UPSC में बड़े बदलाव की जरूरत: प्रयास और उम्र सीमा घटाने, 40 साल के पेशेवरों के लिए IAS में एंट्री की सिफारिश – दुर्वुरी सुब्बाराव
नई दिल्ली, 29 मई (TTP): भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर दुर्वुरी सुब्बाराव ने देश की सिविल सेवा भर्ती प्रणाली में व्यापक बदलाव की मांग करते हुए एक अहम सुझाव रखा है। उन्होंने UPSC परीक्षा में अधिकतम उम्र सीमा और प्रयासों की संख्या को कम करने के साथ-साथ 40 वर्ष की उम्र में अनुभवी पेशेवरों के लिए IAS में संरचित प्रवेश प्रणाली शुरू करने की सिफारिश की है।
“प्रतिभाशाली लेकिन दिशाहीन प्रयासों की बर्बादी”
सुब्बाराव ने 2024 की UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सफल हुए उम्मीदवारों को बधाई दी, लेकिन उन्होंने उन हजारों असफल उम्मीदवारों की भी बात की जो सालों तक प्रयास करने के बावजूद सफल नहीं हो पाते। उन्होंने इसे "उत्पादक वर्षों की गंभीर बर्बादी" करार दिया।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में परीक्षार्थी 21 से 32 वर्ष की उम्र के बीच 6 बार इस परीक्षा को देने के पात्र होते हैं, जो कुछ वर्गों के लिए और भी अधिक हो सकते हैं। उन्होंने इसे "अत्यधिक उदार व्यवस्था" बताते हुए कहा कि यह बदलने की जरूरत है।
“हर सफल उम्मीदवार के पीछे कम से कम दस ऐसे होते हैं जिन्होंने वर्षों तक मेहनत की लेकिन सफल नहीं हो पाए। वे फिर उसी जगह पर लौट आते हैं जहां से शुरुआत की थी,” सुब्बाराव ने लिखा।
“संक लागत की भूल” और मानसिक दबाव
उन्होंने "संक लागत की भूल" (Sunk Cost Fallacy) का उल्लेख किया – जब उम्मीदवार पहले किए गए निवेश (समय, पैसा, मेहनत) की वजह से पीछे हटने को तैयार नहीं होते, भले ही सफलता की संभावना बहुत कम हो।
“मैंने इतना समय और मेहनत लगाई है, अब पीछे नहीं हट सकता – शायद इस बार सफल हो जाऊं,” यही सोच उन्हें आगे बढ़ने से रोकती है, उन्होंने कहा।
3 प्रयास और अधिकतम 27 वर्ष की उम्र – एक नया संतुलन
सुब्बाराव ने सुझाव दिया कि अधिकतम प्रयास 3 और उम्र सीमा 27 वर्ष कर दी जाए ताकि उम्मीदवार जल्दी निर्णय ले सकें और बाकी जीवन को बेहतर दिशा दे सकें।
“बार-बार प्रयास करने से परीक्षा तकनीक की महारत ही चयन का आधार बन जाती है, न कि वास्तविक प्रतिभा,” उन्होंने चेताया।
“मिड-कैरियर एंट्री”: 40+ पेशेवरों के लिए IAS का द्वार
सुब्बाराव ने UPSC के माध्यम से 40–42 वर्ष की उम्र में अनुभवी पेशेवरों के लिए एक स्थायी प्रवेश मार्ग शुरू करने की सिफारिश की। यह मौजूदा लैटरल एंट्री व्यवस्था से अलग और अधिक पारदर्शी होगी।
उन्होंने तर्क दिया कि युवा अफसरों में ऊर्जा होती है, लेकिन व्यावहारिक अनुभव और बाहरी दृष्टिकोण की कमी होती है। वहीं, अनुभवी पेशेवर व्यवस्थागत सोच, नीतिगत दृष्टिकोण और मानव संसाधन प्रबंधन जैसी क्षमताएं लाते हैं।
“टियर 2 एंट्री वाले अफसर इन कमियों की भरपाई करेंगे और सिविल सेवा को अधिक प्रभावशाली और संवेदनशील बनाएंगे,” उन्होंने लिखा।
युवा चयन को समाप्त करने के खिलाफ
हालांकि, सुब्बाराव ने यह भी स्पष्ट किया कि युवाओं की भर्ती की मौजूदा प्रणाली को समाप्त नहीं किया जाना चाहिए।
“युवा प्रशासन में ऊर्जा, नई सोच और निष्ठा लाते हैं, जिसे संरक्षित किया जाना चाहिए।”
निष्कर्ष: अब बदलाव का समय है
लेख के अंत में सुब्बाराव ने कहा कि भले ही UPSC प्रणाली पिछले 50 वर्षों में बेहतर हुई हो, लेकिन अब भी इसे और प्रासंगिक व कुशल बनाने की जरूरत है।
“समय आ गया है कि हम इस व्यवस्था में सुधार करें और इसे नई पीढ़ी और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार ढालें।”