IRS अधिकारी रोहित मेहरा की ‘पेड़ों की पाठशाला’ लोकप्रिय, बच्चे प्रकृति के बीच सीख रहे नई शिक्षा का मॉडल
नई दिल्ली, 26 नवंबर — IRS अधिकारी रोहित मेहरा और उनकी पत्नी गीतांजलि मेहरा की अनोखी पहल ‘पेड़ों की पाठशाला’ इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। यह दुनिया का पहला ऐसा वीकेंड नेचर क्लासरूम है, जिसमें बच्चे किताबों के बजाय पेड़ों, मिट्टी और प्राकृतिक तत्वों के बीच सीखते हैं। उनका उद्देश्य बच्चों में प्रकृति के प्रति जिज्ञासा, जागरूकता और संवेदनशीलता विकसित करना है।
कैसे काम करती है ‘पेड़ों की पाठशाला’?
यह पहल हर शनिवार और रविवार को आयोजित की जाती है, जिसमें कक्षा 2 से 10 तक के बच्चे हिस्सा लेते हैं।
क्लास लगभग दो घंटे चलती है और इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि—
- 75% सीख प्रैक्टिकल
- 25% थ्योरी
यहाँ बच्चे किताबों की बजाय मिट्टी छूकर, बीज बोकर, पौधों की पहचान कर और पर्यावरण से जुड़े प्रश्न पूछकर सीखते हैं।
किसी पारंपरिक सिलेबस की ज़रूरत नहीं—प्राकृतिक अनुभव ही उनका असली पाठ्यक्रम है।
समाज में मिल रही सराहना
भाजपा नेता तरुण चुघ ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा—
“रोहित मेहरा और गीतांजलि मेहरा ने केवल बीज नहीं बोए, बल्कि बच्चों के दिलों में जिज्ञासा और पर्यावरण के प्रति सम्मान बोया है।”
उन्होंने यह भी लिखा कि बच्चे सीड बॉल बनाना, पौधों की देखभाल, पेड़ों की पहचान जैसी गतिविधियाँ सीखकर प्रकृति से वास्तविक रूप में जुड़ रहे हैं।
सीखने का नया तरीका
‘पेड़ों की पाठशाला’ बच्चों को सिर्फ शिक्षा नहीं देती, बल्कि उन्हें हाथों-हाथ अनुभव कराती है।
यह मॉडल पारंपरिक शिक्षा पद्धति से बिल्कुल अलग है और बच्चों में प्रकृति के प्रति गहरा लगाव पैदा करता है।
इस पहल को समाज में भी प्रेरक उदाहरण माना जा रहा है, और इसे आगे और बड़े पैमाने पर फैलाने की योजना है।
रोहित मेहरा का उद्देश्य
रोहित मेहरा कहते हैं कि वह इस पाठशाला में शिक्षक नहीं, बल्कि खुद एक विद्यार्थी की तरह शामिल होते हैं।
उनका लक्ष्य है—
- बच्चों में जिज्ञासा बढ़ाना
- प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता जगाना
- पर्यावरण को लेकर सम्मान की भावना विकसित करना
यह पहल आने वाले वर्षों में बच्चों की शिक्षा और पर्यावरण जागरूकता के मॉडल को बदल सकती है।
Final Thoughts from TheTrendingPeople
‘पेड़ों की पाठशाला’ एक ऐसी पहल है जो भविष्य की शिक्षा का नया रास्ता दिखाती है—जहाँ बच्चे प्रकृति को महसूस कर सीखते हैं। IRS अधिकारी रोहित मेहरा और गीतांजलि मेहरा का यह मॉडल न सिर्फ बच्चों को पर्यावरण से जोड़ रहा है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा भी दिखा रहा है। यह पहल देशभर में दोहराए जाने योग्य एक मजबूत उदाहरण बन चुकी है।