह व्यापक प्रक्रिया दिसंबर तक चलेगी, जिसका उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों में स्टाफ की प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाना और मरीजों व कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
मॉक ड्रिल की प्रक्रिया और प्रशिक्षण के बिंदु
एम्स के उपमुख्य सुरक्षा अधिकारी की तरफ से जारी आदेश के तहत, मॉक ड्रिल की प्रक्रिया एम्स ट्रॉमा सेंटर से शुरू हुई है, जो अंततः बल्लभगढ़ स्थित एम्स के केंद्र पर समाप्त होगी। इस मॉक ड्रिल में कई महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं, जो आग से बचाव और प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक हैं:
- आग के उपकरण और उनका इस्तेमाल: स्टाफ को आग बुझाने वाले उपकरणों (जैसे अग्निशामक यंत्र) और उनके सही इस्तेमाल के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा।
- फायर अलार्म की जांच: यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी फायर अलार्म ठीक से काम कर रहे हैं और स्टाफ को उनके संचालन की जानकारी हो।
- सूचना पहुंचाने की जगह: आग की घटना होने पर लोगों तक सूचना कैसे पहुंचाई जाए, इसके लिए निर्धारित स्थानों और प्रक्रियाओं के बारे में बताया जाएगा।
- लोगों को बाहर निकालना और बचाव के तरीके: आपात स्थिति में लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के तरीके और बचाव तकनीकों का अभ्यास कराया जाएगा।
- आग से बचने के उपकरण का इस्तेमाल: व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (PPE) और अन्य बचाव उपकरणों के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- कोड रेड की जानकारी: 'कोड रेड' जैसी आपातकालीन कोड प्रणालियों और उनके महत्व के बारे में स्टाफ को शिक्षित किया जाएगा।
इसके अलावा, दिल्ली दमकल सेवा के माध्यम से स्टाफ को विशेष जानकारी भी दी जाएगी। उन्हें बताया जाएगा कि यदि आग की घटना में फंस जाते हैं तो इससे कैसे बाहर निकल सकते हैं। मॉक ड्रिल के दौरान परिसर में आग जैसी वास्तविक घटनाएं तैयार कर उनसे बचने के तरीके भी बताए जाएंगे, जिससे प्रशिक्षण अधिक प्रभावी और व्यावहारिक हो सके।
मॉक ड्रिल का विस्तृत शेड्यूल
आदेश के तहत, एम्स के विभिन्न परिसरों में मॉक ड्रिल का आयोजन निम्नलिखित तिथियों पर किया जाएगा:
21 जुलाई: एम्स का आईआरसीएच सेंटर
5 अगस्त: मुख्य अस्पताल
20 अगस्त: प्राइवेट वार्ड 2
29 अगस्त: राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र
4 सितंबर: सर्जिकल ब्लॉक
15 सितंबर: मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक
25 सितंबर: सीएन टावर
3 अक्टूबर: सीडीईआर
13 अक्टूबर: बीएनपीएस ब्लॉक
29 अक्टूबर: न्यू प्राइवेट वार्ड तीन
3 नवंबर: एनसीए
14 नवंबर: कन्वर्जन ब्लॉक
18 नवंबर: नई राजकुमारी ओपीडी
28 नवंबर: एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक
4 दिसंबर: एनडीडीटीसी गाजियाबाद
17 दिसंबर: एनसीआई झज्जर
29 दिसंबर: सी आर एच एस पी बल्लभगढ़
यह विस्तृत शेड्यूल यह सुनिश्चित करेगा कि एम्स के सभी प्रमुख विभाग और परिसर आग सुरक्षा प्रशिक्षण के दायरे में आएं।
निष्कर्ष
एम्स द्वारा आयोजित की जा रही यह व्यापक मॉक ड्रिल और प्रशिक्षण पहल दिल्ली में हाल की आगजनी की घटनाओं के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण और समयोचित कदम है। यह न केवल एम्स परिसरों की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में स्टाफ की प्रतिक्रिया क्षमता को भी बढ़ाएगा, जिससे मरीजों और कर्मचारियों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। यह पहल अन्य बड़े संस्थानों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित करती है कि सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता कैसे दी जाए।