ऑपरेशन सिंदूर पर अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ का विश्लेषण: "भारत ने चीन के हथियारों को युद्धभूमि पर हराया, 'आत्मनिर्भर भारत' की रणनीति सफल"
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अमेरिका के प्रमुख रक्षा विशेषज्ञ और अर्बन वारफेयर एक्सपर्ट जॉन स्पेंसर ने एक विस्तृत विश्लेषण में कहा है कि यह सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह भारत की रक्षा परिवर्तन की सफल परीक्षा, तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन और वैश्विक रक्षा बाजार के लिए एक निर्णायक संकेत बन गया।
"भारत ने दिखाया कि आत्मनिर्भर युद्ध कैसे लड़ा जाता है"
स्पेंसर, जो इस समय मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट में अर्बन वारफेयर स्टडीज के चेयर और अर्बन वॉरफेयर प्रोजेक्ट के सह-निदेशक हैं, ने अपनी रिपोर्ट "India's Operation Sindoor: A Battlefield Verdict on Chinese Weapons — And India's Victory" में लिखा:
"भारत ने दुनिया को दिखाया कि आधुनिक युद्ध में आत्मनिर्भरता क्या होती है — और यह साबित कर दिया कि 'आत्मनिर्भर भारत' सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि युद्ध में कारगर नीति है।"
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत की स्वदेशी हथियार प्रणालियों का मुकाबला पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे चीनी हथियारों से हुआ — और भारत ने न केवल युद्ध जीता, बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता भी सिद्ध की।
स्पेंसर का मुख्य निष्कर्ष: पाकिस्तान की "चीनी निर्भरता" बनाम भारत की "सॉवरेन ताकत"
स्पेंसर के अनुसार, पाकिस्तान ने आतंक के "प्रॉक्सी" नेटवर्क पर भरोसा किया, जबकि भारत ने प्रेसिजन स्ट्राइक और पूरी तरह नियंत्रित ऑपरेशनल क्षमता के साथ काम किया। उन्होंने लिखा:
"पाकिस्तान एक प्रॉक्सी फोर्स की तरह लड़ा, जो चीनी हथियारों पर निर्भर था — वे हथियार जो एक्सपोर्ट के लिए बने थे, श्रेष्ठता के लिए नहीं। जब भारत ने उन्हें चुनौती दी, तो वे सिस्टम फेल हो गए।"
"मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" की रणनीति की जीत
स्पेंसर ने भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की यात्रा को 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'मेक इन इंडिया' अभियान से जोड़ा। उन्होंने बताया कि कैसे FDI को 74% तक बढ़ाया गया, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप्स को बढ़ावा दिया गया और आधुनिक हथियार प्रणालियों का घरेलू उत्पादन हुआ।
उन्होंने बताया कि:
- 2014 के बाद भारत में बने प्रमुख सिस्टम: ब्रह्मोस मिसाइल, K9 वज्र होवित्जर, AK-203 राइफल
- आत्मनिर्भर भारत के बाद रक्षा खरीद में स्वदेशी भागीदारी: 30% से बढ़कर 65% (2025 तक), 2030 तक लक्ष्य: 90%
ऑपरेशन सिंदूर में भारत के प्रमुख हथियारों का प्रदर्शन
ब्रह्मोस मिसाइल
रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित और अब भारत में निर्मित — दुश्मन के रडार स्टेशनों और बंकरों पर सटीक हमले किए।
"इसकी स्पीड और कम रडार प्रोफाइल इसे अवरोधन से लगभग अजेय बनाती है।"
आकाश मिसाइल और आकाषतीर कमांड सिस्टम
DRDO द्वारा विकसित — ड्रोन, क्रूज मिसाइल और विमानों के खिलाफ बहुस्तरीय एयर डिफेंस।
रुद्रम-1 एंटी-रेडिएशन मिसाइल
पाकिस्तानी रडार सिस्टम को निष्क्रिय करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
नेत्रा AEW&C सिस्टम
दुश्मन के विमानों और मिसाइलों पर नजर रखते हुए भारतीय वायुसेना के अभियानों को निर्देशित किया।
"पाकिस्तान का Saab 2000 AEW&C इसी दौरान नष्ट हुआ — जिससे पाकिस्तान की एयरस्पेस अवेयरनेस खत्म हो गई।"
Harop और SkyStriker ड्रोन (कमिकाज़े ड्रोन्स)
ड्रोन जो दुश्मन के ऊपर मँडराते हुए टारगेट पर आत्मघाती हमला करते हैं। रडार, काफिलों और रणनीतिक ठिकानों पर सटीक प्रहार किए।
D4S सिस्टम
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक युद्ध कौशल का प्रतीक — दर्जनों चीनी ड्रोनों को निष्क्रिय किया गया।
M777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर (अमेरिका से आयातित)
भारतीय पहाड़ी युद्ध नीति के अनुकूल, एक्सकैलिबर प्रिसिजन शेल्स के साथ बिना LOC पार किए आतंकी ठिकानों पर हमले।
राफेल और सुखोई-30MKI
SCALP क्रूज मिसाइल और Meteor एयर-टू-एयर मिसाइलों के साथ दुश्मन के ठिकानों को नष्ट किया गया।
पाकिस्तान और चीनी हथियारों की विफलता
स्पेंसर ने विस्तार से बताया कि कैसे पाकिस्तान के चीनी हथियार फेल हो गए:
- JF-17 थंडर (चीन द्वारा निर्मित): एयर सुपरियोरिटी पाने में विफल
- HQ-9, HQ-16: भारतीय जामिंग और ड्रोन रणनीति के सामने निष्क्रिय
- LY-80, FM-90: भारत के लो-फ्लाइंग ड्रोन को पकड़ने में असफल
- CH-4 ड्रोन्स: D4S से लगातार गिराए गए या जाम हुए
- Saab 2000 AEW&C: भारतीय मिसाइल द्वारा नष्ट
"आख़िर में पाकिस्तान ने एयरस्पेस कंट्रोल, प्रमुख रडार स्टेशनों, और UAV सिस्टम खो दिए — और अपनी वायु क्षमता को प्रभावी ढंग से गवां दिया।"
बाजार में असर: भारत के रक्षा शेयर चढ़े, चीन के गिरे
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के रक्षा कंपनियों के शेयरों में तेज़ उछाल देखा गया, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा। दूसरी ओर, चीनी कंपनियां जैसे AVIC, NORINCO, CETC के शेयर गिरे।
"इस युद्ध ने चीन के रक्षा निर्यात के दावों को युद्धभूमि पर झूठा साबित कर दिया," स्पेंसर ने लिखा।
स्पेंसर के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर भारत के लिए सिर्फ जवाबी कार्रवाई नहीं था, यह 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' की युद्धक्षेत्र में विजय थी। भारत ने एक सॉवरेन डिफेंस पावर के रूप में खुद को स्थापित किया, जबकि पाकिस्तान चीनी तकनीक पर निर्भर एक कमजोर रणनीतिक इकाई के रूप में सामने आया।