BRICS पर ट्रंप की चेतावनी के बाद रुपया भारी दबाव में, डॉलर के मुकाबले 47 पैसे टूटा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से BRICS देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी के बाद सोमवार को भारतीय रुपया भारी दबाव में आ गया। डॉलर के मुकाबले रुपया 47 पैसे टूटकर 85.86 पर बंद हुआ, जो कि 13 जून के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। दिन के कारोबार के दौरान रुपया 86 के पार भी चला गया था, लेकिन बाद में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की संभावित दखलअंदाजी से इसमें आंशिक सुधार देखा गया।
मुख्य कारण और घटनाक्रम:
भारतीय रुपए पर दबाव के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारक जिम्मेदार रहे, जिनमें ट्रंप की चेतावनी सबसे प्रमुख थी।
ट्रंप की टैरिफ चेतावनी से बढ़ा वैश्विक दबाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि जो देश BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) की 'एंटी-अमेरिकन' नीति को समर्थन देंगे, उन पर 10% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया जाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि "इस नीति में कोई छूट नहीं दी जाएगी।" यह बयान BRICS देशों के लिए एक बड़ा आर्थिक खतरा पैदा करता है, क्योंकि इससे उनके निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा, जिससे वैश्विक व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ गया है।BRICS देश डॉलर से बाहर निकलने की कोशिश में: BRICS देशों ने हाल ही में क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट सिस्टम विकसित करने पर सहमति जताई है, जिसका उद्देश्य अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करना है। यह कदम डॉलर की वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देने वाला माना जा रहा है। ट्रंप पहले ही 100% टैरिफ की चेतावनी दे चुके हैं यदि डॉलर को दरकिनार करने का कोई प्रयास किया गया, जिससे इस मुद्दे पर भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है।
डॉलर इंडेक्स में रिकवरी, बाजार में बेचैनी: वैश्विक स्तर पर डॉलर इंडेक्स (जो अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापता है) सोमवार को 0.22% बढ़कर 97.39 पर पहुंचा। डॉलर में यह रिकवरी रुपए पर अतिरिक्त दबाव का कारण बनी। हालांकि, सालभर में अब तक डॉलर इंडेक्स में 10.5% की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन अल्पकालिक मजबूती ने रुपए को कमजोर किया।
फेड मीटिंग मिनट्स पर टिकी नजरें: अब बाजार की निगाहें अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की आगामी मीटिंग के मिनट्स पर टिकी हैं। इन मिनट्स से फेड की भविष्य की मौद्रिक नीति, विशेषकर ब्याज दरों को लेकर, स्पष्ट संकेत मिलने की उम्मीद है, जो डॉलर की आगामी दिशा तय करेंगे। विश्लेषकों का मानना है कि रुपए की चाल फेड के रुख पर काफी हद तक निर्भर करेगी और यह निकट भविष्य में 85.25 से 86.25 के दायरे में रह सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में हलचल: कच्चे तेल की कीमतों में भी मामूली बदलाव देखा गया। ओपेक+ (OPEC+) द्वारा उत्पादन बढ़ाने के फैसले के बाद, ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) की कीमत $68.53 (0.34% की वृद्धि) पर पहुंच गई, जबकि डब्ल्यूटीआई क्रूड (WTI Crude) $66.86 (0.21% की गिरावट) पर था। कच्चे तेल की कीमतें रुपए की चाल पर सीधा असर डालती हैं, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है।
इन सभी कारकों के संयोजन से भारतीय रुपया सोमवार को भारी दबाव में रहा, जिससे निवेशकों और नीति निर्माताओं दोनों के लिए चिंता बढ़ गई है।