भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र डिजिटल इनोवेशन से सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए तैयारफोटो : IANS
नई दिल्ली: कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत के पास फूड प्रोसेसिंग (खाद्य प्रसंस्करण) क्षेत्र में अग्रणी बनने का सुनहरा अवसर है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह क्षेत्र टेक्नोलॉजी और डिजिटल इनोवेशन द्वारा संचालित एक सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए तैयार हो रहा है, जो देश को इस क्षेत्र में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित होने में मदद करेगा। यह विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
इंडस्ट्री 4.0 टेक्नोलॉजी का transformative प्रभाव
एसोचैम द्वारा आयोजित फूड टेक कॉन्फ्रेंस में जारी एसोचैम-पीडब्ल्यूसी की संयुक्त रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि उद्योग 4.0 से जुड़ी टेक्नोलॉजी, जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और परिवहन के तरीके में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही हैं।
इन इनोवेशनों से परिचालन दक्षता, खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता नियंत्रण और आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता में उल्लेखनीय सुधार हो रहा है। उदाहरण के लिए, IoT-आधारित सेंसर भंडारण सुविधाओं में तापमान और आर्द्रता की निगरानी कर सकते हैं, AI-संचालित सिस्टम गुणवत्ता नियंत्रण में मदद कर सकते हैं, और ब्लॉकचेन आपूर्ति श्रृंखला में ट्रेसेबिलिटी सुनिश्चित कर सकता है। रोबोटिक्स और ऑटोमेशन प्रसंस्करण लाइनों में गति और सटीकता बढ़ा रहे हैं, जिससे मानवीय त्रुटियां कम हो रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक खाद्य रोबोटिक्स बाजार के 2032 तक 6.08 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत के पास इन टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, खासकर जब यह फसल के काटने के समय होने वाले नुकसान जैसी गंभीर चुनौतियों का समाधान करता है, जिससे देश को सालाना अनुमानित 1.53 ट्रिलियन रुपए का भारी नुकसान होता है। इन नुकसानों को कम करने में टेक्नोलॉजी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।
एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल ने कहा, "विकसित और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा, इसके खाद्य प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र के परिवर्तन से काफी हद तक प्रभावित हो रही है।" यह दर्शाता है कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र न केवल आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की समग्र आत्मनिर्भरता में भी योगदान देता है।
उद्योग के सामने आने वाली बाधाएं
हालांकि, रिपोर्ट में उद्योग के सामने आने वाली बाधाओं को भी बताया गया है, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
- आपूर्ति श्रृंखला ट्रेसेबिलिटी: उत्पादों की उत्पत्ति से लेकर उपभोक्ता तक की पूरी आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और ट्रेसेबिलिटी की कमी एक चुनौती बनी हुई है।
- सीमित प्रसंस्करण कवरेज: भारत में कृषि उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा अभी भी प्रसंस्करण के दायरे से बाहर है, जिससे बर्बादी अधिक होती है।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएं: खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े अपशिष्ट और ऊर्जा खपत पर्यावरण के लिए चिंता का विषय हैं।
- कुशल मैनपावर की कमी: आधुनिक टेक्नोलॉजी को अपनाने और संचालित करने के लिए आवश्यक कुशल कार्यबल की कमी एक बड़ी बाधा है।
सरकार द्वारा शुरू की गई पहलें
रिपोर्ट में सरकार द्वारा शुरू की गई पहलों जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (पीएमकेएसवाई) और प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) पर भी चर्चा की गई है। इन योजनाओं का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना, बर्बादी को कम करना और क्षेत्र को औपचारिक बनाना है। ये पहलें छोटे और बड़े दोनों तरह के खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को वित्तीय सहायता, तकनीकी मार्गदर्शन और बाजार पहुंच प्रदान करती हैं।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के कृषि और खाद्य क्षेत्र के पार्टनर शशि कांत सिंह ने कहा, "उभरती खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों पर बातचीत, पक्षकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है जिससे इसे बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके। भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में जबरदस्त संभावनाएं हैं।" यह बयान उद्योग, सरकार और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर देता है ताकि टेक्नोलॉजी को प्रभावी ढंग से एकीकृत किया जा सके।
निष्कर्ष
भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र डिजिटल इनोवेशन और उन्नत टेक्नोलॉजी के माध्यम से एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इंडस्ट्री 4.0 टेक्नोलॉजी को अपनाने से परिचालन दक्षता बढ़ेगी, बर्बादी कम होगी और खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा। हालांकि, आपूर्ति श्रृंखला ट्रेसेबिलिटी और कुशल मैनपावर की कमी जैसी चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। सरकार की पहलें और हितधारकों के बीच सहयोग इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे भारत की आर्थिक वृद्धि और खाद्य सुरक्षा में मजबूती आएगी।