शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान: पीएम मोदी अडिग, राहुल गांधी प्रयासरत, धर्मांतरण पर सख्त क़ानून की मांग
नई दिल्ली — शनिवार को जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने देश की मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों पर बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अडिग राजनीतिक स्थिति, राहुल गांधी के प्रयास, अरविंद केजरीवाल के नोबेल पुरस्कार की मांग, यूपी में हो रहे धर्मांतरण और कलाकारों की राजनीति में भागीदारी जैसे मुद्दों पर स्पष्ट विचार साझा किए।
“पीएम मोदी को हिलाना आसान नहीं”: शंकराचार्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति में मजबूत स्थिति को लेकर शंकराचार्य ने कहा:
“पीएम मोदी को चुनौती देना आसान नहीं है। कई लोग प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई भी उन्हें हिला नहीं पाया। वो जहां खड़े हैं, वहीं मजबूती से टिके हुए हैं।”
देश में विपक्षी दलों की कोशिशों के बावजूद मोदी की लोकप्रियता और नेतृत्व पर सवाल उठाना अभी भी चुनौतीपूर्ण है। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी की पकड़ भारतीय राजनीति पर मजबूत बनी हुई है।
राहुल गांधी के प्रयासों पर क्या बोले शंकराचार्य?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा:
“राहुल गांधी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन चुनौती देना आसान नहीं। प्रयास हो रहे हैं, लेकिन पीएम मोदी अभी भी अडिग हैं। कोई उन्हें वहां से हटा नहीं पाया।”
हालांकि राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' और अन्य अभियानों ने उन्हें जनता के करीब लाने की कोशिश की है, लेकिन शंकराचार्य का बयान यह दर्शाता है कि राजनीतिक जमीन पर उनकी पकड़ अब भी सीमित है।
वैश्विक राजनीति में मोदी की भूमिका
पीएम मोदी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव को लेकर शंकराचार्य ने कहा:
“वैश्विक राजनीति में उनकी ताकत का विश्लेषण करना होगा। लेकिन भारत में तो यह स्पष्ट है कि वे अपनी पार्टी के सबसे ताकतवर नेता हैं। वो जैसा चाहते हैं, वैसा नियम बनाते हैं, और सबको मानना होता है।”
उनका यह बयान बताता है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की ताकत न केवल जनता में, बल्कि भाजपा के अंदर भी स्पष्ट रूप से महसूस की जा रही है।
केजरीवाल और नोबेल पुरस्कार की मांग पर टिप्पणी
हाल ही में आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग को लेकर शंकराचार्य ने कहा:
“कम से कम जिसने यह बात कही, उसने ईमानदारी से कही। आजकल लोग दबे स्वर में बोलते हैं, लेकिन उसने खुलकर कहा, यह साहस है।”
उन्होंने यह भी बताया कि नोबेल जैसे अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार आसानी से नहीं मिलते:
“इसके लिए आवेदन करने होते हैं, सिफारिशें जुटानी होती हैं, और सरकार स्तर पर प्रयास करने पड़ते हैं। बाकी लोग भी ऐसा करते हैं, लेकिन छुपकर। इस मामले में खुलकर बात सामने आई।”
अखिलेश यादव और बाबा बागेश्वर पर टिप्पणी
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर, जिसमें उन्होंने दावा किया कि बाबा बागेश्वर पैसे लेते हैं, शंकराचार्य ने तीखा पलटवार किया:
“अगर अखिलेश यादव कहते हैं कि पैसे लिए जाते हैं, तो शायद ऐसा होता होगा, लेकिन हमारे पास इसकी जानकारी नहीं है। और बताइए, कौन नेता या पार्टी है जो पैसे नहीं लेती?”
उन्होंने राजनीतिक दलों की वित्तीय पारदर्शिता पर भी सवाल उठाया:
“हर पार्टी जनता से चंदा लेती है, लेकिन उसका कोई ऑडिट नहीं होता। न ही जनता को यह अधिकार है कि वो पूछ सके कि कितनी राशि आई और किससे। कम से कम बाबा बागेश्वर ने तो जो लिया, वो छुपाया नहीं — यह भी एक तरह की ईमानदारी है।”
यूपी में धर्मांतरण पर चिंता
धर्मांतरण के बढ़ते मामलों पर शंकराचार्य ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा:
“धर्मांतरण एक गंभीर विषय है और इस पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए। किसी को धोखे से धर्म बदलवाना अपराध है। धर्म बदलने के बाद जीवन में क्या बदला? गरीबी दूर हो गई? बीमारी चली गई? चिंता मिट गई?”
उन्होंने धर्मांतरण के लिए एक कानूनी प्रक्रिया की मांग की:
“इसके लिए रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। जिला प्रशासन को पहले से सूचना देनी चाहिए। दोनों पक्षों की ओर से विशेषज्ञ उपस्थित हों ताकि सच्चाई सामने आए और कोई भ्रमित न हो।”
कनाडा में कपिल शर्मा के रेस्टोरेंट पर फायरिंग: कलाकारों को राजनीति से दूरी की सलाह
कनाडा में कॉमेडियन कपिल शर्मा के रेस्टोरेंट पर हुई गोलीबारी को लेकर शंकराचार्य ने कहा:
“यह सब राजनीति का असर है। कलाकारों को अपनी कला तक सीमित रहना चाहिए। जब वे नेताओं से संबंध बनाते हैं और उसे प्रचारित करते हैं, तो विरोधी पक्ष हमला करने का मौका ढूंढता है।”
उन्होंने कलाकारों को राजनीति से दूर रहने की सलाह दी:
“एक सच्चा कलाकार अपनी कला में रमा रहे, राजनीति से दूर रहे।”
The Trending People की अंतिम टिप्पणी
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के वक्तव्य आज के सामाजिक और राजनीतिक परिवेश में बड़ी प्रासंगिकता रखते हैं। उन्होंने निष्पक्षता और संतुलन के साथ देश की राजनीति, धर्म और समाज पर अपनी गहरी सोच रखी।
चाहे वो पीएम मोदी की राजनीतिक ताकत हो, विपक्ष की असफलता, धार्मिक पारदर्शिता, या धर्मांतरण की गंभीरता — उनके विचार न सिर्फ प्रश्न उठाते हैं, बल्कि समाधान की दिशा भी दिखाते हैं।
आज के समय में जब हर विषय पर शोर और पक्षपात हावी है, ऐसे संतों की निष्पक्ष आवाज़ समाज को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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