चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग से जुड़े मामलों पर सुप्रीम कोर्ट की अहम सुनवाई, 1 दिसंबर तक जवाब तलब
नई दिल्ली, 26 नवंबर — सुप्रीम कोर्ट में आज चुनाव आयोग (EC) और राज्य चुनाव आयोग (SEC) से संबंधित कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई हुई। इनमें वोटर लिस्ट संशोधन (SIR), पश्चिम बंगाल में बीएलओ की मौतों, और केरल व तमिलनाडु के मामलों पर राजनीतिक दलों और ADR ने गंभीर सवाल उठाए। अदालत ने दोनों आयोगों को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली प्रमुख सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।
बीएलओ की मौतों ने बढ़ाई चिंता
सुनवाई के दौरान सबसे गंभीर मुद्दा पश्चिम बंगाल में बीएलओ की मौतों का रहा। अब तक 23 बीएलओ की मौत की पुष्टि हुई है, जिसे लेकर अदालत ने राज्य चुनाव आयोग से भी 1 दिसंबर तक विस्तृत जवाब मांगा है। चुनाव आयोग ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह केरल SEC को भी जवाब का मौका दिया जाए—जिसे CJI ने स्वीकार किया।
चुनाव आयोग ने यह भी दावा किया कि राजनीतिक दल जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं और वास्तविकता इससे अलग है।
कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ने उठाए सवाल
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि बीएलओ को केवल 50 फॉर्म अपलोड करने की अनुमति है, जिससे उन पर कार्यभार बढ़ता है। इस पर EC की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि पार्टियां अनावश्यक डर फैला रही हैं।
सिब्बल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ये निर्देश स्वयं चुनाव आयोग के हैं।
ADR की ओर से प्रशांत भूषण ने SIR प्रक्रिया को “जल्दबाजी में पूरी की जा रही” प्रक्रिया बताया और कहा कि इससे कई बीएलओ आत्महत्या तक कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि असम में यह फॉर्म अनिवार्य नहीं है, जबकि बाकी राज्यों में इसे लागू किया गया है।
तमिलनाडु और केरल SIR मामलों पर अगली सुनवाई
CJI ने बताया कि तमिलनाडु SIR मामले की सुनवाई सोमवार को होगी, जबकि केरल का मामला स्थानीय निकाय चुनावों के चलते रुका है। चुनाव आयोग ने कहा कि 99% मतदाताओं को फॉर्म मिल चुके हैं और प्रक्रिया का 50% से अधिक हिस्सा डिजिटल हो चुका है। अदालत ने इस पर एक स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
- चुनाव आयोग 1 दिसंबर तक हलफनामा दाखिल करे
- तमिलनाडु SIR मामले के सभी वकीलों को सॉफ्ट कॉपी दी जाए
- जवाब 3 दिसंबर तक दाखिल हों
- अगली सुनवाई 4 और 9 दिसंबर को
Final Thoughts from TheTrendingPeople
सुप्रीम कोर्ट की यह सुनवाई भारत की चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, सुरक्षा और कार्यभार प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने लाती है। बीएलओ की मौतों और SIR प्रक्रिया को लेकर उठे सवाल चुनाव सुधार की तत्काल जरूरत की ओर इशारा करते हैं। अदालत का रुख यह दर्शाता है कि मतदाता सूची और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े हर कदम की सख्त निगरानी आवश्यक है।