खनिज रॉयल्टी विवाद: सुप्रीम कोर्ट जल्द तय करेगा राज्यों की लंबित याचिकाओं की सुनवाई का तरीका
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि खनिज संसाधनों पर रॉयल्टी और कराधान से जुड़े मामलों में राज्यों की लंबित याचिकाओं को कैसे सूचीबद्ध किया जाए, इस पर वह जल्द निर्णय देगा। यह टिप्पणी उस समय आई जब केंद्र और राज्यों के बीच खनिजों पर कर लगाने के अधिकार को लेकर विवाद एक बार फिर अदालत में गहराया।
25 जुलाई 2024 का ऐतिहासिक फैसला
पिछले साल 25 जुलाई को तत्कालीन सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई में नौ-जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से फैसला दिया था कि:
- खनिजों पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों के पास है
- खनिजों पर दी जाने वाली रॉयल्टी कोई “टैक्स” नहीं है
- संसद को संविधान की सूची-1 के तहत खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है
यह निर्णय खनिज-समृद्ध राज्यों के लिए बड़ी राजस्व राहत था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि हालांकि संसद राज्यों की कराधिकार शक्ति पर सीमाएँ तय करने के लिए कानून बना सकती है।
राज्यों की याचिकाओं पर सुनवाई लंबित क्यों?
आज सुनवाई के दौरान एक वकील ने सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की पीठ को बताया कि नौ-जजों के फैसले के बाद भी कई राज्यों की व्यक्तिगत याचिकाएँ सूचीबद्ध नहीं हो रही हैं।
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया और बताया कि:
- केंद्र ने 25 जुलाई 2024 के फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है
- जब तक यह उपचारात्मक याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं होती
- → राज्यों की याचिकाओं पर सुनवाई आगे नहीं बढ़ सकती
मेहता ने कहा,
“हम जीतें या हारें… सबकुछ इस क्यूरेटिव पिटीशन के नतीजे पर निर्भर करेगा।”
सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि वह रिकॉर्ड देखकर उचित निर्णय लेंगे।
राज्यों को पहले भी मिली थी राहत
14 अगस्त 2023 को शीर्ष अदालत ने खनिज-समृद्ध राज्यों को बड़ी राहत देते हुए कहा था कि वे:
- 1 अप्रैल 2005 से लेकर 12 वर्षों की अवधि में
- केंद्र और खनन कंपनियों से
- खनिज अधिकारों और खनिज भूमि पर कर तथा रॉयल्टी की बकाया राशि वसूल सकते हैं
अदालत ने यह भी तय किया था कि भुगतान 1 अप्रैल 2026 से शुरू होकर 12 साल में किस्तों में होगा।
असहमति का सुर
नौ-जजों की पीठ में एकमात्र असहमति जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की थी।
उन्होंने कहा था कि:
- रॉयल्टी, कर जैसा ही शुल्क है
- और केंद्र को इसे लगाने का अधिकार होना चाहिए
उनकी राय केंद्र के पक्ष के अनुरूप थी, जो अब भी इस मामले के निर्णायक समाधान की प्रतीक्षा कर रहा है।