भारत के इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में 2014 से 60% की वृद्धि: पीयूष गोयल
नई दिल्ली, 20 जून – केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को घोषणा की कि 2014 से भारत के इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में प्रभावशाली 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 'मेक इन इंडिया' पहल की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय मंत्री गोयल ने इंजीनियरिंग निर्यात में इस लगातार वृद्धि का श्रेय पिछले एक दशक में सरकार के केंद्रित प्रयासों और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए कदमों को दिया।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट किया, "भारत 2014 से मोदी सरकार के तहत आगे बढ़ रहा है! इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 'मेक इन इंडिया' की मजबूत सफलता को दर्शाता है।" यह वृद्धि देश की विनिर्माण क्षमता और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता के बढ़ते प्रमाण के रूप में देखी जा रही है।
औद्योगिक उत्पादन में निरंतर सुधार
इंजीनियरिंग निर्यात में यह उल्लेखनीय वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब भारत का व्यापक औद्योगिक प्रदर्शन भी लगातार सुधार दर्ज करवा रहा है। यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र मजबूत वृद्धि पथ पर हैं।
सांख्यिकी मंत्रालय के पिछले आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 में औद्योगिक उत्पादन में सालाना आधार पर 2.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह आंकड़ा देश के औद्योगिक क्षेत्र में सकारात्मक गतिशीलता को दर्शाता है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का मजबूत योगदान
भारत की आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख स्तंभ, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (विनिर्माण क्षेत्र) ने अप्रैल में 3.4 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जो मार्च में दर्ज 3 प्रतिशत की वृद्धि से बेहतर है। इस वृद्धि में बेसिक मेटल (बुनियादी धातु), मोटर व्हीकल (मोटर वाहन) और मशीनरी जैसे क्षेत्र सबसे अधिक योगदान देने वाले क्षेत्रों में से थे। इन क्षेत्रों में उत्पादन में वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में तेजी और बढ़ती मांग का संकेत है।
अकेले मशीनरी और उपकरणों के निर्माण में 17 प्रतिशत की तीव्र वृद्धि हुई, जो घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में मजबूत मांग की ओर इशारा करता है। यह वृद्धि न केवल घरेलू उद्योगों को मजबूत कर रही है बल्कि भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित कर रही है।
उपभोक्ता मांग और इंफ्रास्ट्रक्चर का बढ़ावा
उपभोक्ता मांग भी मजबूत बनी हुई है, इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरणों जैसे टिकाऊ सामानों के उत्पादन में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह दर्शाता है कि उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ा है और वे खरीदारी करने को तैयार हैं, जो आर्थिक विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने से भी औद्योगिक विकास को गति मिली है। अप्रैल में इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण वस्तुओं के क्षेत्र में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो राजमार्गों, रेलवे और बंदरगाहों पर प्रमुख सरकारी खर्च से प्रेरित थी। इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश न केवल तात्कालिक रूप से रोजगार सृजित करता है, बल्कि यह दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार करता है। औद्योगिक और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों के उत्पादन में 20.3 प्रतिशत की तीव्र वृद्धि देखी गई। यह न केवल उच्च निवेश गतिविधि का संकेत देता है, बल्कि दीर्घकालिक रोजगार सृजन और आय वृद्धि का भी समर्थन करता है।
निष्कर्ष: अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत
गुणवत्तापूर्ण इंजीनियरिंग उत्पादों के लिए वैश्विक मांग बढ़ने के साथ, भारत के औद्योगिक उत्पादन और निर्यात प्रदर्शन में सुधार को अर्थव्यवस्था के लिए एक अत्यंत सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि वैश्विक बाजारों में भी अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत हासिल की गई यह सफलता भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश के आर्थिक भविष्य के लिए आशावाद जगाता है।